''विधि अथवा ज्यूरिस्प्रुडेंस वास्तव में न्याय का वह व्याकरण है जो न्यायाधीशों, विधिवेत्ताओं और अधिवक्ताओं के लिए प्रकाशपुंज का काम करता है.''
आइए दोस्तों आज हम जानते हैं कि पब्लिक प्रोसेक्यूटर कैसे बनते हैं इसके लिए क्या है आवश्यक योग्यता और पब्लिक प्रोसिक्यूटर के पद के लिए किस प्रकार की होती है चयन प्रक्रिया. यह सब जानने के लिए हमें सबसे पहले ये जानना होगा कि आखिर पब्लिक प्रोसेक्यूटर कहते किसे हैं ?
पब्लिक प्रोसेक्यूटर किसे कहते हैं?
पब्लिक प्रोसेक्यूटर (PP) या लोक अभियोजक राज्य द्वारा नियुक्त उस ''वकील / एडवोकेट'' को कहते हैं जो क्रिमिनल ट्रायल या आपराधिक मुक़दमे में राज्य की ओर से सस्पेकटेड क्रिमिनल के अगेंस्ट मुकदमा लड़ा करते हैं. भारतीय न्याय प्रणाली में ''वकील'' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो न्यायालय में किसी दूसरे व्यक्ति की तरफ से या खिलाफ दलील देने, वाद विवाद करने, अथवा बहस करने का अधिकार रखता हो. भारत में शुरू से हीं विधि को सर्वाधिक महत्व दिया गया है, और इस प्रकार से विधिवेत्ताओं का स्थान स्वयं हीं महत्वपूर्ण हो जाता है.
हरेक हाई कोर्ट या उच्च न्यायालय में किसी भी अभियोजन, अपील या न्यायिक कार्यवाही करने के लिए सेन्ट्रल गवर्नमेन्ट या स्टेट गवर्नमेन्ट द्वारा प्रोवीजन ऑफ़ सेक्शन 24 की सीआएपीसी 1972 के तहत किसी पब्लिक प्रोसिक्यूटर को अपोइन्ट किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा हर डिस्ट्रिक्ट में एक पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति की जाती है. न्यायिक प्रक्रिया को मज़बूत बनाने के लिए एक से अधिक असिस्टेंट पब्लिक प्रोसिक्यूटर को भी एक डिस्ट्रिक्ट में नियुक्त किया जा सकता है.
पब्लिक प्रोसेक्यूटर के लिए आवश्यक योग्यता:
आइए अब जानते हैं कि एक पब्लिक प्रोसेक्यूटर बनने के लिए किसी भी कैंडिडेट में क्या क्या होनी चाहिए योग्यताएं. तो एक पब्लिक प्रोसेक्यूटर बनने के लिए व्यक्ति के पास कानून के ज्ञान के साथ साथ कानून की डिग्री होना भी आवश्यक है. यानि उस व्यक्ति ने कानून या लॉ की बाकायदा शिक्षा हासिल की हो. या यूँ कहें कि एक पब्लिक प्रोसिक्यूटर बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को पहले वकील बनना होता है. यानि उसके पास बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा मान्य किसी लॉ इंस्टिट्यूट (कानून शिक्षण संस्थान ) से तीन या पाँच वर्षीय एल. एल. बी. (लॉ ऑफ़ बैचलर ) की डिग्री का होना आवश्यक है. तीन वर्षीय एल.एल.बी का कोर्स करने के लिए किसी भी कैंडिडेट का ग्रैजुएट होना आवश्यक है जबकि पाँच वर्षीय एलएलबी का कोर्स कोई भी इंटरमीडिएट पास कैंडिडेट कर सकता है.
लॉ (एल.एल.बी. ) के इन कोर्सेस में किसी भी कैंडिडेट को एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट के बाद हीं मिल पाता है. यह प्रवेश परीक्षा या एंट्रेंस टेस्ट प्रति वर्ष लॉ विश्वविद्यालयों के द्वारा आयोजित की जाती है. इस एंट्रेंस टेस्ट में सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी, करेंट अफेयर इत्यादि से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं. सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य होता है.
इस प्रकार एक पब्लिक प्रोसेक्यूटर बनने के लिए केवल वही व्यक्ति योग्य हो सकता है जो -
1. वह भारत का नागरिक हो.
2. उम्मीदवार के पास लॉ की डिग्री का होना अनिवार्य.
3 . एक एडवोकेट के रूप में वह कम से कम सात साल तक कार्य कर चुका हो.
4 . एक पब्लिक प्रोसेक्यूटर के पद के लिए आवेदन देने के समय उसकी आयु 35 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए.
5. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के लिए आयु सीमा में छूट का प्रावधान होता है.
पब्लिक प्रोसेक्यूटर के पद के लिए चयन प्रक्रिया:
अब जानते हैं कि एक पब्लिक प्रोसेक्यूटर के पद के लिए क्या होती है चयन प्रक्रिया - हरेक हाई कोर्ट या उच्च न्यायालय में किसी भी अभियोजन, अपील या न्यायिक कार्यवाही करने के लिए सेन्ट्रल गवर्नमेन्ट या स्टेट गवर्नमेन्ट द्वारा प्रोवीजन ऑफ़ सेक्शन 24 की सीआएपीसी 1972 के तहत किसी पब्लिक प्रोसिक्यूटर को अपोइन्ट किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा हर डिस्ट्रिक्ट में एक पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति की जाती है. न्यायिक प्रक्रिया को मज़बूत बनाने के लिए एक से अधिक असिस्टेंट पब्लिक प्रोसिक्यूटर को भी एक डिस्ट्रिक्ट में नियुक्त किया जा सकता है.
जिला मजिस्ट्रेट और सेशन जज के कंसल्टेंशन से उन नामों का पहले एक पैनल तैयार किया जाता है जो पब्लिक प्रोसिक्यूटर के पद पर अपोइन्ट किए जाने के लिए योग्य होता है. अगर किसी व्यक्ति का नाम जिला मजिस्ट्रेड और सेशन जज द्वारा उप-धारा (3) के तहत तैयार पैनल में मौज़ूद नहीं होगा तो स्टेट गवर्नमेन्ट उस व्यक्ति को किसी डिस्ट्रिक्ट में बतौर पब्लिक प्रोसिक्यूटर अपोइन्ट नहीं कर सकता.
कैंडिडेट का यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (upsc ) द्वारा पब्लिक प्रोसिक्यूटर पद के लिए तय एग्जाम में अपीयर होना अनिवार्य है. इस एग्जाम में रिटेन टेस्ट के बाद एक इन्टरव्यू भी लिया जाता है. जिसके पश्चात चयनित उम्मीदवारों को मेल द्वारा सूचित किया जाता है.
पब्लिक प्रोसेक्यूटर की सैलरी:
पब्लिक प्रोसेक्यूटर पद के लिए 7वें CPC के अनुसार पे मैट्रिक्स के लेवल 8 में निर्धारित वेतनमान दिए जाते हैं.
पब्लिक प्रोसेक्यूटर की भूमिका:
हमारे देश में किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य को पूरे समाज के खिलाफ किया गया अपराध माना जाता है. इस लिहाज़ से अपराधी द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए सज़ा तय करने की जिम्मेवारी केवल अपराध के शिकार हुए पीड़ित तक नहीं रहती बल्कि अपराधी को सज़ा देने का दायित्व पूरे समाज और राज्य का माना जाता है. और इस तरह के प्रोसिक्यूशन में राज्य की तरफ से जो न्यायविद पीड़ित की तरफ से अपराधी के खिलाफ न्याय की प्रक्रिया हेतु सक्रिय रूप से कार्य करता है वह पब्लिक प्रोसेक्यूटर कहलाता है. संक्षेप में कहा जाए तो अभियोजन पक्ष के मुख्य कानूनी प्रवक्ता को पब्लिक प्रोसिक्यूटर कहते हैं. वास्तव में अगर देखा जाए तो एक पब्लिक प्रोसिक्यूटर किसी राज्य के लिए न्याय मंत्री की भूमिका निभाता है जो सदैव अपराध और अन्याय के खिलाफ प्रशासन के क्षेत्र में शुद्धता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए समर्पित होता है.
एक पब्लिक प्रोसेक्यूटर राज्य के जुडिशियरी या न्याय प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं जो न्यायालय में मुकदमा, अपील तथा कानून से जुड़े अन्य प्रक्रियाओं के लिए प्रभारी का काम करते हैं. पब्लिक प्रोसिक्यूटर का काम केस से जुड़े सभी आवश्यक पहलुओं सामने रख कर अदालत के कार्य में सहायता करना है. इसके लिए वह अलग अलग क्षेत्र से न्याय लाने के लिए डील किया करता है. न्याय के लिए जाँच प्रक्रिया शुरू होने के साथ हीं पब्लिक प्रोसिक्यूटर का काम भी शुरू हो जाता है. उसके पहले का काम पुलिस का होता है, जिसमें सलाह देने, सुझाव देने या किसी भी प्रकार का इन्टरफेयर करना पब्लिक प्रोसिक्यूटर का काम नहीं होता है.
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