ये हैं क्लासरूम से कॉरपोरेट वर्ल्ड तक मिलने वाले विभिन्न अनुभव

Jan 6, 2020, 13:14 IST

हमें अपनी स्टूडेंट लाइफ में स्कूल-कॉलेज के क्लासरूम्स में जो अनुभव होते हैं वे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में होने वाले अनुभवों से बिलकुल अलग होते हैं. अगर आप एक जॉब सीकर हैं तो आपके लिए कॉर्पोरेट वर्ल्ड में होने वाले अनुभवों की जानकारी काफी फायदेमंद रहेगी.

Classroom to Corporate world
Classroom to Corporate world

जब स्टूडेंट्स अपनी कॉलेज लाइफ से निकलकर कॉर्पोरेट वर्ल्ड और पेशेवर लाइफ में प्रवेश करते हैं तो अक्सर वे काफी कंफ्यूज़ हो जाते हैं. अभी तक तो वे स्टूडेंट्स अपने कॉलेज या यूनिवर्सिटी के क्लास-रूम में पढ़ते थे और कई किस्म की एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज़ में ही हिस्सा लेते थे, लेकिन जब वे एक पेशेवर के तौर पर अपना करियर शुरू करते हैं तो आप कॉर्पोरेट वर्ल्ड में प्रवेश करने के साथ ही विभिन्न किस्म के नए अनुभव हासिल करते हैं. अब ये अनुभव कभी अच्छे तो कभी बुरे हो सकते हैं. लेकिन अगर आप अपने क्लासरूम और कॉर्पोरेट वर्ल्ड में होने वाले विभिन्न अनुभवों की जानकारी हासिल कर लें तो आपको अपनी स्टूडेंट लाइफ से पेशेवर लाइफ में प्रवेश करने पर कोई परेशानी नहीं होती है. क्लासरूम और कॉर्पोरेट वर्ल्ड के इस अंतर को और अच्छी तरह समझने के लिए और नये ऑफिस में और अच्छी तरह काम करने में सहायता प्रदान करने के लिए हम नीचे उन प्रमुख बदलावों की एक लिस्ट पेश कर रहे हैं जो आप अपने कॉलेज से कॉरपोरेट वर्ल्ड की दुनिया में जाते समय अनुभव करेंगे. इनकी अच्छी जानकारी प्राप्त करने पर आपके लिए अपनी जिंदगी में एक से दूसरे मुकाम का सफर आसान हो जाएगा.

  • कॉर्पोरेट वर्ल्ड में बॉस का महत्व

जी हां! यह बिलकुल सच है कि कॉर्पोरेट वर्ल्ड में आपके बॉस का खास महत्व होता है. जब आप किसी कॉलेज ग्रेजुएट फ्रेशर के तौर पर कोई संस्था ज्वाइन करते हैं तो आप बहुत अधिक एक्साइटेड होते हैं. आप अपने मैनेजर के सामने अपनी योग्यता और टेलेंट सिद्ध करना चाहते हैं. लेकिन इस जरूरत से ज्यादा एक्साइटमेंट में आप सब गड़बड़ कर डालते हैं. उदाहरण के लिए, एक ऐसी स्थिति के बारे में सोचें जब कोई नया प्रोजेक्ट आता है और आपका बॉस वह प्रोजेक्ट आपको सौंप कर आपसे उस प्रोजेक्ट को पूरा करने का टाइम पूछते हैं. आप अपनी एक्साइटमेंट में और उन्हें इम्प्रेस करने के लिए, ज्यादा से ज्यादा 2 दिन का टाइम मांगते हैं लेकिन आप वह काम 3 दिन में पूरा करके उन्हें सौंपते हैं. जबकि, अगले रूम के एम्प्लोयी उनसे 5 दिन का टाइम मांग कर केवल 4 दिन में काम सौंप देते हैं. अब, आपको क्या लगता है कि बॉस किस एम्प्लोयी की तारीफ करेंगे. अवश्य ही, अगले रूम के एम्प्लोयी की. बड़े ही आसान शब्दों में, उन्होंने बड़ी समझदारी दिखाई और जल्दबाजी से काम नहीं लिया. अब अगर आप दिन-रात एक करके अपना प्रोजेक्ट उससे पहले भी पूरा कर लेते हैं तो भी आखिर में वह एम्प्लोयी ही बेस्ट एम्प्लोयी की ट्रॉफी जीतेगा.

  • वर्क-लाइफ बैलेंस से मिलता है काफी फायदा

कॉलेज की जिंदगी और कॉरपोरेट ऑफिस की जिंदगी एक-दूसरे से काफी अलग होती है. जहां कॉलेज में आप कुछ ज्यादा चिंतामुक्त और अपनी मर्जी के मालिक थे, कॉरपोरेट लाइफ में स्थिति इसके ठीक विपरीत होती है. कॉलेज लाइफ में ज्यादा मौज-मस्ती होती थी लेकिन जब एक बार आप कॉरपोरेट लाइफ में प्रवेश कर जाते हैं तो हर चीज़ में जमीन-आसमान का अंतर आ जाता है. अगर आप सोचते हैं कि कॉलेज में आपके क्लासमेट्स कॉम्पिटीटिव थे तो ऑफिस में आपके कलिग्स किसी डरावने सपने जैसे साबित होंगे. एक बार आप कॉरपोरेट लाइफ में प्रवेश कर जाते हैं तो कम से कम शुरू के कुछ वर्षों के लिए तो आपका काम आपकी पहली प्राथमिकता बन जाता है. खाली समय बिताने और अपने शौक पूरे करने के लिए आपके पास बहुत ही कम समय बचता है. आपकी हेल्थ के लिए यह एक अच्छी बात नहीं है. अपनी निजी जिंदगी को नजरअंदाज करना और अपने काम पर अपना पूरा फोकस जमाये रखने से आपके कार्य और जीवन के संतुलन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. आने वाले समय में इसके काफी हानिकारक नतीजे देखने को मिल सकते हैं. इसलिए,  हेल्दी वर्क-लाइफ बैलेंस होना बहुत जरुरी होता है और इन दोनों के लिए ही पर्याप्त समय निकाल कर केवल आप ही यह सुनिचित कर सकते हैं.

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  • सॉफ्ट स्किल्स हैं करियर के लिए खास

कॉरपोरेट लाइफ में सुरक्षित रहने के लिए आज के जमाने में सॉफ्ट स्किल्स अत्यावश्यक हैं. अपने कलीग्स के साथ संपर्क कायम करना और उन्हें अशिष्ट लगे बिना अपना मैसेज देना बहुत जरुरी है. अपने कलीग्स के साथ आप कैसे संबंध बनाते हैं, यह दूसरे लोगों के साथ आपके पेश आने के तरीके पर बहुत निर्भर करता है. अगर आप लोगों को मिलनसार लगते हैं तो आपके कई दोस्त बन जाते हैं और अगर आप बॉसी और झगड़ालू किस्म के हैं तो आपकी दोस्ती होना मुश्किल है. बहुत से कार्य स्थलों में एम्प्लोयी इंटरेक्शन्स को लेकर भी कुछ नियम और नीतियां होती है. कई ऐसी बाते होती हैं जिनका आपको हमेशा ध्यान रखना और पालन करना होता है और कई बातों या तौर-तरीकों से आपको बचना पड़ता है. जैसे आप हमेशा अपने ऑफिस के अनुशासन की नीतियों का पालन करें. अपनी टीम के सदस्यों का आदर करें और मिलजुल कर काम करें, अगर कोई विवाद हो भी जाए तो उसे शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाएं या अगर मामला बहुत गम्भीर है तो किसी सीनियर को शामिल करके उस मामले को निपटाएं. अपने समय का सदुपयोग करें और डेडलाइन्स पर या उनसे पहले अपना काम पूरा करके सौंप दें.

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  • हरेक स्थिति के लिए रखें खुद को तैयार

अपनी प्रोफेशनल लाइफ की शरुआत करते समय किसी फ्रेशर कॉलेज ग्रेजुएट के तौर पर आपको सिर्फ अपने जीवन में आने वाले कई सारे बदलावों के लिए ही तैयार नहीं रहना चाहिए बल्कि अचानक घटने वाली खराब से खराब स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए. बहुधा स्टूडेंट्स को एक ही समय में 2-3 अलग-अलग कम्पनियों से ऑफर मिल जाते हैं और अपनी एक्साइटमेंट में वे सबसे ज्यादा मशहूर कंपनी को ज्वाइन कर लेते हैं. किसी मशहूर कंपनी में काम शुरू करते वक्त उनके बड़े-बड़े सपने और उम्मीदें होती हैं. लेकिन 2-3 महीने बीत जाने पर उनकी शुरू के दिनों की एक्साइटमेंट कम होने लगती है. इसके बड़े कारणों में से एक है आपका काम के बोझ के नीचे दब जाना और आपको अपना काम जितना ज्यादा मौज-मस्ती से भरा लग रहा था, आप अपने काम को वैसा नहीं पाते हैं. तिस पर भी, अधिकांश स्टूडेंट्स यह नहीं समझ पाते कि उन्हें वास्तव में कौन-सा काम पसंद है. ऐसी चुनौतियां आपको हतोत्साहित नहीं कर सकती और आपको उन्हें अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सफलता के लिए जरुरी सबक के तौर पर मील के पत्थर की तरह समझना चाहिए.   

कॉलेज लाइफ की दोस्ती को कुछ ऐसे रखें आजीवन कायम

कॉलेज लाइफ से प्रोफेशनल लाइफ में कदम रखना कई बार बहुत मुश्किल साबित हो सकता है लेकिन यह वास्तव में कितना कठिन होगा, यह पूरी तरह से आपके हाथ में है. अगर आप अपनी ओर से पूरी तैयारी करते हैं और अच्छी तरह से तैयार हो कर इस स्थानान्तरण के लिए अपने कदम बढ़ाते हैं तो यह बिलकुल संभव है कि आप आसानी से अपनी मंजिल तय कर लें.

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