भारत में मेडिसिन की फील्ड में करियर प्रोस्पेक्ट्स और स्कोप

May 8, 2020, 12:46 IST

भारत में मेडिसिन की फील्ड में आपके लिए करियर के बेहतरीन अवसर मौजूद हैं. इस आर्टिकल में हम आपके लिए मेडिसिन की फील्ड में उपलब्ध करियर प्रोस्पेक्टस और करियर स्कोप के बारे में समुचित जानकारी पेश कर रहे हैं

Career in Medicine: Prospects & Opportunities
Career in Medicine: Prospects & Opportunities

हमारे देश भारत में मेडिसिन की फील्ड में करियर बनाना बहुत सम्मानजंक माना जाता है और अक्सर अधिकतर स्टूडेंट्स मेडिकल लाइन में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं. इसी तरह, अधिकतर बच्चे अपने बचपन में डॉक्टर बनने का सपना जरुर देखते हैं. डॉक्टर और नर्स के अलावा भी, मेडिकल लाइन में कई खास करियर ऑप्शन्स हैं जिनमें सैलरी पैकेज और करियर ग्रोथ की संभावनाएं भी काफी अधिक हैं. यहां तक कि हमारे देश में मेडिसिन की फील्ड में अपना कारोबार शुरू करने पर भी आपको अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा हासिल हो सकता है. लेकिन, मेडिसिन में अपना करियर बनाने के लिए आपको विभिन्न मेडिकल कॉलेजेज और यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेने के लिए नीट, यूजी और पीजी जैसे विभिन्न एंट्रेंस एग्जाम्स पास करने होंगे. इस आर्टिकल में हम आपके लिए मेडिसिन की फील्ड से जुड़ी सारी समुचित जानकारी पेश कर रहे हैं ताकि आप इस जानकारी के आधार पर अपने करियर के संबंध में सटीक निर्णय ले सकें.    

मेडिसिन स्टडीज के लिए एलिजिबिलिटी

भारत में मेडिकल स्टडीज में एडमिशन लेने के लिए, आपको अपने हाई स्कूल लेवल में साइंस स्ट्रीम में पढ़ाई करनी होगी. इसके अलावा, अपनी 11वीं और 12वीं क्लास में आपको बायोलॉजी, फिजिक्स तथा केमिस्ट्री भी मुख्य विषय के तौर पर पढ़ने होंगे.

मेडिसिन: भारत में एंट्रेंस एग्जाम्स

भारत के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में स्टूडेंट्स को एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम अर्थात नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट या नीट में उनके प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है. नीट एंट्रेंस एग्जाम दो वर्जन्स या फॉर्मेट्स अर्थात नीट यूजी/ अंडरग्रेजुएट या नीट पीजी/ पोस्टग्रेजुएट के तौर पर आयोजित किया जाता है. प्रत्येक वर्ष, लगभग 7 लाख मेडिकल फील्ड के इच्छुक कैंडिडेट्स पूरे भारत के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों द्वारा ऑफर की जा रही कुल 52,000 सीट्स के लिए नीट यूजी एग्जाम में शामिल होते हैं. 

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  एमबीबीएस के बाद करियर स्कोप

कुल 5 वर्ष या 5 वर्ष और 6 महीने में अपनी एमबीबीएस एजुकेशन पूरी करने के बाद, आपको अपनी मास्टर डिग्री करने के लिए एक स्पेशलाइजेशन चुनना होता है. आपको किसी स्पेशलाइज्ड फ़ील्ड में ग्रेजुएट बनने और मेडिकल प्रैक्टिशनर के तौर पर काम करने के लिए रेजीडेंसी प्रोग्राम ज्वाइन करना होता है. उदाहरण के लिए, आप मेडिसिन के डॉक्टर बन सकते हैं जोकि एक स्पेशलाइजेशन है और उसे एमडी के तौर पर भी जाना जाता है. इसी तरह, आप एक स्पेशलाइजेशन के तौर पर मास्टर ऑफ़ सर्जन बन सकते हैं जिसे एमएस के तौर पर जाना जाता है. आमतौर पर किसी भी स्पेशलाइजेशन को पूरा करने के लिए 3 वर्ष का समय लगता है. असल में, उक्त स्पेशलाइजेशन के लिए भी आपको एक एंट्रेंस एग्जाम पास करना होता है जिसे नीट पोस्टग्रेजुएशन एग्जाम कहते हैं.   

मेडिकल स्पेशलाइजेशन के बाद करियर स्कोप

जब आप अपनी मास्टर डिग्री या स्पेशलाइजेशन कोर्स पूरा कर लेते हैं तो आप सुपर स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं. यह कोर्स दो वर्ष या दो से अधिक वर्षों की अवधि में पूरा होता है और इसके बाद आप डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन (डीएम) या मास्टर ऑफ़ चिरुरजी (एमसीएच) अर्थात एडवांस्ड सर्जरी में क्वालिफाइड हो जाते हैं.

मेडिकल स्पेशलाइजेशन: टॉप ब्रांचेज

स्पेशलाइजेशन की कई ब्रांचेज हैं जो आप एमडी या एमएस की डिग्री के तहत पढ़ सकते हैं. एमडी के तहत आप

  • न्यूरोलॉजी,
  • पैथोलॉजी,
  • एंडोक्राइनोलॉजी,
  • रेडियोलॉजी,
  • पेडियाट्रिक्स,
  • ऑब्सटेट्रिक्स एंड
  • गाइनीकॉलॉजी और

अन्य कई संबद्ध विषय पढ़ सकते हैं. मास्टर ऑफ़ सर्जरी के तहत आप प्लास्टिक सर्जरी, पेडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियक सर्जरी, ईएनटी, गाइनीकॉलॉजी आदि कई संबद्ध विषय पढ़ सकते हैं.

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भारत में मेडिसिन की फील्ड में सैलरी पैकेज

इसके पीछे एक कारण है यह भी है कि हमारे देश के लोग डॉक्टर बनने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं. न केवल यह पेशा मानवीय और आत्मिक स्तर पर काफी संतोष देता है बल्कि यह पेशा आपके लिए आर्थिक तौर पर भी काफी फायदेमंद साबित होता है. शुरू में, जब डॉक्टर्स अपनी पोस्टग्रेजुएशन या सुपर स्पेशलाइज्ड एजुकेशन पूरी कर लेते हैं, उन्हें किसी प्राइवेट हॉस्पिटल से अच्छा ऑफर मिलता है या फिर, वे अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं अथवा वे किसी मेडिकल कॉलेज में एक लेक्चरर के तौर पर पढ़ा सकते हैं और उन्हें ज्यादा अनुभव प्राप्त होता है. टीचिंग प्रोफेशन में डॉक्टर्स रु. 30000/- से रु.50000/- तक प्रति माह कमा सकते हैं.

जहां तक एमएस अर्थात मास्टर ऑफ़ सर्जन की बात है तो जो व्यक्ति भी अपनी एमएस की डिग्री प्राप्त कर लेता है, निश्चित तौर पर उस व्यक्ति की कमाई भी काफी होगी. एक बार जब आपको अपनी फील्ड में काफी कार्य-अनुभव हो जाता है तो आप प्राइवेट प्रैक्टिस या गवर्नमेंट जॉब में निश्चित तौर पर काफी बढ़िया कमाई कर सकते हैं. दरअसल, उक्त पेशे में कमाई की कोई अधिकतम सीमा निश्चित नहीं की जा सकती है तथा यह पेशेवर की योग्यता और कार्य अनुभव पर पूरी तरह निर्भर करती है.

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