कुश्ती में करियर

Mar 23, 2018, 18:49 IST

भारत के एकमात्र डबल ओलंपिक पदक विजेता श्री सुशील कुमार, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में कई अलग-अलग अवसरों पर भारत को  गौरवान्वित किया है आज, हमारे साथ कुश्ती में अपने सफल और प्रेरणादायी  करियर की कहानी साझा कर रहे हैं. वह हमें एक महान पहलवान बनने के रहस्य और भावी पहलवानों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करने के स्रोत बताएँगे.

Career as a Wrestler | Career in Wrestling
Career as a Wrestler | Career in Wrestling

भारत के एकमात्र डबल ओलंपिक पदक विजेता श्री सुशील कुमार, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में कई अलग-अलग अवसरों पर भारत को  गौरवान्वित किया है आज, हमारे साथ कुश्ती में अपने सफल और प्रेरणादायी  करियर की कहानी साझा कर रहे हैं. वह हमें एक महान पहलवान बनने के रहस्य और भावी पहलवानों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करने के स्रोत बताएँगे.तो, आइए एक जीवंत कुश्ती की कहानी से पता करें कि दो बार ओलंपिक पदक विजेता बनने के लिए क्या ज़रूरी होता है.? श्री सुशील कुमार जी, हमारे शो में आपका स्वागत है!

 जागरण जोश : आप ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं. इससे आपको कैसा महसूस होता है?

सुशील कुमार: अपने बारे में कुछ कहने से पहले  मैं अपने कोच पद्म श्री महाबली सतपाल जी का जिक्र करना चाहूँगा जिनके मार्गदर्शन में मैंने बहुत छोटी उम्र में प्रशिक्षण शुरू किया था. हाँ मुझे बहुत गर्व है कि मैं कुश्ती के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करने में सक्षम रहा हूँ और मैंने ओलंपिक में देश के लिए पदक जीते हैं.

जागरण जोश: बीजिंग और लंदन में बाप्रोला से लेकर 'धोबी पछाड़ ' तक के छोटे से गांव से; आपकी एक लंबी और कठिन यात्रा रही है. क्या आपको लगता है कि आपने पहलवान के रूप जो कुछ भी सपना देखा उसे हासिल किया है?

सुशील कुमार: यह एक बहुत अच्छा अनुभव रहा है और इस यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आये हैं. मैं 1998  से

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहा हूँ. लेकिन 2008 के बाद ही मुझे मान्यता मिलने लगी जब मैंने विजेंदर और अभिनव बिंद्रा के साथ ओलंपिक पदक जीता था. मैं बहुत खुश था कि 56 साल बाद किसी ने हमारे देश के लिए कुश्ती के लिए ओलंपिक में पदक जीता था. ओलंपिक जीतने वाले बहुत कम होते हैं इसलिए मैं बहुत खुश था कि मैं देश के लिए पदक जीतने वाले उन खिलाडियों में से एक था.

 उतार और चढ़ाव जीवन का हिस्सा हैं. यह एक ऐसा संघर्ष है जो हर किसी के जीवन में जाता है और आपको बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. लेकिन सफलता केवल उन लोगों को ही मिलती है जो प्रतिकूलता को खुद पर हावी नहीं होने देते. ऐसा हर क्षेत्र में होता है भले वो खेल हो या कुछ और हो.

 जागरण जोश  आप पहलवानों के परिवार से हैं, क्या आपको लगता है कि इसने आपको एक बेहतर पहलवान बनने में मदद की है?

सुशील कुमार: हां, बिल्कुल, मेरा पूरा परिवार कुश्ती से जुड़ा हुआ है. मेरे दादा, पिता और यहां तक ​​कि मेरे बड़े भाई भी एक पहलवान थे. इस चीज ने मेरे लिए बहुत अंतर पैदा किया क्योकि यह एक ऐसी चीज थी जिसे मैंने देखा था. जब मैं एक बच्चा था मैं एक पहलवान बनने का लक्ष्य बनाने लगा.

मेरा परिवार इस खेल में शामिल था और यह मेरे लिए सचमुच उपयोगी था क्योंकि उन्हें पता था कि मुझे कैसे प्रशिक्षण देना चाहिए, सिखाने की तकनीक क्या होनी चाहिए ?  और मेरा आहार और देखभाल का ध्यान कैसे रखना चाहिए.? इसलिए, मेरे परिवार की कुश्ती की पृष्ठभूमि ने मुझे बहुत मदद की.

जागरण जोश : आपके पिता दिवान  सिंह जी और चचेरे भाई संदीप भी कुश्ती किये हुए हैं  क्या आप उनके साथ कुश्ती की चर्चा करते हैं या प्रमुख टूर्नामेंट या मैचों से पहले उनकी सलाह लेते हैं?

सुशील कुमार: हां, परिवार से हर कोई मेरे साथ 24x7 रहता है. जब भी मैं मैट पर हूं तब भी वे  हमेशा मेरे  प्रशिक्षण पर नज़र रखते  है. इसलिए, जब भी उन्हें लगता है कि मैं कोई गलती कर रहा हूं या कहीं कमी कर रहा हूं, तो वे इसे सुधारने की कोशिश करते हैं.

 मुख्यतया मेरा प्रशिक्षण मेरे कोच पद्म श्री महाबली सतपाल जी के तहत होता है और वर्तमान में एक विदेशी कोच भी हमें सौंपा गया है. तो, यह काफी फायदेमंद है क्योंकि मैं हमेशा उन लोगों से घिरा रहता हूं जो कुश्ती में अनुभव रखते हैं.

जागरणजोश : चाहे वो ओलंपिक हो,  राष्ट्रमंडल खेल हों , विश्व चैंपियनशिप हो या कोई भी अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट हो आपने एक जीतकी आदत बना ली है. नियमित आधार पर ऐसी उच्च प्रतियोगिताओं  के बीच आप प्रदर्शन के दबाव से कैसे निपटते हैं?

सुशील कुमार: मैं कुश्ती का एक खेल के रूप में आनंद लेता हूं लेकिन मैं हमेशा अपने कोच के शब्दों को ध्यान में रखता हूं. जैसे कि वे कहते हैं, 'जब भी आप किसी चीज के लिए पूरी तरह से तैयार होते हैं आप किसी भी समस्या या स्थिति से निपटने में सक्षम होंगे। आप इससे परेशान नहीं होंगे '

इसलिए, हम किसी भी बड़े टूर्नामेंट के लिए पहले से तैयार रहते हैं.  हम उस प्रतिद्वंद्वी को ध्यान में रखते हैं जिसका हम टूर्नामेंट में सामना करेंगे और तदनुसार खुद को ट्रेन करते हैं. तो, मुझे लगता है कि यदि कोई इस तरह से खुद को तैयार करता है तो वह दबाव से लड़ने में कामयाब रहता है.

 

जागरण जोश: क्रिकेट के लिए जुनूनी भारत जैसे देश में,  बीजिंग में आपके द्वारा जीते गए रजत पदक ने कुश्ती को लाइम-लाइट में ला दिया है.  इसके अलावा अन्य अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में आपके असाधारण प्रदर्शन ने कुश्ती की लोकप्रियता को और बढ़ा दिया है . क्या आपको लगता है कि आज, युवा कुश्ती को एक करियर  विकल्प के रूप में देखते हैं?

सुशील कुमार : ऐसा नहीं है कि लोग क्रिकेट को अधिक पसंद करते हैं और कुश्ती को कम  पसंद करते हैं. हमारे देश के बारे में एक चीज मुझे बहुत अच्छी लगती है, वह यह कि जो कोई भी देश के लिए अच्छा करता है सारा देश उसके समर्थन में आ जाता है.

और मैं यह बात किसी और के मुकाबले बेहतर जानता हूं क्योकि जब हमने पहली बार बीजिंग ओलंपिक में पदक जीता था उस वक़्त पूरे देश ने आशीर्वाद और प्यार हमारे ऊपर उड़ेल दिया थ.  मुझे विश्वास है कि बीजिंग ओलंपिक के बाद हमारे देश में खेल की सोच में बदलाव आया है न कि केवल कुश्ती में. जैसे, हालिया ओलंपिक में दीपा कर्मकार को हमने जिम्नास्टिक में असाधारण प्रदर्शन करते देखा. बीजिंग ओलंपिक के बाद के खिलाड़ियों ने यह सोच विकसित की है कि हम ओलंपिक में केवल भाग नहीं लेना चाहते हैं बल्कि हमें वहाँ पदक जीतने होंगे. जो एक बड़ा बदलाव है.

 जागरण जोश : भारत में पहलवान होने में सबसे मुश्किल बात क्या है ?

सुशील कुमार : देखो, जब मैं कुश्ती में आया तो मैं  बहुत छोटा था और उस वक़्त आज के समय  जैसी  सुविधाएं नहीं थीं. लेकिन हमारे  कोच हमेशा हमें कहते थे कि इन छोटी चीज़ों के बारे में सोचने में अपना समय बर्बाद मत करो क्योंकि एक खिलाड़ी के लिए जिन्दगी में बहुत सीमित वक़्त होता है . यदि आप विचारों के साथ फंस गए कि मुझे यह सुविधा नहीं मिली तो यह समय की बर्बादी होगी. मैं कहूंगा कि आप को जो भी उपलब्ध है उसका सर्वोत्तम लाभ उठाएं और आपके पास जो काम है उस पर केन्द्रित रहें..

जागरण जोश :  आपके हिसाब से वो कौन सी तीन महत्वपूर्ण चीजें हैं जो भारत में एक सफल पहलवान बनने के लिए जरूरी हैं?

सुशील कुमार : ओके, मेरा कोच इसका बेहतर जवाब दे सकते है. लेकिन मैं कहूंगा कि आप अपनी तरफ से अपना बेस्ट दें. बेस्ट ढंग से ट्रेनिंग करें.इसके आलावा, जिस भी पहलवान के बारे में आपको पता है कि आपको उसका  सामना करना है, उसके बारे में वीडियो के माध्यम से उसके कमजोर बिंदुओं का विश्लेषण करने की कोशिश करें, और इसके साथ साथ अपने कमजोर पहलुओं का भी विश्लेषण करें. इससे आपको बेहतर तैयारी  करने में मदद मिलेगी.कुश्ती एक खेल है जहां आपको एक सेकंड से कम समय में निर्णय लेने में सक्षम होना पड़ता है.

 इसलिए, यदि कोई पहलवान फटाफट निर्णय लेने में समर्थ है तो वह बहुत बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.

क्योकि वहाँ पर आपको एक सेकंड से कम समय में फैसला करना होता है और अपने विरोधियों की तकनीक को अपनी तकनीकी से काटना होता है. इसीलिए निर्णय लेने वाला कौशल कुश्ती के लिए महत्वपूर्ण है.

 जागरणजोश : क्या आप यह मानते हैं कि कुश्ती एक करियर के रूप में अच्छा पैसा देती है?

सुशील कुमार : यदि आप खेल में अच्छी कमाई करने के उद्देश्य से आते हैं तो आप निश्चित रूप से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे.  इसके बदले, यदि आप अपने खेल का आनंद लेते हैं तो आप इसमें सफल हो सकते हैं और इसमें नाम कमा सकते हैं और साथ ही साथ  अच्छी रकम कमा सकते हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने खेल का आनंद लें.

 जागरण जोश : आप एक बड़े टूर्नामेंट के लिए खुद को कैसे तैयार करते हैं?

सुशील कुमार : कुश्ती में कई चीजों का संयोजन है. उदाहरण के लिए, यदि आप शारीरिक रूप से फिट नहीं हैं लेकिन मानसिक रूप से फिट हैं तो आप  अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे. इसी तरह यदि आप मानसिक रूप से मजबूत नहीं हैं, लेकिन शारीरिक रूप से फिट हैं, तो भी आप अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे यदि आप शारीरिक रूप से फिट हैं और  मानसिक रूप से मजबूत हैं,तो  आप कुश्ती में वास्तव में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. इसका एक सरल कारण यह है कि आप अपने शरीर तथा अपने  विचारों को एक साथ  एक  सिंक्रनाइज़ेशन में रखें.

 जागरण जोश : आपने एक खिलाड़ी के हिसाब से सारी उपलब्धियां हासिल कर ली हैं तो सुशील कुमार के लिए अब आगे क्या है ?

सुशील कुमार : अभी राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत हो रही है इसलिए मैं उनके लिए तैयारी में व्यस्त हूं और वहां से देश के लिए अधिक अधिक पदक लाना चाहता हूं. मैं देशवासियों से हमारा समर्थन करने के लिए अनुरोध करता हूं और उनका आशीर्वाद चाहता हूँ, ताकि हम अच्छा  प्रदर्शन कर सकें.

जागरण जोश  : क्या आप उन युवाओं के लिए कोई सलाह देना चाहेंगेजो पूर्णकालिक करियर  विकल्प के रूप में कुश्ती लेने में रुचि रखते  हैं?

सुशील कुमार : मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि एक अच्छे कोच के पास जाएँ, अच्छी तरह से अपने आप को ट्रेन करें, अपने बड़ों और , अपने माता-पिता का सम्मान करें और कड़ी मेहनत करें.क्योंकि सफलता का एकमात्र मार्ग यही है. आप भले ही किसी भी  क्षेत्र में क्यों न हों, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.अपने लक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखें और इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें.

हमारे साथ अपनी सफलता की कहानी शेयर करने के लिए सुशील जी को धन्यवाद. जागरण जोश की पूरी टीम आपको आगामी टूर्नामेंट के लिए शुभकामनाएं देती है. हमें उम्मीद है कि आप अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में भारत को गौरवान्वित करना जारी रखेंगे और भविष्य की पहलवानों की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.

 सुशील जी हमारे साथ अपनी सफलता की कहानी शेयर  करने के लिए धन्यवाद. जागरण जोश  की पूरी टीम आपको आगामी टूर्नामेंट्स के लिए शुभकामनाएं देती है. हमें उम्मीद है कि आप अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में भारत को गौरवान्वित करना जारी रखेंगे और  भविष्य के पहलवानों की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बने रहेंगे.

खेल में अपना करियर बनाना, विशेषकर कुश्ती जैसे प्रतिस्पर्धी खेल में, बहुत मुश्किल काम है. इसका मतलब यह नहीं है कि कुश्ती में करियर नहीं बनाया जा सकता.  जो वास्तव में कुश्ती के खेल से प्यार करते हैं और इसके लिए प्रतिबद्ध हैं उन्हें निश्चित रूप से इसमें सफल करियर बनाने का एक रास्ता मिल जाएगा. लेकिन हमारे प्रिय सुशील कुमार की तरह आपको भी बहुत सारी बाधाओं को पार करना होगा.

 

 

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