IAS Success Story: देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवाओं की बात करें, तो इसमें UPSC सिविल सेवा का नाम आता है। इसके लिए हर साल लाखों युवा तैयारी करते हैं। हालांकि, इस परीक्षा में सफलता सुनिश्चित नहीं होती है। ऐसे में कई युवा इस परीक्षा को कई प्रयास करने के बाद भी पास नहीं कर पाते हैं। वहीं, कुछ युवा होते हैं, जो इस इस परीक्षा को अपने पहले प्रयास में ही पास कर लेते हैं और कम उम्र में ही दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर संभालते हैं। आज हम आपको राजस्थान की स्वाति मीणा की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सिर्फ 22 साल की उम्र में ही इस परीक्षा को पास कर लिया था। साल 2007 में जब उन्होंने यह परीक्षा पास की थी, तब वह सबसे कम उम्र में आईएएस अधिकारी बनने वाली महिला अधिकारी थी।
स्वाति का परिचय
स्वाति मूलरूप से राजस्थान के अजमेर की रहने वाली हैं। उन्होंने पढ़ाई अजमेर से ही पूरी की, जिसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी करना शुरू की थी।
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बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती थी मां
स्वाति की मां सरोज मीणा पेट्रोल पंप का संचालन करती हैं। वह चाहती थी कि उनकी बेटी बड़े होकर डॉक्टर बने और सामाज की सेवा करे। इसके लिए उन्होंने बेटी की पढ़ाई पर शुरू से ही ध्यान दिया था।
इस तरह लिया आईएएस बनने का निर्णय
स्वाति मीणा जब कक्षा आठवीं में पढ़ रही थी, तब एक बार उनके घर उनकी मां से कोई रिश्तेदार मिलने आया, जो कि अधिकारे थे। ऐसे में उन्होंने तब अपने पिता से अधिकारी बनने के बारे में पूछा और सिविल सेवा में जाने का इच्छा जताई।
पिता ने किया सहयोग
स्वाति ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। ऐसे में जब पिता ने देखा कि बेटी गंभीरता से तैयारी कर रही है, तब उन्होंने बेटी का सहयोग करना शुरू कर दिया।
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2007 में बनी आईएएस
स्वाति मीणा ने साल 2007 में सिविल सेवा की परीक्षा दी और उन्होंने 260 रैंक प्राप्त की। इस रैंक के साथ उन्हें आईएएस सेवा मिली, जिसके बाद वह देश में सबसे कम उम्र की आईएएस थी। उनके बाद साल 2016 में अंसार शेख ने 21 साल की उम्र में आईएएस बनकर यह रिकॉर्ड तोड़ा था। उनके बाद टीना डाबी साल 2015 में 22 साल की उम्र में महिला आईएएस अधिकारी बनी थी।
मध्यप्रदेश में दबंग अधिकारी के रूप में है पहचान
स्वाति मीणा को आईएएस बनने के बाद मध्यप्रदेश कैडर मिला था। यहां उन्होंने खनन माफिया के खिलाफ जमकर अभियान चलाया था, जिसके बाद प्रदेश में उनकी छवि दबंद महिला अधिकारी के रूप में बन गई थी।