भारत में पहली बार "लोकसभा चुनाव" फरवरी 1952 में हुए थे लेकिन हिमाचल प्रदेश के निवासियों को पाँच महीने पहले अक्टूबर 1951 में ही मतदान करने का मौका दिया गया था क्योंकि ऐसा कयास लगाया गया था कि जाड़े के महीने में अत्यधिक हिमपात के कारण हिमाचल प्रदेश के निवासियों को मतदान केन्द्र तक पहुँचने में दिक्कत होगी| आपको यह जानकर हैरानी होगी कि “मंडी लोकसभा क्षेत्र” के अंतर्गत "किन्नौर विधानसभा क्षेत्र” के “कल्प” नामक स्थान के एक निवासी ने भारत की आजादी के बाद से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक (2013 के लोकसभा उपचुनाव सहित) लगातार 17 बार मतदान किया है| संयोगवश यह व्यक्ति भारत के पहले मतदाता भी हैं|
उन्होंने 25 अक्टूबर 1951 को पहली बार मतदान किया था जब उनके शहर किन्नौर में मतदान हुआ था| 97 वर्षीय इस मतदाता को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आदिवासी क्षेत्र में चुनाव प्रचार का ब्रांड एम्बेसडर भी नियुक्त किया गया था| पेशे से शिक्षक रह चुके इस मतदाता का नाम “श्याम सरन नेगी” है|
इन्होने 2014 के लोकसभा चुनाव में उसी स्कूल में मतदान किया था जहाँ से वे 23 वर्षों की नौकरी के बाद सेवानिवृत हुए थे| श्याम सरन नेगी ने देश के सभी मतदाताओं से हर बार चुनाव में वोट डालने की अपील भी की थी| रोचक बात यह है कि श्याम सरन नेगी ने हाल ही में प्रदर्शित फिल्म "सनम रे" में छोटी सी भूमिका भी निभाई थी|
Image Source:Hindustan Times
आइये अब यह जानने का प्रयास करते हैं कि भारत में किस निर्वाचन प्रक्रिया के अनुसार चुनाव होते हैं |
भारत में निर्वाचन प्रक्रिया
निर्वाचन भारतीय लोकतान्त्रिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संवैधानिक प्रावधानों व संसद द्वारा बनाये गए कानूनों के के अनुसार भारत में लोक सभा, राज्य सभा,राज्य विधान सभाओं व विधान परिषदों के लिए निर्वाचन संपन्न कराये जाते हैं। विश्व में अनेक प्रकार की निर्वाचन प्रणालियां प्रचलित हैं, जिन्हें हम दो निम्नलिखित दो प्रकारों में बाँट सकते हैं-
1. बहुमत प्रणाली
2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली।
संविधान में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक भारतीय निर्वाचन प्रणाली की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी है।
लोक सभा के लिए निर्वाचन प्रक्रिया
लोक सभा का गठन वयस्क मताधिकार पर आधारित प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से चुने गए जन-प्रतिनिधियों से मिलकर होता है।संविधान के अनुसार इसमें अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं, जिसमें 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य संघशासित क्षेत्रों से होंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो सदस्यों को लोक सभा के लिए नामित कर सकता है। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा लोक सभा हेतु आंग्ल-भारतीयों के नामांकन की अवधि को पुनः बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है। लोक सभा के निर्वाचन से संबंधित विभिन्न पहलुओं का वर्णन नीचे दिया गया है।
राज्य सभा के लिए निर्वाचन प्रणाली
राज्य सभा संसद का ऊपरी सदन है, जिसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 तक हो सकती है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है। इनका निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
प्रत्येक राज्य को राज्य सभा में निश्चित सीटें प्रदान की गयीं है। संघशासित क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन संसद द्वारा बनाये गये कानून के अनुसार किया जाता है।
राष्ट्रपति साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त 12 सदस्यों को राज्य सभा हेतु नामित कर सकता है।
राज्य सभा संसद का स्थायी सदन है। इसका विघटन भी नहीं हो सकता है क्योंकि इसके एक-तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष पर सेवानिवृत होते हैं। वर्तमान में राज्य सभा के सदस्यों की संख्या 245 है।
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