इल्तुतमिश तुर्कों की प्रमुख जनजाति इल्बरी से सम्बंधित था. वह कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद था और दिल्ली सल्तनत का अगला सुल्तान बना.
उसे दिल्ली में महरौली के नजदीक हौज-ए-शम्सी के निर्माण का श्रेय दिया जाता है. उसने अपने पूर्ववर्ती शासकों के द्वारा शुरू किये गए कुतुब मीनार के अधूरे निर्माण को भी पूरा किया.
उसने दिल्ली सल्तनत में इक्ता प्रथा की शुरुवात की जोकि भूमि के कर प्रणाली से जुडी व्यवस्था थी. इक्ता व्यवस्था के अंतर्गत किसी भी अधिकारी को उसके वेतन के बदले उसे प्रदान किये गए क्षेत्र के भूमि कर को प्रदान किया जाता था. यद्यपि यह व्यवस्था कोई आनुवंशिक व्यवस्था नहीं थी. इस व्यवस्था के माध्यम से दिल्ली सल्तनत के दूर-दराज के अधिकृत भागो को केंद्र से जोड़े रखना आसान था.
उसे चाँदी का टंका और कॉपर का जीतल जारी करने का श्रेय दिया जाता है. चांदी के टंके का वजन 175 ग्रेन था.
इल्तुतमिश के शासन काल में मंगोलों ने चंगेज़ खान के नियंत्रणाधीन भारत पर हमला किया था. लेकिन वे जल्द ही भारत को छोड़ दिए और मुल्तान, सिंध की तरफ चले गए.
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