'गांव की ओर एक कदम' की नीति को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर, 2005 को 'भारत निर्माण योजना' नाम की एक नई योजना की शुरूआत की। इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास करना है। इस योजना को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस योजना को लागू करने की अवधि चार साल के लिए निर्धारित की गयी है जिसका अनुमानित व्यय लगभग 174000 करोड़ रुपये का है। यह योजना मुख्यत: 6 क्षेत्रों पर केंद्रित थी, जिसमें बिजली, पानी सड़क, सिंचाई, दूरसंचार और देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आवास शामिल था।
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भारत सरकार के कल्याण कार्यक्रम
अगले चार साल के लिए इसके लक्ष्य इस प्रकार हैं:
1. सिंचाई: 2009 से एक करोड़ हेक्टेयर भूमि की अतिरिक्त सिंचाई को सुनिश्चत करना।
2. सड़कें: 1000 की आबादी वाले सभी गावों को सड़कों से जोड़ना और 500 की आबादी तक वाले सभी अनुसूचित जनजाति और पहाड़ी गांवों को भी सड़क मार्ग से जोड़ना। दिसंबर 2012 तक भारत निर्माण के तहत 63940 बस्तियों में से कुल 47354 को सड़क से जोड दिया गया है जबकि 60421 बस्तियों के लिए कार्य मंजूर हो चुका है।
3. आवास: गरीबों के लिए 60 लाख अतिरिक्त मकानों का निर्माण। भारत निर्माण कार्यक्रम के पहले चरण के तहत देश भर में चार साल के दौरान (2005-06 से 2008-09 तक) इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत 60 लाख मकानों के निर्माण की परिकल्पना की गयी थी। इस लक्ष्य की तुलना में 21720.39 करोड़ रुपये की लागत के साथ 71.76 लाख मकानों का निर्माण किया गया। भारत निर्माण के द्वितीय चरण के तहत 5 साल (2009-10 से 2013-14) की अवधि के लिए 120 लाख मकानों का लक्ष्य रखा गया है। पहले तीन वर्षों के दौरान 85.72 लाख से अधिक मकानों का निर्माण किया गया था |
4. पानी की आपूर्ति: सभी शेष 74000 गांवों में पीने के पानी की व्यवस्था को सुनिश्चित करना।
5. विद्युतीकरण: सभी शेष 125000 गांवों में बिजली की आपूर्ति और 2.3 करोड़ घरों को बिजली कनेक्शन प्रदान करना।
6. ग्रामीण संचार: सभी शेष 66,822 गांवों में टेलीफोन सुविधा प्रदान करना।
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