Independence Day Poems in Hindi 2024: स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी में पढ़ें सरल और छोटी कविताएं

Independence Day Poems in Hindi: 15 अगस्त बस आने ही वाला है और इस खास मौके पर जागरण जोश हिंदी में दिल को छू लेने वाली 15 अगस्त की 20 कविताऐं  लाया है. इन देशभक्ति, आज़ादी हिंदी कविताओं के साथ सभी छात्र छात्राएं अपनी मातृभूमि की आजादी का जश्न जोरों शोरों से मना सकते हैं। 

Aug 14, 2024, 10:53 IST
 Independence Day Poem in Hindi: दिल को छू लेने वाली स्वतंत्रता दिवस पर कविता हिंदी में
Independence Day Poem in Hindi: दिल को छू लेने वाली स्वतंत्रता दिवस पर कविता हिंदी में

Independence Day Poem in Hindi: 15 अगस्त हमारे देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है क्योंकि इसी दिन भारत को 200 साल के ब्रिटिश कोलोनियल शासन से आजादी मिली थी। इसी दिन, 1947 में, भारत को अत्याचारी ब्रिटिश शासन के चंगुल से आजादी मिली थी। 15 अगस्त 2024 को हम भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तैयार हैं। लोकतंत्र और स्वतंत्रता के इस उत्सव को मनाने के लिए पूरा देश एक साथ आता है। सभी देशवासी देशप्रेम में भाव विभोर सांस्कृतिक कार्यक्रम का मज़ा लेते हैं| सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी और निजी संगठन और अन्य संस्थान इस दिन को तिरंगा फहराकर, राष्ट्रगान गाकर सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करके मनाते हैं। जागरण जोश के इस लेख में, हमने 12 आसान, मधुर और दिल को छू लेने वाली हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविताएँ साझा की हैं। विद्यार्थी इन छोटी, आसान और प्रेरणादायी देशभक्ति हिंदी कविताओं से सभी का दिल छू सकते हैं. यह कविताएं कक्षा 1 से लेकर कक्षा 10वीं और 12वीं तक के स्टूडेंट्स भी अपने स्कूल में प्रस्तुत कर सकते हैं. 

स्वतंत्रता दिवस कविता हिंदी में - Independence Day Poem in Hindi

इस लेख में, हमने लघु स्वतंत्रता दिवस कविताएँ और लंबी स्वतंत्रता दिवस कविताएँ भी प्रदान की हैं। जो बच्चे उम्र में छोटे हैं वे छोटी और आसान कविताएँ चुन सकते हैं। मिडिल स्कूल और हाई स्कूल के बच्चे लंबी कविताएँ चुन सकते हैं।

Also Read - Independence Day 15 August Poems in English

Independence Day Poems in Hindi For Kids

नीचे दी गयी इंडिपेंडेंस डे आज़ादी कविताएँ स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के अनुकूल हैं. क्लास 1, 2, 3, 4, 5 में पढ़ने वाले बच्चों को यह कविताएँ आसानी से याद हो सकती हैं. 

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 1 

कवि - अज्ञात (Anonymous)

नन्हे - नन्हे प्यारे - प्यारे, गुलशन को महकाने वाले

सितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के|

नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वाली

कहलाते हैं हिम्मत वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के|

चलते है हम शान से, बचाते हैं हम द्वेष से

आन पे हो जाएँ कुर्बान, हम बच्चे है हिंदुस्तान के|

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 2 

कवि - मीनाक्षी भालेराव

हम बच्चे मतवाले हैं

हम चाँद को छूने वाले हैं !

जो हम से टकराएगा ,

कभी ना वो बच पाएगा !

हम भारत माता के प्यारे

देश के राज दुलारे हैं ,

आजादी के रखवाले हम

नये युग का आगाज हम

देश का नाम सदा करेंगे !

तिरंगे की शान रखेंगे

अपना जीवन हम सब

देश के नाम करेंगे !

हम बच्चे मतवाले है

हम चाँद को छूने वाले हैं !

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 3 

कवि - श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’

महर्षि मोहन के मुख से निकला,

स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।

सचेत होकर सुना सभी ने,

स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।

रहा हमेशा स्वतन्त्र भारत,

रहेगा फिर भी स्वतन्त्र भारत।

कहेंगे जेलों में बैठकर भी,

स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।

कुमारि, हिमगिरि, अटक, कटक में,

बजेगा डंका स्वतन्त्रता का।

कहेंगे तैतिस करोड़ मिलकर,

स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 4

कवि - मुहम्मद इक़बाल

सारे जहाँ से अच्छा

हिंदुस्तान हमारा

हम बुलबुलें हैं उसकी

वो गुलसिताँ हमारा।

परबत वो सबसे ऊँचा

हमसाया आसमाँ का

वो संतरी हमारा

वो पासबाँ हमारा।

गोदी में खेलती हैं

जिसकी हज़ारों नदियाँ

गुलशन है जिनके दम से

रश्क-ए-जिनाँ हमारा।

मज़हब नहीं सिखाता

आपस में बैर रखना

हिंदी हैं हम वतन है

हिंदुस्तान हमारा।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 5 

कवि - श्यामलाल गुप्त पार्षद

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला,

प्रेम सुधा सरसाने वाला

वीरों को हर्षाने वाला

मातृभूमि का तन-मन सारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,

लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,

काँपे शत्रु देखकर मन में,

मिट जाये भय संकट सारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इस झंडे के नीचे निर्भय,

हो स्वराज जनता का निश्चय,

बोलो भारत माता की जय,

स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

आओ प्यारे वीरों आओ,

देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,

एक साथ सब मिलकर गाओ,

प्यारा भारत देश हमारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इसकी शान न जाने पावे,

चाहे जान भले ही जावे,

विश्व-विजय करके दिखलावे,

तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,

झंडा ऊँचा रहे हमारा।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 6 

कवि - अज्ञात (Anonymous)

मेरे भारत की महिमा तो,सभी देवों ने मानी है

तभी तो जन्म लेने की, इसी भूमीं पर ठानी है

यहां श्री राम की मर्यादा , महाभारत की कहानी है

तो आयें साथ मिलकर सब, हमें संस्कृति बढ़ानी है

महात्मा बुद्ध से त्यागी, महावीर से ज्ञानी है

यशोधरा का विरह है तो,पन्ना की कुर्बानी है

करु वर्णन मैं भारत का तो कम लगती कई सदियां

यहां पुरुषों में नारायण,नारी में भवानी है

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 7 

कवि - डॉ परशुराम शुक्ला 

भारत माँ के अमर सपूतो, पथ पर आगे बढ़ते जाना

पर्वत, नदिया और समन्दर, हंस कर पार सभी कर जाना।।

तुममे हिमगिरी की ऊँचाई सागर जैसी गहराई है

लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममे।।

भगत सिंह, राणा प्रताप का बहता रक्त तुम्हारे तन में

गौतम, गाँधी, महावीर सा रहता सत्य तुम्हारे मन में।।

संकट आया जब धरती पर तुमने भीषण संग्राम किया

मार भगाया दुश्मन को फिर जग में अपना नाम किया।।

आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना

भारत के उन्नत ललाट को जग में ऊँचा और उठाना।।

Independence Day Poems in Hindi For Students

नीचे दी गयी यह इंडिपेंडेंस डे आज़ादी कविताएँ विद्यार्थीगण अपने स्कूल कॉलेज के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में प्रस्तुत कर सकते हियँ. यह कविताएं क्लास 10, 12, के अलावा क्लास 7, 8, 9 इत्यादि के स्टूडेंट्स भी कर सकते हैं. 

Also Check:

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 8 

कवि - रामधारी सिंह ‘दिनकर’

नमो, नमो, नमो।

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!

नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!

नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!

प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!

नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!

नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!

हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।

प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।

सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतु

हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु

पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!

तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!

दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।

सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़

कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर

करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,

अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!

प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 9 

कवि - माखनलाल चतुर्वेदी

प्यारे भारत देश

प्यारेभारत देश

गगन-गगन तेरा यश फहरा

पवन-पवन तेरा बल गहरा

क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले

चरण-चरण संचरण सुनहरा

ओ ऋषियों के त्वेष

प्यारे भारत देश।।

वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी

प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी

उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक

मानो आँसू आये बलि-महमानों तक

सुख कर जग के क्लेश

प्यारे भारत देश।।

तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे

तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!

राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी

काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी

बातें करे दिनेश

प्यारे भारत देश।।

जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे

हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे

सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं

काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं

श्रम के भाग्य निवेश

प्यारे भारत देश।।

वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे

उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे

बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा

जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,

जय-जय अमित अशेष

प्यारे भारत देश।।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 10 

कवि - मनोज मुंतशिर

सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस

मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास

बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं

धमाधम ढोल बजे

तो ऐसा ही करना 

मुझे घोड़ी पे लेके जाना

ढोलकें बजाना 

पूरे गांव में घुमाना

और मां से कहना 

बेटा दूल्हा बनकर आया है

बहू नहीं ला पाया तो क्या

बारात तो लाया है

मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी

कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना

या तिरंगे में लिपट के आना

कह देना उनसे, उनकी बात रख ली

दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई

आख़िरी गोली भी सीने पे खाई

मेरा छोटा भाई, उससे कहना 

क्या मेरा वादा निभाएगा

मैं सरहदों से बोल कर आया था

कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा

मेरी छोटी बहना, उससे कहना

मुझे याद था उसका तोहफ़ा

लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया

भाई राखी से पहले ही राख हो गया

वो कुएं के सामने वाला घर

दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना

वहीं तो रहती है वो

जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था

उससे कहना 

भारत मां का साथ निभाने में उसका साथ छूट गया

एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया

बस एक आख़िरी गुज़ारिश 

आख़िरी ख़्वाहिश

मेरी मौत का मातम न करना

मैने ख़ुद ये शहादत चाही है

मैं जीता हूं मरने के लिए

मेरा नाम सिपाही है

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 11 

कवि - अटल बिहारी वाजपेयी

इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।

इस्लाम सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।

सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।

पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।

कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे।

गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।

जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 12 

कवि - बिस्मिल अज़ीमाबादी

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है 

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार 

ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है 

वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं 

कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है 

रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में 

लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है 

शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले 

इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है

आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार 

आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है 

मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से 

ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है 

माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब 

कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है 

मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर 

सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है 

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ 

हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है 

अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़ 

सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है 

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हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 13 

कवि - सुभाषचंद्र बोस

ध्वज तिरंगा ऊँचा लहराए,
सपने सजे आकाश में,
स्वतंत्रता की गूंज सुनाए,
हर्षित हर एक मन की रेत में।

रक्त से रंजित धरती की छाँव,
वीर जवानों की अमर कहानी,
स्वतंत्रता की किरणों की छाँव,
प्राणों की बलि चढ़ाई, न मानी।

हर दिल में बसी यह खुशी,
हर आँख में चमक का जश्न,
शहीदों की याद में हम बसी,
स्वतंत्रता का यह उल्लास भरा अश्र्व।

गुलामी की जंजीरों को तोड़,
उठे हर हाथ, हर आवाज़,
स्वतंत्रता का महापर्व हो गर्व,
हम सब मिलकर गाएँ हर गीत का संजीवनी आज।

हम संकल्प लें आज संजीवनी,
हर एक बूँद को सहेजें, हर एक आह्वान को पिएं,
भारत माँ के प्रति वफादारी की,
स्वतंत्रता की वाणी को हर दिल में गाएं।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 14 

कवि - महाकवि बच्चन

स्वतंत्रता की धारा बह रही है,
हवा में खुशबू सी छा रही है,
हर दिल की धड़कन में गूंजे,
भारत माता की जय की आवाज़ है सुनाई।

काले दौर की यथार्थता को,
आज हर कोने में मिटा दिया,
सपनों के सफेद परचम को,
हर गांव और शहर में लहरा दिया।

शहीदों ने दी अपनी बलि,
धरती को स्वाधीन बनाने,
उनकी शहादत की अमर गाथा,
हर दिल में गूंजे, सबको चिताने।

हर रंग का तिरंगा बसा,
आज़ादी की मधुर धारा में,
हम सब मिलकर संकल्प लें,
राष्ट्र की प्रगति के स्वप्न में।

गौरव की इस सुबह को,
हर दिल में पायें नया चांद,
हम स्वतंत्रता की इस धारा में,
रखें शांति और प्रेम का सन्देश।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 15

कवि - सहर हुसैन

स्वतंत्रता का संगम लहराए,
ध्वज तिरंगा आसमान में चमकाए,
हर दिल में खुशी की धड़कन हो,
सपनों की दिशा आज सही पाए।

हमने देखी कितनी रातें,
सपनों की असमाप्त चाह,
शहीदों के बलिदानों की गाथा,
आज हर आँख में चिराग जलाए।

मातृभूमि की रक्षा के लिए,
लहू बहाया वीर जवानों ने,
उनकी कुर्बानी की अमर कथा,
हर दिल में प्यार की रीत सहेजे।

आज़ादी का रंग चुराया,
हर सपने में सजीव हो गया,
सपनों की धरती को सजाना,
हम सबका कर्तव्य बन गया।

गौरव और सम्मान का दिन है यह,
हर हाथ में खुशी की छाया,
स्वतंत्रता की इस धारा को,
हम सब मिलकर बनाएँ सच्चा अंबर।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 16

कवि - रामधारी सिंह 'दिनकर 

आज़ादी की रौशनी में, चमक उठा यह देश,
लहराए तिरंगा आकाश में, हर दिल में उल्लास हो बेश।
काले दिन की दास्तान को, सदा के लिए न भूलें,
शहीदों की बलिदानी गाथा, हर दिल में अमर रहे।

स्वतंत्रता की इस शाम को, सब मिलकर मनाएँ,
हर खुशी के पल में, स्वतंत्रता की धुन गाएँ।
हमने जो खोया और पाया, उसे याद करके चलें,
भविष्य की राह में, आत्मनिर्भरता के दीप जलाएँ।

ध्वज तिरंगा लहराए, सच्चाई का संकल्प लाए,
हर गांव, हर शहर में, खुशियों की बुनाई सजाए।
सपनों की माटी को सींचे, हर हाथ में हो बलिदान,
स्वतंत्रता की इस अमर धारा को, सब मिलकर सजाएँ।

शहीदों की शहादत को, सहेजें हर दिल में,
आज़ादी के इस जश्न को, मनाएं एक साथ मिलकर।
सच्चे मन से हर युवा, इस पर्व की भावना को समझे,
भारत माता के चरणों में, हम सब अपनी पहचान को बनाएँ।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 17

कवि - कन्हैयालाल नंदन

स्वतंत्रता की पुकार सुनो,
हम सबकी आवाज हो,
यह चिंगारी बुझा न पाए,
हर दिल की जलती आग हो।

वीरों की भूमि पर उगते,
चरणों की यह धूल सजीव,
कुरबानियों की गाथा यहाँ,
हर दिल में बसी है प्रीत।

गुलामी की चुप्प ने लाया,
अंधकार का घेरा था,
हमने अपने खून से लिखा,
स्वतंत्रता का सपना था।

जननी के आँचल से निकले,
वीरता की सौगात लेकर,
हर बूँद में बसाया हमने,
राष्ट्र की स्वतंत्रता को।

हम सब मिलकर संकल्प लें,
सपनों को साकार करने का,
स्वतंत्रता की इस धारा को,
रखें हमेशा बहती रहने का।

हमने जीते हैं संघर्षों से,
मातृभूमि के पवित्र आंचल पर,
आज़ादी का ये जो पर्व है,
संग लिए इसे सजाएं हमेशा।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 18

कवि - हरिवंश राय बच्चन

हमारी आज़ादी का गीत गाते,
हर दिल में उत्सव मनाते,
स्वतंत्रता की जो सुबह आई,
उसकी धूम में सवार हैं हम।

कुरबानियों की अमूल्य गाथा,
संग लाते हैं हर समय,
हमने जो संघर्ष किया था,
उसकी गूंज हर दिल में है।

नज़रें उठाकर देखो आकाश,
स्वतंत्रता की किरणें बिखर रही हैं,
हमने अपने पंख फैलाए हैं,
सपनों के आकाश में उड़ रही हैं।

मुक्ति की लहरों में बहकर,
हमने अपने भविष्य को सजाया,
स्वतंत्रता का यह अमृत पर्व,
हर मन में बसाया और निभाया।

आओ हम सब संकल्प लें,
इस स्वतंत्रता को बचाए रखें,
राष्ट्र की ऊँचाइयों को छूकर,
हम सब इसे और ऊँचा करें।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 19

कवि - अमरनाथ चंद्रवर्धन

स्वतंत्रता का अमृत पीकर,
हमने नया सूरज देखा,
सपनों की चाँदनी में,
रातों की रौशनी सजी।

वीरों की धरती पर अंकित,
स्वतंत्रता की अमर कहानी,
हमने हर अंग में सहेजा,
राष्ट्र की गाथा सजाई।

धरती पर झिलमिलाते तारे,
आज़ादी की शुभकामनाएं देते,
हमने हर धड़कन में बसा,
स्वतंत्रता का मधुर संगीत।

संघर्ष की राह पर चलते,
हमने सीखा समर्पण का पाठ,
स्वतंत्रता की इस ऊँचाई को,
हम सबने मनाया इस पर्व में।

राष्ट्र का हर दिल गाता,
स्वतंत्रता की मधुर रचना,
हमने संकल्प लिया है सच्चा,
राष्ट्र की धारा को सजाएं।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता - 20

कवि - महेंद्र भटनागर

स्वतंत्रता की आवाज़ सुनो,
गगन में गूंज रही है,
माँ के आँचल की हर छाँव में,
हर दिल को छू रही है।

सदी की इस सुबह को सजाते,
हमने हर बूँद में सीखा,
स्वतंत्रता की इस सौगात को,
हर संकल्प में सहेजा।

वीरों की बलिदान की गाथा,
धरती पर अमर हो गई,
आज़ादी का यह महापर्व,
हर हृदय में रागिनी की तरह बसी।

सपनों की ऊँचाइयों को छूकर,
हमने एक नया भारत देखा,
स्वतंत्रता के इस पर्व को,
सच्चे मन से मनाया और जिया।

हमने सीखा स्वतंत्रता का मतलब,
कुरबानियों के इतिहास से,
हर दिल में बसी है आज़ादी,
हर धड़कन में गूँजती रचनाएँ हैं। 

हम आशा करते हैं कि उपरोक्त कविताएँ आपको स्वतंत्रता दिवस के बारे में विचार और जानकारी में मदद करेंगे। इन्हें संदर्भ के रूप में उपयोग करें और स्वयं भी कविता बनाएं। कविता लेखन छात्रों कृत्रिम लेखन कौशल में सुधार करने में मदद करता है। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ!

Anisha Mishra
Anisha Mishra

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