महाबलीपुरम के स्मारक भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित हैं। यहां करीब 40 अभयारण्य हैं जिनमें दुनिया का सबसे बड़ा खुली– हवा वाला चट्टानी आश्रय स्थल भी है। इन स्मारकों में शामिल हैं– धर्मराज रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, द्रौपदी रथ, नकुल सहदेव रथ के पांच रथ और गणेश रथ भी है। वर्ष 1984 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
महाबलीपुरम के स्मारकों के समूह का स्थान:
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महाबलीपुरम के स्मारकों के बारे में–
1. पेरीपल्स (पहली शताब्दी ई.) और टोलेमी (140 ई.) के समय में मामल्लापुरम समुद्री– बंदरगाह था।
2. मामल्लापुरम शहर 2000 वर्ष पहले मिला था।
3. यह बहुत बड़ा बंदरगाह था और इसने कई व्यापारियों को भारत का पता बताया।
4. यह महान पल्लव शासक नरसिम्हावर्मन– प्रथम (630-68 ई.) की दूसरी राजधानी थी।
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1. महाबलीपुरम के स्मारक भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित हैं।
2. महाबलीपुरम में कई मंदिर हैं– कृष्ण गुफा मंदिर, महिषासुरमर्दिनी मंडप, अरहा गुफा मंदिर, पांचपांडव गुफा मंदिर और संरचनात्मक मंदिरों में तटीय मंदिर और ओलक्कान्नेश्वर मंदिर हैं।
3. वर्ष 1984 में महाबलीपुरम के स्मारकों को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला था।
4. केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय इस स्थल के संरक्षण का कामकाज देखता है। पर्यटन मंत्रालय इसके संरक्षण हेतु 'इंटीग्रेटेज डेवलपमेंट ऑफ मामल्लापुरम' नाम से एक परियोजना भी चला रहा है।
तटीय मंदिर
मद्रास से 50 किमी दूर तटीय गांव महाबलीपुरम के तटीय मंदिरों का निर्माण 7वीं सदी में राजसिम्हा के शासनकाल के दौरान हुआ था। खूबसूरत बहुभुज गुंबद वाले इस मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की मूर्तियां हैं। इन खूबसूरत मंदिरों को हवा से नुकसान पहुंचा है। वर्ष 1984 में इस मंदिर को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
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रथ गुफा मंदिर–
महाबलीपुरम के अद्वितीय रथ गुफा मंदिरों का निर्माण पल्लव राजा नरसिम्हा के शासनकाल के दौरान 7वीं और 8वीं शताब्दियों में करवाया गया था। पत्थरों को काट कर बनाए गए इन मंदिरों में पल्लव शासकों की भव्य स्थापत्यकला का प्रतिबिंब दिखता है। यह मंदिर अपने रथों (रथ के रूप में मंदिर), मंडपों (गुफा अभयारणय), विशालकाय खुली– हवा वाले आश्रय स्थल जैसे प्रख्यात ' गंगा का अवतरण (Descent of the Ganges) के साथ– साथ शिव की महिमा को दर्शाने के लिए बनाई गई हजारों मूर्तियों के लिए जाना जाता है।
महाबलीपुरम में 8 रथ हैं जिनमें से 5 के नाम महाभारत के पांडवों (पांच भाई) और एक द्रौपदी के नाम पर रखा गया है। भीम रथ, धर्मराज रथ, अर्जुन रथ, नकुल सहदेव रथ और द्रौपड़ी रथ यहां देखे जा सकते हैं। इन मंदिरों के निर्माण की शैली बौद्ध विहारों एवं चैत्य शैली पर आधारित थी। अधूरा तीन मंजिला धर्मराज रथ सबसे बड़ा है। द्रौपदी का रथ सबसे छोटा है। यह एक मंजिल का है और इसकी छत फूस से बनी छत जैसी दिखती है। अर्जुन का रथ भगवान शिव को समर्पित है जबकि द्रौपदी का रथ देवी दुर्गा को।
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ओलक्कान्नेश्वर मंदिर:
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ओलक्कान्नेश्वर मंदिर ('जलती हुई आंखें', आमतौर पर ओलक्कानाथ, इसे 'पुराना लाइटहाउस' भी कहते हैं), भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले में महाबलीपुरम में स्थित है। यह तटीय मंदिर के जैसे ही संरचनात्मक मंदिर है। इसका निर्माण 8वीं सदी के दौरान हुआ था। यह महिषासुरमर्दिनि मंडप के ठीक उपर एक चट्टान पर बना है जहां से पूरे शहर को देखा जा सकता है। यह भगवान शिव के एक अवतार को समर्पित है। यह मंदिर 1984 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त करने वाले महाबलीपुरम के स्मारकों के समूह में आता है। गलती से कभी– कभी इस मंदिर को 'महिषासुर मंदिर' भी कह दिया जाता है।
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