भारत और यूरोपियन संघ के बीच 14 वी शिखर वार्ता 6 अक्टूबर को नई दिल्ली में संपन्न हुई. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूरोपियन संघ उच्च नेताओं से मिले तथा व्यापार, सुरक्षा तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श किया.
दोनों देशो के पदाधिकारियों ने महत्वाकांक्षी मुक्त व्य्पापार समझौते, जो कि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, पर भी विमर्श किया . हमने शिखर वार्तामें शामिल किये गए सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की है.
आतंकवाद
- भारत तथा यूरोपियन संघ ने आतंकवाद से लड़ने हेतु 14वीं शिखर वार्ता मई एक घोषणा पत्र का अभिग्रहण किया. यह घोषणा पत्र एक सयुंक्त वक्तव्य है जिसमे अन्तराष्ट्रीय आतंकवाद से लड़ने हेतु एक कार्य योजना है.
- नेताओं ने रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा किये गए आतंकी गतिविधियों की आलोचना की तथा चीन को सामुद्रिक प्रादेशिक विवादों को सयुंक्त राष्ट्र की कानूनी संधी के तहत एक हलफनामा भेजा.
- यह भारत तथा यूरोपियन संघ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था. यह दोनों देशो की सुरक्षा बढाने में काफी मददगार साबित होगा.
समुद्री सुरक्षा
- आतंकवाद के अलावा, सुरक्षा के क्षेत्र में भारत तथा यूरोपियन संघ ने हिन्दमहासागर में तथा उसके अलावा भी समुद्री सुरक्षा को बढाने हेतु आपसी सहयोग बढाने हेतु विमर्श किया.
- इसके अलावा अदन की खाड़ी में दोनों पक्षों की नौ सेनाओं द्वारा सामरिक अभ्यास के दुबारे आरंभ होने का स्वागत किया गया.
- समुद्री सुरक्षा में इस तरह के विकास से दोनों पक्षों के बीच सैनिक सहयोग में भी सुधार होने के अवसर बढ़ जायेंगे.
- चीन द्वारा दक्षिणी चीन सागर में की गयी कुछ आक्रामक गतिविधियों का भी सयुंक्त राष्ट्र की कानूनी संधी 1982 के तहत विमर्श किया गया.
व्यापार
- यूरोपियन संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार तथा भारत में सबसे बड़ा निवेशक है .
- भारत तथा यूरोपियन संघ का व्यापार 2016 में 88 मिलियन डॉलर था. इसके अलावा यूरोपियन संघ भारत का सबसे बड़ा निर्यातक तथा तकनीकी का एक मुख्य स्रोत रहा है.
- भारत 2000-17 के दौरान यूरोप से 83 बिलियन अमेरिकन डालर का विदेशी निवेश हासिल किया. यह भारत द्वारा इस दौरान हासिल की गई पूरे विदेशी निवेश का 24 प्रतिशत था.
- भारत और यूरोपियन संघ आपस में 2004 से सामरिक भागेदार है तथा पिछले साल ही ब्रुसेल्स में 13 वी शिखर वार्ता संपन्न हुयी थी. 13 वी शिखर वार्ता में मुक्त व्यापार समझौते को लेके विमर्श विफल हो गया था. इस बार केशिखर सम्मलेन में भी इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुयी.
आखिर में, दोनों पक्षों ने प्रतिनिधि मंडल के स्तर पर, व्यापार से जुड़े 3 मुख समझौतों पे हस्ताक्षर किये. यह समझौते निम्नलिखित हैं:
1. यूरोपियन संघ तथा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसन्धान बोर्ड का सहयोग
2. बैंगलोर मेट्रो रेल योजना भाग 2 के लिए 300 मिलियन यूरो का यूरोपियन निवेश बैंक द्वारा लोन.
3. अन्तराष्ट्रीय सौर संधी तथा यूरोपियन निवेश बैंक द्वारा भारत का सहयोग करने हेतु संयुक्त व्यक्तव्य पर सहमति.
नवीकरणीय ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन
- अन्तराष्ट्रीय ऊर्जा संस्था द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने यह दिखाया है कि बहरत की नवीकरण ऊर्जा 2022 तक बढ़कर दोगुनी हो जाएगी . इसका मतलब यह भी है कि भारत की नवीकरण ऊर्जा यूरोप की नवीकरण ऊर्जा से पहली बार ज्यादा हो जाएगी.
सरकार का डाटा दर्शाता है कि भारत कि नवीकरण ऊर्जा स्थापित करना की क्षमता 58.30 GW है. - भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी योजना इस क्षमता को 2022 तक 175 GW तक बढ़ाना है, जिसमे से 100 GW सर ऊर्जा तथा 60 GW वायु ऊर्जा होगी.
इस नवीकरण ऊर्जा का उपयोग भारत तथा यूरोपियन देशों में स्वच्छ विकास करने हेतु भी उपयोग किया जायेगा. भारत तथा यूरोपियन संघ का स्वच्छ विकास तथा जलवायु परिवर्तन पर निम्न मुद्दों पर समझौता हुआ :
1. स्वच्छ तकनीकी पर सहयोग
2. स्वच्छ विकास तंत्र
3. जलवायु परिवर्तन तथा सतत विकास से सम्बंधित कार्यनीति
निष्कर्ष :
यूरोपियन संघ की कार्यसूची में मुख्य मुद्दा मुक्त व्यापार समझौता था. जबकि भारत की तरफ से आतंकवाद तथा सुरक्षा के मुद्दों पर अधिक फोकस किया गया.
मुक्त व्यापर समझौते के तहत, डाटा की पर्याप्तता ,तथा बाजार में अधिक पहुच के ऊपर विस्तृत चर्चा की गई.
व्यापार, निवेश, विज्ञान, तकनीकी, शिक्षा , तथा नयी खोज भारत तथा यूरोपियन संघ के साझेदारी के अहम् बिंदु रहेंगे.
वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए, भारत तथा यूरोपियन संघ के लिए सुरक्षा तथा व्यापार को बढाने का सही समय है .
इसके अलावा दोनों पक्षों को एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण रखने की जरूरत है जिससे पृथकतावादी, एकपक्षीय , तथा सत्तावादी बलों को दूर किया जा सके.
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