“ब्रिक्स” विश्व की पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संघ है| इन देशों की कुल जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 43% है एवं विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद में इनकी हिस्सेदारी 30% और विश्व व्यापार में इनकी हिस्सेदारी 17% है। “ब्रिक्स” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम “गोल्डमैन सैक्स” (Goldman Sachs) द्वारा 2001 में ग्लोबल इकनॉमिक्स के पेपर नंबर 66 में "वर्ल्ड नीड्स बेटर इकोनोमिक ब्रिक्स" नामक शीर्षक के तहत किया गया था| प्रारंभ में इस संघ में चार देश शामिल थे और इसका नाम "ब्रिक" था| बाद में 2010 में दक्षिण अफ्रीका को इस संघ में शामिल किया गया था|
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पहला “ब्रिक” शिखर सम्मेलन का आयोजन 16 जून, 2009 को रूस के येकातेरिनबर्ग नामक स्थान पर किया गया था| जबकि दक्षिण अफ्रीका 14 अप्रैल, 2011 को सान्या, चीन में आयोजित तीसरे “ब्रिक्स” शिखर सम्मलेन में पहली बार शामिल हुआ था| इसके बाद से अब तक “ब्रिक्स शिखर सम्मलेन” का आठ बार आयोजन किया जा चुका है| ब्रिक्स के सभी पाँच सदस्य देश जी-20 के भी सदस्य हैं| 8वें “ब्रिक्स शिखर सम्मेलन” का आयोजन 15-16 अक्टूबर 2016 को भारत की मेजबानी में गोवा में आयोजित किया गया था|
ब्रिक्स सहयोग के दो स्तम्भ हैं- नेताओं और साथ ही वित्त, व्यापार, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, शिक्षा, कृषि, संचार, श्रम आदि के मंत्रियों की बैठकों के माध्यम से परस्पर हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श और कार्य समूहों/वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों के माध्यम से कई क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग। नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलन तथा जी-20 शिखर सम्मेलनों के अवसर पर इसके नेताओं की बैठकें आयोजित की जाती हैं।
भारत में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मलेन 2016 का विषय-वस्तु (Theme) “उत्तरदायी, समावेशी तथा सामूहिक समाधान निरूपित करना” था|
भारत में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान निम्नलिखित पाँच विषयों पर चर्चा की गयी थी:
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(a) ब्रिक्स सहयोग को प्रगाढ़ बनाने तथा इसे बरकरार रखने के लिए संस्थागत व्यवस्था करना|
(b) पूर्व शिखर सम्मेलनों में लिए गए निर्णयों का कार्यान्वयन करना|
(c) मौजूदा सहयोग तंत्रों का एकीकरण |
(d) नवाचार अर्थात स्तरीय नए सहयोग तंत्र विकसित करना, और
(e) निरंतरता अर्थात परस्पर सम्मत मौजूदा ब्रिक्स सहयोग तंत्रों को जारी रखना।
भारत एवं रूस के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2016 के दौरान हस्ताक्षर किये गए महत्वपूर्ण समझौते:
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इस शिखर सम्मलेन के दौरान भारत और रूस के बीच मुख्य रूप से रक्षा, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, बिजली, अंतरिक्ष और जहाज निर्माण के क्षेत्र में कुल 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की तीसरी एवं चौथी यूनिट की नींव रखी गई| दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर किये गए समझौतों का विवरण नीचे दिया जा रहा है:
ब्रिक्स सम्मलेन 2016 के दौरान भारत-रूस के बीच प्रमुख रक्षा समझौते: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रूस उन्नत हथियार और रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के अग्रणी आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। अतः भारत और रूस के बीच निम्नलिखित समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे:
• भारत और रूस सक्रिय रूप से सैन्य तकनीकी क्षेत्र में एक-दूसरे को सहयोग करेंगे।
• रूस भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में संयुक्त रूप से शोध कार्य करेगा| इसके अलावा रूस भारत को सबसे उन्नत हथियार, सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करेगा एवं सैन्य उद्देश्यों के लिए माल का उत्पादन करेगा।
• कामोव Ka- 226 टी और एस-400 ट्राइंफ (S400 Triumph) के सौदों से संबंधित दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
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कामोव Ka- 226 टी सौदे की लागत 1 अरब डॉलर है|
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• शुरूआत में भारत कामोव Ka- 226 टी हेलिकॉप्टरों का आयात करेगा और बाद में इस हल्के एवं उन्नत रूसी हेलिकॉप्टरों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा|
• कामोव Ka- 226 टी "उच्च सुरक्षा मानकों", "अविश्वसनीय रूप से सटीक उड़ान क्षमता" और "उत्कृष्ट गतिशीलता" वाला एक शक्तिशाली एवं हल्का हेलिकॉप्टर है।
• पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं, दक्षता, आधुनिक हवाई जहाज और अतिरिक्त उड़ान सुरक्षा उपकरणों के कारण यह हेलिकॉप्टर अपने वर्ग का सर्वश्रेष्ठ मॉडल है|
• यह हेलिकॉप्टर “चीता” और “चेतक” जैसे हेलिकॉप्टरों का स्थान लेगा|
• दोनों देश प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किये गए “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम को बढ़ावा देंगें|
एस-400 'ट्राइंफ' सौदे की लागत 5 अरब डॉलर (1 अरब डॉलर की कीमत वाले 5 मिसाइल) है|
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• इस सौदे के तहत रूस भारत को लंबी दूरी की हवाई रक्षा एवं विमान भेदी मिसाइल प्रणाली एस-400 देगा। यह सतह से हवा में मार करने वाली सबसे उन्नत मिसाइल प्रणाली है|
• “एस-400” तीन प्रकार के मिसाइलों के प्रक्षेपण में सक्षम है| इसके अलावा यह एक बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा बना सकता है और एक साथ 36 लक्ष्यों को भेद सकता है|
• यह दुश्मनों के विमान, मिसाइल और यहाँ तक कि 400 किलोमीटर की दूरी पर उड़ रहे ड्रोन को भी नष्ट कर सकता है।
• “एस-400 ट्राइंफ” भारत को एक बैलिस्टिक मिसाइल सुरक्षा प्रणाली प्रदान करेगा।
• इस मिसाइल प्रणाली में मौजूद संवेदनशील राडार उन गुप्त विमानों का पता लगाने में सक्षम हैं जिन्हें अन्य मिसाइल प्रणालियां सामान्यतः नहीं ढूँढ पाती है।
एस-400, एस-300 का एक उन्नत संस्करण है जो केवल रूसी सुरक्षा बलों के पास उपलब्ध है और यह अल्माज-अन्ते (Almaz-Antey) द्वारा निर्मित है एवं रूस द्वारा 2007 से इसका प्रयोग किया गया था | चीन के बाद भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला दूसरा देश है| |
ब्रिक्स सम्मलेन 2016 के दौरान भारत-रूस के बीच प्रोजेक्ट 11356 से संबंधित समझौते:
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• भारत और रूस एडमिरल ग्रीगोरोविच श्रेणी के मिसाइल निर्देशित युद्धपोत, सेंसर और हथियार प्रणालियां बनाने में एक दूसरे को सहयोग करेंगे जिसे प्रोजेक्ट 11356 नाम दिया गया है|
• इन युद्धपोतों का निर्माण कैलिनिनग्राद के यांतर शिपयार्ड में किया जा रहा है।
• एडमिरल ग्रीगोरोविच श्रेणी के ये युद्धपोत तलवार श्रेणी के युद्धपोत पर आधारित हैं जिनका निर्माण 2003-2013 के दौरान रूस द्वारा भारतीय नौसेना के लिए किया गया था|
• यह परियोजना भारत की हथियार प्रणाली और मिसाइल तकनीक को विस्तार प्रदान करेगी|
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ब्रिक्स सम्मलेन 2016 के दौरान भारत-रूस के बीच खाद्य विकिरण केन्द्रो से संबंधित समझौते:
• रूस की “यूनाइटेड इनोवेशन कॉर्पोरेशन” और भारतीय कृषि संस्थान “हिंदुस्तान एग्रो सहकारिता लिमिटेड” ने भारत में खाद्य उत्पादों के लिए एकीकृत विकिरण केन्द्रों का एक नेटवर्क स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं|
• यह एक विकिरण तकनीक है जो लंबी अवधि के लिए भोजन को सुरक्षित रूप से संरक्षित रखने में मदद करता है।
• ज्ञातव्य हो कि कोल्ड स्टोरेज की सुविधा या भंडारण की कमी के कारण हर वर्ष भारत में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की फल, सब्जियां, मांस, अनाज एवं दालों जैसी खाद्य वस्तुओं और फूलों की खेती का नुकसान होता है|
• इन केन्द्रों में “हिंदुस्तान एग्रो सहकारिता लिमिटेड” की 51% हिस्सेदारी होगी और इन केन्द्रों का प्रबंधन भारत एवं रूस द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा|
• महाराष्ट्र के राहुरी में “हिंदुस्तान एग्रो सहकारिता लिमिटेड” द्वारा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की मदद से विकिरण केन्द्र चलाये जा रहे हैं|
• इस प्रोजेक्ट के तहत तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के तीसरे एवं चौथे यूनिट की नींव रखी जा रही है|
• इस प्रोजेक्ट के तहत 25 एकीकृत बुनियादी ढाँचा केन्द्रों की स्थापना भारत में की जाएगी और प्रत्येक को ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज और निर्यात की सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा|
•इनमें से प्रत्येक केन्द्र की क्षमता 5 वर्षों की अवधि के दौरान प्रति वर्ष 35,000 टन से 40,000 टन निर्धारित की गई है|
ब्रिक्स सम्मलेन 2016 के दौरान भारत-रूस के बीच रेलवे के क्षेत्र में समझौते:
• भारत एवं रूस के बीच मौजूदा रेल गलियारों, ट्रेन परिचालन एवं परिवहन, प्रशिक्षण एवं ज्ञान के आदान-प्रदान और रोलिंग स्टॉक आधुनिकीकरण जैसे मुद्दों पर बातचीत की गई|
• “टेल्गो” जैसे उच्च गति वाले ट्रेनों के परिचालन के संबंध में विभिन्न कदम उठाए गए|
ज्ञातव्य हो कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच पहले बुलेट ट्रेन का परिचालन प्रधानमंत्री मोदी की डायमंड चतुर्भुज परियोजना का एक प्रमुख हिस्सा है।
अब तक आयोजित विभिन्न ब्रिक्स शिखर सम्मलेन का विवरण:
क्रं० स० | मेजबान देश | मेजबान नेता | स्थान |
पहला | रूस | दिमित्री मेदवेदेव | येकातेरिनबर्ग (सेबेस्टिनोव हाउस) |
दूसरा | ब्राजील | लुइस इनासियो लूला डीसिल्वा | ब्राजीलिया |
तीसरा | चीन | हू जिंताओ | सान्या (शेराटन सान्या रिसॉर्ट) |
चौथा | भारत | मनमोहन सिंह | न्यू दिल्ली (ताज महल होटल) |
पाँचवा | दक्षिण अफ्रीका | जैकब जुमा | डरबन (डरबन आईसीसी) |
छठा | ब्राजील | डिल्मा राउसेफ | फोर्टलीजा (सेंट्रो डी एवेंटस डू सेरा) ब्राजीलिया |
सातवाँ | रूस | व्लादिमीर पुतिन | उफा (कांग्रेस हॉल) |
आठवाँ | भारत | नरेंद्र मोदी | बेनौलिम, गोवा (ताज एग्जोटीका) |
नौवाँ (प्रस्तावित) | चीन | शी जिनपिंग | ज़ियामेन, चीन |
निष्कर्ष:
इस शिखर सम्मेलन की सफलता ने भारत एवं रूस के बीच के संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान की है। रूस ने कहा है कि वह आतंकवाद से मुकाबला करने में भारत की हरसंभव मदद करेगा और उसका मानना है कि आतंकवादी और उनके समर्थकों के साथ निपटने में शून्य सहिष्णुता की जरूरत है। इस समझौतों से व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा जिससे भारत को “यूरेशियन आर्थिक संघ मुक्त व्यापार समझौते” के तहत सहयोग को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी| नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की शुरूआत भारत और रूस के बीच के परमाणु सहयोग को प्रदर्शित करता है| इसके अलावा दोनों देश संयुक्त रूप से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग की स्थापना करेंगें| साथ ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्माण और नए, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के विकास के लिए दोनों देश संयुक्त परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं| इस तरह दोनों देशों के औद्योगिक सहयोग, सैन्य और तकनीकी सहयोग में सुधार हो रहा है| वास्तव में भारत में रूसी परियोजनाओं का न केवल व्यावसायिक महत्व है बल्कि यह दोनों देशों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ ही क्षेत्रीय एवं वैश्विक मामलों को भी प्रभावित करता है| नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन 2017 में चीन में किया जाएगा|
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