भारतीय बैंकिंग उद्योग उन ऐसे क्षेत्रों में से एक है, जहां महिलाएं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बड़े बैंकों में एक लिपिक से लेकर चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के स्तर तक अपनी जगह बना रही हैं। यह तथ्य इस बात प्रमाण है कि महिलाएं वित्तीय दुनिया में अपने पुरुष सहकर्मियों से कमतर नहीं हैं। इस तरह की तस्वीर भारत के बाहर भी बिल्कुल अलग नहीं है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको देश के बैंकिंग उद्योग में काम कर रही कुछ शीर्ष महिला अधिकारियों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
भारत में बैंकिंग : महिलाएं हमेशा शीर्ष पर विद्यमान हैं
श्रीमती अरुंधति भट्टाचार्य से लेकर चंदा कोचर और नैना लाल किदवई तक, हमने देश में वित्तीय संगठनों के शीर्ष पदों पर कई महिलाएं देखी हैं। महिलाएं जटिल मुद्दों को संभालने में सफल रही हैं और उन्होंने संबंधित संगठनों को अच्छी तरह से निर्देशित किया है। उन्हें अपने अधीन काम कर रहे अधिकारियों द्वारा सकारत्मक समर्थन मिल रहा है । भारत में बैंकिंग क्षेत्र में काम करने वाले कुछ शीर्ष महिलाएं अधिकारियों का विवरण इस प्रकार हैं:
स्मिता भगत, हेड, डिजिटल बिज़नेस और सह-प्रमुख (को-हेड), ईकॉमर्स वर्टिकल, एचडीएफसी बैंक
इन दिनों एचडीएफसी बैंक मुख्य रूप से डिजिटल बैंकिंग से जुड़ा हुआ है और जो महिला एचडीएफसी बैंक में इसके शीर्ष पद पर काबिज है, उनका नाम है- स्मिता भगत। जब भी डिजिटल बैंकिंग से संबंधित कुछ भी बात आती है तो आदित्य पुरी को स्मिता की तरफ रूख करना पड़ता है। स्मिता भगत एक विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं और उन्होंने अपने करियर और परिवार के बीच चयन में भेदभाव नहीं किया। स्मिता भगत का मानना है कि सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक से किया जाना चाहिए चाहे वो परिवार हो या फिर ऑफिस। वह दोनों जिम्मेदारियों को समान रूप से निभा रही हैं।
आशिमा भट, हेड बिजनेस फाइनेंस एंड स्ट्रैटेजी, एडमिन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, एचडीएफसी बैंक
आशिमा भट वह महिला हैं जो देश के दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहीं हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रीमती भट्ट आरंभ से लेकर अब तक बैंक के साथ में हैं। वह शुरूआत से ही आदित्य पुरी की पंसदीदा कर्मचारियों में शामिल रही हैं। एक पंजाबी लड़की के इस पेशे में आना आसान नहीं था और खासकर तब, जब आपकी शादी महज 18 साल की उम्र में हो जाती है। उसकी मां और दादी उसके लिए ताकत के स्तंभ रहीं हैं। यही कारण है कि वह इस मामले में आदित्य पुरी के नियमों का पालन करती हैं और हर रोज शाम 5 बजे ऑफिस छोड़ देती हैं।
अनु अग्रवाल, रीजनल हेड, कॉरपोरेट बैंकिंग, कोटक महिंद्रा बैंक
बैंकिंग उद्योग में अपने साथियों के विपरीत, यह महिला हर रोज घर पर काम करती थी। जब टाटा और बिरला जैसे आपके ग्राहक हों तो यह असामान्य बात नहीं होती है। इसने उन्हें न केवल बैंकिंग क्षेत्र के बारे में सोचने को मजबूर किया बल्कि बैंकिंग से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया है। अग्रवाल देश में ब्लू चिप कंपनियों के लिए एक स्टॉप सॉल्यूशन तैयार करने में व्यस्त हैं। देश में शीर्ष निजी क्षेत्र के उधारदाताओं में से एक की वर्टिकल हेड होने के कारण उनके पास लेनदेन और निष्पादन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं जिसमें वह दक्ष भी हैं। उनकी दक्षता मुख्य रूप से कार्य की प्राथमिकता और प्रभावी समय प्रबंधन से संबंधित है।
चित्रा पांड्या, कंट्री हेड, लाइबल्टीज एंड कार्ड्स बिजनेस, एचएफडीएफसी
चित्रा पांड्या की कहानी थोड़ा अलग है क्योंकि उन्हें अपनी बेटी की देखभाल करने के लिए विश्राम लेना पड़ा था । हालांकि वह एकमात्र ऐसी महिला नहीं हैं जिन्होंने इस्तीफा देने के बाद फिर से नौकरी ज्वाइन की। अपनी बेटी की देखभाल करने के बाद वह काम पर वापस लौंटी क्योंकि वह बदलते हुए बिजनेस की बारीकियां जानने को उत्सुक थी। आज वह देश के बैंकिंग उद्योग की सबसे सफल अधिकारियों में से एक है। पांड्या ने कभी अपने घर पर नियंत्रण नहीं खोया, भले ही कभी- कभार कार्यस्थल पर नियंत्रण न हो। उनका बचपन गरीबी में बीता था। एक तमिल परिवार में पढ़ी बली चित्रा की शादी उत्तर भारतीय परिवार में हुई। शादी करने के बाद उन्हें काफी एडजस्ट करना पड़ा। हालांकि, इस मेहनती महिला के आगे ये परेशानियां कुछ भी नहीं थी।
एक बेहद ही कमजोर पृष्ठभूमि से होने के बावजूद भी वह हाल ही में मुंबई में 7000 वर्ग फुट के एक विशाल बंगले में शिफ्ट हो गयी हैं।
रेनु सूद कर्नाड, एचडीएफसी बैंक की प्रबंध निदेशक
रेनु सूद कर्नाड एचडीएफसी बैंक की मौजूदा प्रबंध निदेशक हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर्स की डिग्री पूरा करने के बाद उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। बाद में उन्हें अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, वुडरो विल्सन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस, से प्रिविन फेलो होने का सम्मान भी प्राप्त हुआ। कर्नाड 1978 से बैंक के साथ कार्य कर रही हैं और 1 जनवरी 2010 को उन्हें एमडी के रूप में पदोन्नत किया गया था। कर्नाड बैंक में संचार और मानव संसाधन पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्हें मशहूर अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा एशिया की शीर्ष दस महिलाओं में शामिल किया गया था।
जब एक परिवार की वित्तीय देखभाल करने वालों की बात आती है तो महिलाओं को प्राकृतिक रूप से बैंकर माना जाता है। इन दिनों वित्तीय जगत में भी महिलाओं का बोलबाला है। भारतीय समाज में एक महिला होने के नाते, ऐसे पदों पर पहुंचने में महिलाओं की किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। आपको एक महिला के रूप में कई जिम्मेदारियों का वहन करना पड़ता है। और जाहिर है कि किसी बैंकिंग मामलों का प्रबंध करना किसी भी महिला के लिए एक प्राकृतिक जिम्मेदारी के रूप में नहीं गिना जाता है, लेकिन इसे अक्सर एक पसंद के रूप में जरूर वर्णित किया जाता है। हालांकि, इन महिलाओं ने अपना वर्चस्व साबित कर जीवन की एक नई परिभाषा गढ़ी है।
एक गिरते हुए लिंगानुपात वाले देश के रूप में मां- बाप इस बात पर ध्यान रखें कि बेटिंयां भी उनके लिए गर्व का कारण बन सकती हैं। इसलिए उन मां बाप को बेटियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जो उनकी भ्रूण हत्या करना चाहते हैं। अक्सर यह भी कहा जाता है: "हर सफल व्यक्ति के पीछे, एक महिला का हाथ होता है।"
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