मदर्स डे पर निबंध 2025: मातृ दिवस के लिए निबंध हिन्दी में - Mother's Day Essay in Hindi

मातृ दिवस हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, जो माँ के प्रेम, त्याग और योगदान को सम्मान देने का एक विशेष अवसर है। यह दिन माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है, जहाँ बच्चे उन्हें उपहार, शुभकामनाएँ और स्नेह भरे शब्दों से खुश करते हैं। मातृ दिवस की शुरुआत अमेरिका की अन्ना जार्विस द्वारा की गई थी और आज यह दिन विश्वभर में माँ के सम्मान में मनाया जाता है। मातृ दिवस पे निबंध पढ़ने के इस लेख को पूरा पढ़े 

May 8, 2025, 13:21 IST
Mother's Day Essay in Hindi
Mother's Day Essay in Hindi

मातृ दिवस एक विशेष अवसर है, जो माँ के त्याग, प्रेम और समर्पण को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है और यह माँ के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम बन गया है। माँ हमारे जीवन की पहली शिक्षक, मित्र और मार्गदर्शक होती है। उनका स्नेह और सेवा अमूल्य होती है, जिसे किसी एक दिन में पूरा चुकता नहीं किया जा सकता। इस दिन बच्चे अपनी माँ को उपहार, शुभकामनाएँ, और प्यार भरे संदेश देते हैं।

मातृ दिवस की शुरुआत अमेरिका में अन्ना जार्विस द्वारा की गई थी, जिन्होंने अपनी माँ की स्मृति में इसे मनाना शुरू किया। आज यह दिन विश्वभर में माँ के सम्मान में मनाया जाता है। भारत में भी अब यह दिन विद्यालयों और घरों में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मातृ दिवस का उद्देश्य केवल एक दिन माँ को सम्मान देना नहीं है, बल्कि यह याद दिलाना है कि माँ का स्थान जीवन में सबसे ऊँचा है और हमें उन्हें प्रतिदिन आदर देना चाहिए। मातृ दिवस पे निबंध पढ़ने के इस लेख को पूरा पढ़े 

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Mother's Day Essay in Hindi (मातृ दिवस के लिए निबंध)

मातृ दिवस पर निबंध (250 शब्द)

माँ का जीवन में स्थान सर्वोच्च होता है। वह न केवल हमें जन्म देती है बल्कि हमारे जीवन की पहली गुरु भी होती है। माँ के त्याग, प्रेम और समर्पण को सम्मानित करने के लिए हर साल *मई के दूसरे रविवार* को *मातृ दिवस* मनाया जाता है। मातृ दिवस की शुरुआत अमेरिका में अन्ना जार्विस द्वारा की गई थी। उन्होंने अपनी माँ के निधन के बाद माताओं के सम्मान में यह दिन मनाने की पहल की। 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी। इसके बाद यह दिवस विश्वभर में लोकप्रिय हुआ।

भारत में भी यह दिन अब विशेष रूप से मनाया जाता है। स्कूलों में विशेष कार्यक्रम, भाषण, कविता पाठ और नाटक आयोजित किए जाते हैं। बच्चे अपनी माँ को उपहार, कार्ड और प्यार भरे शब्दों से खुश करते हैं। माँ का प्यार निःस्वार्थ होता है। वह अपने बच्चों के लिए हर कठिनाई सहती है और हमेशा उनका भला चाहती है। माँ हमारी पहली शिक्षक होती है, जो हमें अच्छे संस्कार, नैतिकता और अनुशासन सिखाती है। इस दिन का उद्देश्य माँ के प्रति हमारे प्रेम और कृतज्ञता को व्यक्त करना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी माँ को प्रतिदिन सम्मान देना चाहिए।

मातृ दिवस पर निबंध (500 शब्द)

"ईश्वर हर जगह नहीं हो सकता, इसलिए उसने माँ बनाई।" यह कहावत माँ के महत्व को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। माँ का स्थान दुनिया में सबसे ऊँचा होता है। उसका स्नेह, त्याग और सहनशीलता उसे विशेष बनाती है। इसी भावना को समर्पित है मातृ दिवस, जो हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। मातृ दिवस की औपचारिक शुरुआत अमेरिका में हुई थी। अन्ना जार्विस ने अपनी माँ की स्मृति में यह दिन मनाना शुरू किया। उन्होंने माँ के त्याग और योगदान को समाज के सामने लाने का संकल्प लिया। वर्ष 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया।

भारत में पारंपरिक रूप से माँ को देवी का स्थान प्राप्त है। यहाँ हर दिन माँ के चरणों में समर्पित होता है, परंतु पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से अब मातृ दिवस भी भारत में मनाया जाता है। इस दिन बच्चे अपनी माँ को उपहार, फूल, पत्र और भावनात्मक संदेश देते हैं। विद्यालयों और संस्थानों में भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। माँ हमारे जीवन की आधारशिला होती है। वह हमारे जीवन की पहली गुरु होती है, जो हमें चलना, बोलना, सोच समझकर निर्णय लेना सिखाती है। माँ निःस्वार्थ प्रेम का सर्वोत्तम उदाहरण है। वह अपने बच्चों के लिए हर कठिनाई सहन करती है, परंतु कभी शिकायत नहीं करती।

  • त्याग: माँ अपने बच्चों के लिए अपने सुखों का त्याग कर देती है।
  • धैर्य:चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति हो, माँ हमेशा धैर्य रखती है।
  • प्रेम: माँ का प्रेम बिना शर्त होता है, जो कभी खत्म नहीं होता।
  • संस्कार: माँ बच्चों को अच्छे संस्कार देने का कार्य करती है।

मातृ दिवस माँ के योगदान को सराहने का एक विशेष दिन है। यह हमें माँ के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। यह दिन माँ के बिना जीवन की कल्पना करने के भाव को भी उजागर करता है। माँ न केवल एक परिवार की धुरी होती है, बल्कि समाज निर्माण में भी उसकी अहम भूमिका होती है। वह भावी पीढ़ी को संस्कार देती है, जो एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सहायक होती है। मातृ दिवस हमें यह सिखाता है कि माँ केवल जन्म देने वाली नहीं, बल्कि एक संपूर्ण शिक्षिका, मार्गदर्शक और संरक्षक होती है। हमें माँ का आदर सिर्फ एक दिन नहीं, हर दिन करना चाहिए। माँ को दिए गए प्रेम और सम्मान से बड़ा कोई उपहार नहीं होता।

मातृ दिवस पर निबंध (1000 शब्द)

माँ" – यह केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसी भावना है जो हमारे जन्म से पहले ही हमारे जीवन में प्रवेश कर जाती है। माँ हमारे अस्तित्व की जननी है, वह प्रेम, त्याग, ममता, सहनशीलता और बलिदान की मूर्त रूप होती है। माँ का हमारे जीवन में जो स्थान है, उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वह केवल एक जन्म देने वाली नहीं, बल्कि जीवन की सबसे पहली शिक्षक, मार्गदर्शक, मित्र और प्रेरणा होती है। माँ के इसी अविस्मरणीय योगदान को श्रद्धा से स्मरण करने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने हेतु हर वर्ष *मई के दूसरे रविवार* को *मातृ दिवस (Mother’s Day)* मनाया जाता है।

मातृ दिवस की शुरुआत अमेरिका में अन्ना जार्विस (Anna Jarvis) नामक महिला द्वारा की गई थी। उनकी माँ एन रिव्स जार्विस (Ann Reeves Jarvis) समाज सेवा में सक्रिय थीं और उन्होंने "Mother's Day Work Clubs" की स्थापना की थी, जिनका उद्देश्य माताओं को बच्चों की देखभाल, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी सहायता प्रदान करना था। उनकी मृत्यु के बाद, अन्ना जार्विस ने माँ के योगदान और महत्व को सार्वभौमिक रूप से मान्यता दिलाने के लिए एक दिन समर्पित करने की माँग की।

1908 में पहला मातृ दिवस अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में मनाया गया, और धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई। 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस के रूप में राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया। आज यह दिन अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत सहित कई देशों में मनाया जाता है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ माँ को देवी का स्थान प्राप्त है। हमारी संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में माँ को ‘मातृदेवो भव’ के रूप में सम्मानित किया गया है। यहाँ माँ को शक्ति, करुणा और सृजन की प्रतीक माना जाता है। हालाँकि मातृ दिवस की शुरुआत पाश्चात्य संस्कृति से हुई है, लेकिन भारत में भी इस दिन को अब बड़े प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। बच्चों द्वारा माँ के लिए उपहार, कविता पाठ, नृत्य, नाटक आदि की प्रस्तुति आम हो गई है। स्कूलों में निबंध प्रतियोगिताएँ, भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से माँ के महत्व को उजागर किया जाता है।

माँ का योगदान केवल जन्म देने तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह जीवन भर हमारी देखभाल, मार्गदर्शन और रक्षा करती है। जब हम जीवन के प्रारंभिक चरण में असहाय होते हैं, तो माँ हमें चलना, बोलना, समझना, और जीना सिखाती है। माँ के संरक्षण में हम जीवन के पहले पाठ सीखते हैं। माँ की ममता और स्नेह भरी गोद दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह होती है। माँ की भूमिका एक ही समय में कई रूपों में होती है – वह शिक्षक, डॉक्टर, रसोइया, मैनेजर, काउंसलर, और सबसे महत्वपूर्ण, एक सच्ची मित्र होती है। वह अपने बच्चों के लिए हर प्रकार की तकलीफ सहती है लेकिन कभी शिकायत नहीं करती। एक माँ अपने बच्चों के लिए खुद की इच्छाओं, करियर और सपनों तक का त्याग कर देती है, केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके बच्चों का जीवन बेहतर बने।

निःस्वार्थ प्रेम: माँ का प्यार बिना किसी शर्त के होता है। वह अपने बच्चों से सच्चा प्रेम करती है, चाहे वह जैसे भी हों।

त्याग की प्रतिमूर्ति: माँ अपने आराम, इच्छाओं और खुशियों को त्याग कर बच्चों को सुखी देखने में अपनी खुशी ढूँढ़ती है।

संस्कारदाता: एक माँ अपने बच्चों को अच्छे-बुरे की समझ, नैतिक मूल्य और संस्कार सिखाती है।

सहनशीलता का उदाहरण: चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ क्यों न हों, माँ बिना थके, बिना शिकायत के अपने परिवार को सँभालती है।

प्रेरणा स्रोत: माँ बच्चों को कठिन समय में धैर्य रखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

मातृ दिवस एक ऐसा अवसर है जो हमें माँ के प्रति अपने प्रेम और कृतज्ञता को प्रकट करने का मौका देता है। यद्यपि माँ के योगदान को एक दिन में समेटा नहीं जा सकता, फिर भी यह दिन हमें यह सोचने पर विवश करता है कि हम अपनी माँ को कितना महत्व देते हैं। आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग माता-पिता को समय नहीं दे पाते। ऐसे में मातृ दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि माँ के स्नेह और त्याग को न भूलें और उन्हें वह सम्मान दें जिसकी वह हकदार हैं।

  • माँ के साथ पूरा दिन बिताएँ और उन्हें विशेष महसूस कराएँ।
  • उनके लिए अपने हाथों से कोई उपहार बनाएं, जैसे कि एक सुंदर कार्ड, कविता या चित्र।
  • उनके पसंदीदा व्यंजन खुद बनाकर उन्हें परोसें।
  • माँ के साथ उनकी यादों की यात्रा पर जाएँ, पुराने फोटो एल्बम देखें।
  • सोशल मीडिया पर माँ को समर्पित कोई पोस्ट या वीडियो साझा करें (यदि माँ को पसंद हो)।
  • सबसे महत्वपूर्ण: उन्हें यह बताएं कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं।

एक माँ न केवल एक परिवार की धुरी होती है, बल्कि वह राष्ट्र निर्माण की नींव भी होती है। एक सशक्त, शिक्षित और संस्कारी माँ ही ऐसे नागरिकों को जन्म देती है जो एक सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र की नींव रखते हैं। जब एक माँ अपने बच्चों को ईमानदारी, करुणा और अनुशासन के संस्कार देती है, तो वह अनजाने में समाज को बेहतर बना रही होती है। अतः माताओं को शिक्षित और सशक्त बनाना समाज और राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक है।

माँ केवल एक रिश्ता नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। माँ का स्थान संसार में कोई नहीं ले सकता। उसका प्रेम अनमोल, त्याग अतुलनीय और योगदान अमिट होता है। मातृ दिवस हमें इस बात का अवसर देता है कि हम माँ के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को खुले दिल से प्रकट कर सकें। परंतु यह प्रेम और आदर केवल एक दिन तक सीमित न रहकर हर दिन हमारे व्यवहार में झलकना चाहिए। माँ को मुस्कराते हुए देखना ही सच्चा मातृ दिवस है।

"जिस घर में माँ होती है, वहाँ भगवान स्वयं वास करते हैं।"

Anisha Mishra
Anisha Mishra

Content Writer

Anisha Mishra is a mass communication professional and content strategist with a total two years of experience. She's passionate about creating clear, results-driven content—from articles to social media posts—that genuinely connects with audiences. With a proven track record of shaping compelling narratives and boosting engagement for brands like Shiksha.com, she excels in the education sector, handling CBSE, State Boards, NEET, and JEE exams, especially during crucial result seasons. Blending expertise in traditional and new digital media, Anisha constantly explores current content trends. Connect with her on LinkedIn for fresh insights into education content strategy and audience behavior, and let's make a lasting impact together.
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