रानी– की– वाव (रानी की बावड़ी) गुजरात राज्य के पाटण में स्थित है। यह सरस्वती नदी के किनारे बना है। इसका निर्माण 11वीं सदी में एक राजा की याद के तौर पर करवाया गया था। भारतीय उपमहाद्वीप में बावड़ियों को पानी के संसाधन और भंडारण प्रणाली माना जाता है। रानी– की– वाव 'वास्तुशिल्पियों' की क्षमता को दर्शाता है। इसका व्यास 10 मीटर और गहराई 30 मीटर है।
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रानी–की–वाव (रानी की बावड़ी) की तस्वीर
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तथ्यों पर एक नजरः
1. इसे ग्यारहवीं सदी के एक राजा की याद में बनवाया गया था।
2. रानी– की– वाव बावड़ी निर्माण में वास्तुशिल्पियों की उत्कृष्टता को दर्शाता है। यह मारू–गुर्जर स्थापत्य शैली में बनाया गया है।
3. बावड़ी संपत्ति के पश्चिमी छोर पर स्थित है और इसमें शाफ्ट है। इसका व्यास 10 मीटर और गहराई 30 मीटर है।
4. वर्ष 2014 में इसे विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था।
5. रानी–की–वाव जल संग्रह प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है। ऐसी प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत लोकप्रिय हैं।
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6. प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल (एएसआई) अधिनियम 1958 के तहत, (जिसमें 2010 में संशोधन किया गया था) यह संपत्ति राष्ट्रीय स्मारक के तौर पर संरक्षित है।
7. रानी– की– वाव के प्रबंधन की एकमात्र जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की है।
8. रानी– की– वाव चूंकि भूकंप वाले क्षेत्र में स्थित है इसलिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जोखिम के समय की तैयारियों एवं आपदा प्रबंधन को लेकर बहुत सतर्क है।
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