IAS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा की तैयारी कर रहे कई लोग अपने जीवन में संघर्ष से गुजरते हैं। देश के सबसे बड़े एग्जाम की तैयारी के दौरान यदि कोई युवा संघर्ष से लड़ रहा है, तब इस परीक्षा को पास करना और भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि, कुछ युवा कड़ा संघर्ष देखने के बाद भी इस कठिन परीक्षा को पास कर लेते हैं और सफलता की नई कहानी का हिस्सा बन जाते हैं। आज हम आपके साथ दक्षिण भारत के एम शिवगुरू प्रभाकरण की कहानी साझा करने जा रहे हैं, जिन्होंने परिवार का खर्च चलाने के लिए मिल में काम किया। साथ ही प्लेटफॉर्म पर भी कई रात गुजारी। वहीं, अंत में आईआईटी से और तीन बार असफल रहने के बाद चौथे प्रयास में आईएएस अधिकारी बनकर अपना सपना पूरा कर लिया।
एम शिवगुरू का परिचय
एम शिवगुरू का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। परिवार में पिता शराब के आदि थे, ऐसे में घर का खर्च चलाने में परेशान होती थी, जिसको देखते हुए परिवार में माता और बहन दिन में खेत में काम करते थे और रात में टोकरियां बनाकर घर का खर्च चलाने लगी।
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मिल में किया काम
एम शिवगुरू प्रभाकरन ने परिवार में माता और बहन को संघर्ष करते हुए देखा, तो उन्होंने भी एक मिल में काम करना शुरू कर दिया। मिल से मिलने वाले कुछ रुपयों को वह घर में खर्च करते थे, जबकि कुछ रुपयों को बचाकर वह बचत किया करते थे।
इंजीनियरिंग में लिया दाखिला
एम शिवगुरू प्रभाकरन ने बहन की शादी करने बाद अपने सपनों को उड़ान देना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने वेल्लोर के थंथई पेरियार गर्वनमेंट कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की।
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प्लेटफॉर्म पर गुजारनी पड़ी रात
स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद एम शिवगुरू ने तय किया कि वह आगे की पढ़ाई आईआईटी से करेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें तैायरी करनी थी। ऐसे में उनके एक दोस्त ने उन्हें सेंट थॉमस स्टेशन पर गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले एक शिक्षक के बारे में जानकारी दी। एम शिवगुरू सेंट थॉमस जाकर पढ़ा करते थे और वही रात बिताते थे। वहीं, सप्ताहंत पर वापस घर लौटते थे। इसके साथ ही खर्च चलाने के लिए वह पार्ट टाइम जॉब भी किया करते थे।
तीन बार हुए फेल
एम शिवगुरू ने एमटेक की डिग्री हासिल करने के बाद आईएएस बनने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने तैयारी करना शुरू की और अपना पहला प्रयास किया, लेकिन वह असफल रहे। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरा प्रयास किया, लेकिन वह यहां भी फेल हो गए। एम शिवगुरू ने तीसरा प्रयास किया, हालांकि किस्मत को यहां भी उनकी असफलता मंजूर थी। ऐसे में वह इस बार भी सफल नहीं हो सके।
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चौथे प्रयास में बने आईएएस
एम शिवगुरू ने अपना चौथा प्रयास किया और इस बार उन्होंने अपने पिछली अफलताओं से सीखा। उन्होंने अपनी तैयारी को धार देते हुए चौथा प्रयास किया और इस बार वह आईएएस बनने में सफल हो गए।
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