भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति या स्वभाव

आजादी के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' को सफल बनाने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था, मूल रूप से सेवा क्षेत्र (वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 60% हिस्सा प्रदान करता है) के योगदान और कृषि (जनसंख्या के लगभग 53% लोग) पर निर्भर है । ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी कम हो रही है तथा सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ रही है।

Apr 1, 2016, 12:29 IST

आजादी के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' को सफल बनाने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था, मूल रूप से सेवा क्षेत्र (वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 60% हिस्सा प्रदान करता है) के योगदान और कृषि (जनसंख्या के लगभग 53% लोग) पर निर्भर है । ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी कम हो रही है तथा सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ रही है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की एक विकासशील अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

1. स्वतंत्रता के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए रोजगार और राजस्व प्रदान करने के प्रमुख कारक रहे हैं ।

2. विश्व व्यापार संगठन के अनुमानों के अनुसार वैश्विक निर्यात और आयात में भारत की हिस्सेदारी में क्रमश: 0.7% और 0.8% की वृद्धि हुई है जो 2000 में 1.7% थी और 2012 में 2.5% हो गई थी।

3. आजादी के बाद से ही भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य सोवियत संघ की कार्यप्रणाली से प्रेरित रहा था। 1980 के दशक तक विकास दर 5 से अधिक नहीं थी। कई अर्थशास्त्रिययों द्वारा इस स्थिर विकास को 'हिंदू विकास दर' कहा गया था।

4. 1992 के दौरान देश में उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई। इसके बाद, अर्थव्यवस्था में सुधार होना शुरू हो गया था। विकास दर के इस नए चलन को 'नई हिंदू विकास दर' कहा जाता था।

5. भारत की अर्थव्यवस्था में पारंपरिक ग्रामीण खेती, आधुनिक कृषि, हस्तशिल्प, आधुनिक उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला और कई सेवाओं के विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।

6. सेवा क्षेत्र आर्थिक विकास का प्रमुख स्रोत हैं। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के आधे से ज्यादा उत्पादन के साथ श्रम शक्ति का एक तिहाई भाग शामिल है।

वर्तमान विश्लेषण

1. वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद की कारक लागत (फैक्टर कॉस्ट), (2004-05के मूल्यानुसार) 5748564 करोड़ रुपए है (आंकड़ा 2013-14)

2. प्रति व्यक्ति आय (वर्तमान मूल्यानुसार) 74,920 रुपये है। (2013-14)

3. 2011-12 की सकल घरेलू बचत दर 30.8% है। (प्रतिशत के रूप में सकल घरेलू उत्पाद का़ वर्तमान बाजार मूल्य)

4. तृतीयक क्षेत्र सकल घरेलू उत्पादन में लगभग 60% का योगदान देता है। (2012-13)

5. कुल खाद्यान्न उत्पादन 265 मिलियन टन (2013-14) है।

6. कुल वैश्विक निर्यात में भारतीय व्यापार का हिस्सा 1.8% है।

7. विश्व के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 2.5% है।

8. भारत की आबादी का कुल आकार 1.26 बिलियन (2014) है।

9. वर्ष 2015 की पहली छमाही के दौरान नई परियोजनाओं में अमेरिका और चीन को पछाड़ते हुए भारत में सभी देशों के बीच सर्वाधिक एफडीआई प्रवाह देखा गया। पिछले वर्ष की छमाही के 12 बिलियन डॉलर के मुकाबले 2015 में 31 बिलियन डॉलर का व्यय विदेशी कंपनियों द्वारा किया गया। जबकि इसी अवधि के दौरान चीन और अमेरिका में क्रमश: 28 और 27 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ।

10. 2015 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 330 बिलियन डॉलर का रहा जो कि इस समय (अप्रैल 2016)  में अब तक के सर्वोच्च स्तर 355 बिलियन डॉलर पर खड़ा है।

11. इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम, रत्न एवं आभूषण, कपड़ा और औषधि शीर्ष पांच क्षेत्रों में वैश्विक मांग में कमी के कारण अगस्त 2015 में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आई जो घटकर 13.33 बिलियन डॉलर हो गई। 2014-15 के दौरान इन पांच कारकों का कुल निर्यात में लगभग 66 फीसदी का योगदान था। पिछले वर्ष अगस्त में इन क्षेत्रों से कुल निर्यात 17.79 बिलियन डॉलर का रहा था।

12. गरीबी आकलन:

I- रंगराजन समिति की सिफारिशों (ग्रामीण क्षेत्रों में एक दिन में 32 रुपये/दिन खर्च करने वाले और कस्बों तथा शहरों में 47 रुपये/दिन खर्च करने वाले लोगों को गरीब नहीं माना जाना चाहिए) के परिणामस्वरूप गरीबी रेखा से नीचे की आबादी में वृद्धि हुई है। इसमें तेंदुलकर समीति के 270 मिलियन आबादी के मुकाबले यह 2011-12 में 35 फीसदी की वृद्धि के साथ यह बढकर 363 बिलियन हो गई।

II- रंगराजन समिति द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार भारत की 29.5 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है जबकि 2009-10 में तेंदुलकर समीति के अनुसार यह 21.9 फीसदी थी।  रंगराजन के अनुसार कुल आबादी में बीपीएल समूह की हिस्सेदारी 38.2 फीसदी की थी जिसमें दो साल की अवधि के दौरान गरीबी में 8.7 प्रतिशत अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का संयोजन) है। अपनी प्रकृति के कारण वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। कुल सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का हिस्सा घटता जा रहा है जबकि सेवा क्षेत्र का हिस्सा बढ़ता जा रहा है या सकल घरेलू उत्पाद में तृतीयक क्षेत्र के योगदान में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है (इसे भारत के विकसित होने के संकेत के रूप में देखा जाता है)।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News