टेक्नोलॉजी ने जीवन के हर पहलू को मोहक,लाभदायक और जीवनोपयोगी बना दिया है. घर के किचेन से लेकर कार्पोरेट जगत,प्रोफेशनल वर्ल्ड तथा ग्लैमरस वर्ल्ड में भी इसका बोलबाला है. कोई भी फील्ड अब ऐसा नहीं रहा कि बिना टेक्नोलॉजी के प्रभाव के अपने सम्पूर्ण विकास को दिखा सके. हमारा एजुकेशन भी अब टेक्नोलॉजी बेस्ड हो चुका है इअलिये युवा, किशोर यहाँ तक कि बच्चे भी अब टेक्नोलॉजी को समझते हैं तथा उसे समझने की कोशिश करते हैं.
आज की युवा पीढ़ी ग्लैमरस वर्ल्ड की चकाचौंध से अनायास ही आकर्षित है. इस फील्ड में मिलने वाला शोहरत, रुतबा और इज्जत के साथ साथ अच्छे पैसों की वजह से अधिकांश स्टूडेंट्स इस फील्ड में अपना करियर बनाने का सपना देखते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश हर किसी का सपना पूरा नहीं हो पाता है. लेकिन हम आपको यह बता रहे हैं हैं कि कुछ फील्ड ऐसे भी हैं जिसके माध्यम से आप ग्लैमरस वर्ल्ड में काम करने के अपने सपने को साकार कर सकते हैं.

एक फिल्म बनाने में सिर्फ हीरो हिरोइन का ही महत्वपूर्ण काम नहीं होता है. पर्दे के पीछे,इर्द गिर्द तथा बाहर बहुत सारे ऐसे लोग काम करते हैं जिनकी मेहनत के बल पर कोई भी फिल्म सफल हो पाती है. आश्चर्य की बात यह है कि इन्हें बहुत पहचान नहीं मिल पाती है तथा इन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं. लेकिन अब जमाना बदल रहा है. पर्दे के पीछे के लोगों को भी पहचान मिलना शुरू हो गया है तथा लोग उनके मेहनत तथा काम को सराह रहे हैं.
प्यासा, कागज के फूल व साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिकल फिल्मों के सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया. अगर हम हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, नेशनल फिल्म पुरस्कारों पर गौर करें, तो हम पाएंगे कि हर साल पर्दे के पीछे काम कर रहे किरदार को ही सम्मानित किया जा रहा है. इनलोगों ने अपनी टेक्नीक्स से फिल्मों में जान डाल दी है.
इसलिए अगर किसी व्यक्ति या उम्मीदवार में दृश्यों की अच्छी समझ तथा टेक्नोलॉजी का पूर्ण ज्ञान हो तो वह सिनेमेटोग्राफी में अपने बेहतर करियर की तलाश कर सकता है.
सिनेमेटोग्राफी
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल वर्क है तथा इसके जरिये दृश्यों को जीवंत बना दिया जाता है.गाइड, मुगल-ए-आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी न जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है. एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग को एडजेस्ट करने का काम करता है. उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सही जानकारी होती है और उसके पास प्रोफेशनल टेक्निकल नॉलेज तथा क्रिएटिविटी को समयोजित करने की क्षमता होती है.
कैमरे का रोल
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत पड़ती है. यह कैमरा अन्य कैमरों से अलग होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कैमरे का सही ढंग से प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो. सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है. दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें वह प्रवीण होता है.आजकल रोहित सेठी या अन्य लोगों का स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का सर्वोत्तम उदाहरण हैं. इस तरह के दृश्यों का अधिकतर फिल्मों में धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है.फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का प्रयोग कैसे करना है, इसकी पूरी-पूरी जानकारी सिनेमेटोग्राफर को ही होती है.
सिनेमेटोग्राफी से जुड़े कुछ प्रोफेशनल कोर्सेज
देश में कई ऐसे इंस्टीट्यूट्स हैं जो सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं. अगर आप इस कोर्स को करने की इच्छा रखते हैं तो डिप्लोमा और शॉर्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्शंस इस कोर्स के अंतर्गत मौजूद हैं.इसके अतिरिक्त इसमें सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है. सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण होने के साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है. इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन तथा टेक्निकल जानकारी छात्रों को प्रदान की जाती है.
जरुरी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
- सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष डिगी का होना अनिवार्य है.पीजी लेबल के कोर्स में एडमिशन के लिए उम्मीदवार के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.
- चूँकि यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है इसलिए जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी हो,वह इस कोर्स को कर सकता है.
रोजगार के अवसर
भारत विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाले देशों में से एक है. यहां प्रतिवर्ष विभिन्न भाषाओं में लगभग 800 फिल्में बनती हैं. खास बात यह है कि अभिनय के अलावा इससे जुड़े तमाम टेक्निकल फील्ड्स में बहुत सारे काम होते हैं. इसलिए सिनेमेटोग्राफी कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है. इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी काम किया जा सकता है.
सैलरी
शुरुआती दिनों में एक सिनेमेटोग्राफर को 7000 से 8000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है.लेकिन आगे चलकर अनुभव और काम के आधार पार यह बढ़ता जाता है तथा उसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है. यह व्यक्ति के टैलेंट तथा प्रोडक्शन हाउस या एजेंसीज के नाम,साइज तथा पूँजी पर निर्भर करता है.
सिनेमेटोग्राफी कोर्स कराने वाले कुछ महत्वपूर्ण भारतीय इंस्टीट्यूट्स
- सेंट्रल ऑफ रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-दिल्ली
- एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-नोएडा
- चेन्नई फिल्म स्कूल-तमिलनाडु
- फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया-पूना
- सत्यजीत रॉय फिल्म इंस्टीट्यूट-मुंबई
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी एक ही चीज नहीं है
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी दोनों के बीच टेक्नीकल अंतर होता है.जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करने की कोशिश करते हैं, तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है. इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है. यह सामान्य कैमरे से कुछ अलग होता है.इसे हैंडल करने के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है. कैमरा प्लेसमेंट, सेट या लोकेशन पर लाइटिंग की व्यवस्था, कैमरा एंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुअलाइज करने की कोशिश करता है. लेकिन फोटोग्राफी इससे अलग है.फोटोग्राफिक फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर स्टिल या मूविंग पिक्चर्स को रिकॉर्ड करना फोटोग्राफी कहलाता है.
अतः दृश्यों को लाइटिंग के हिसाब से समायोजित करने में यदि आप प्रवीण हैं तो सिनेमेटोग्राफी में आपका भविष्य अवश्य ही उज्ज्वल है.