किसी भी प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई कर लेने के बाद उद्योग जगत की जानकारी तथा निश्चित माहौल में काम करने की प्रैक्टिस के लिए इंटर्नशिप बहुत जरुरी है.
वस्तुतः इंटर्नशिप से सही माहौल में अपने चुने हुए इंडस्ट्री में काम करने के अवसर से इन्टर्न को सही एक्सपोजर मिलता है. वे जिस क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं, उस क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी के साथ साथ अपने फील्ड के विषय में एक स्पष्ट आइडिया मिलता. इंटर्नशिप से एकेडमिक्स में भी बहुत मदद मिलती है क्योंकि इंटर्नशिप से उनके अनुभव में वृद्धि होती है तथा वे यह जानने में सक्षम होते हैं कि किसी भी सिद्धांत पर व्यावहारिक सेटअप में कैसे काम किया जा सकता है ? नीचे संक्षिप्त में यह बताने का प्रयास किया गया है कि इंडस्ट्री बेस्ड इंटर्नशिप क्यों महत्वपूर्ण हैं :-
1. उद्योग आधारित इंटर्नशिप का मतलब है उद्योग जगत की एक लोकप्रिय कंपनी और कॉलेज के बीच सहयोग. यह सहयोग कई तरह से उद्योग और कॉलेज दोनों को मदद करता है. एक तरफ कंपनी प्रशिक्षण और इंटर्नशिप के दौरान काम करने के तरीकों पर जोर देते हुए कैंडिडेट को नए माहौल में काम करना सीखाती है वहीं दूसरी तरफ कॉलेज की चहारदिवारी से बाहर प्रेशर के माहौल में किस तरह काम करना है ? छात्र यह सीखते हैं. वास्तव में यह थियरी और प्रैक्टिस के बीच की कड़ी है जो छात्रों को उद्योग जगत की जटिलताओं को समझने में मददगार साबित होती है.

2. इससे बड़े कंपनी में इंटर्नशिप पाने की चिंता से छात्रों को मुक्ति मिलती है. कॉलेज का इंडस्ट्री बेस्ड अच्छे कंपनियों से टाईअप होने से छात्रों को अपने इंटर्नशिप की चिंता नहीं रहती है. कॉलेज का इंडस्ट्री बेस्ड अच्छे कंपनियों से टाईअप छात्रों की इंटर्नशिप पाने की आम समस्याओं का समाधान करता है ताकि वे बिना किसी घबराहट के अध्ययन कर सकें.
3. शिक्षक भी उद्योग की जरूरतों को समझते हैं और अपने पाठ्यक्रम और शिक्षण शैली को उसके अनुरूप ढालते हैं. मीटिंग के जरिये सेमेस्टर समाप्ति के बाद उनके छात्रों के इंटर्नशिप की योजना बनायी जाती है. अतः इस दौरान प्रक्रिया और संक्रमण को और आसान बनाने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि शिक्षकों को यह जानकारी होनी चाहिए कि उन्हें क्लास में क्या सिखाना है ?
4. इंटर्नशिप की पूरी प्रक्रिया छात्रों को अधिक व्यावहारिक बनाती है क्योंकि इस समय उनके कार्य परिणाम उन्मुख होते हैं. यह समय वे महाविद्यालय में जिन अवधारणाओं के बारे में सीखे होते हैं उन्हें लागू करने का समय होता है.इसमें समस्याओं का विश्लेषण करना और उन्हें चरणबद्ध तरीके से हल करना शामिल है.वे संगठनों के लक्ष्यों के बारे में सीखते हैं और वे इसे प्राप्त करने में सहयोग करने हेतु वे कैसे कार्य कर सकते हैं?आदि के बारे में जानते हैं. एक पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में काम करते समय, उनका KRAs सेट किया जाता है.
5. इंटर्नशिप के दौरान छात्र बहुत कुछ सीखते हैं. वे अन्य व्यावसायिक गुणों, ऑफिस एटिकेट्स एवं वर्क बिहैवियर को सीखते हैं. वे सीखते हैं कि कैसे मेलों का जवाब देना है ? ड्रेस अप कैसे हों और अपने सीनियर से किस तरह से बात करनी चाहिए ? इस तरह के अनुभव जब वे कॉलेज के बाद किसी इंडस्ट्री में अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहे होते हैं उस समय बहुत काम आते हैं.
6. इंटर्नशिप के दौरान छात्र आपना कनेक्शन बनाते हैं और भविष्य में जब वे नौकरियों की तलाश कर रहे होते हैं उस समय यह उनकी मदद करता है. जिन लोगों के साथ वे काम किये होते है वे इन्टरव्यू या ज्वाइनिंग के समय रेफरेंस के रूप उनका नाम देते हैं ताकि नियोक्ता को उनके प्रोफेशनल क्वालिटी के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके.
7. इंटर्नशिप से छात्रों को जीवन की आम समस्याओं के समाधान का तरीका पता चलता है. यह उन्हें बढ़ते हुए आत्मविश्वास के साथ अनपेक्षित चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है ताकि वे सफलतापूर्वक बाधाओं को पार कर सकें और साथ ही व्यावहारिक कठिनाइयों को भी समझ सकें.
8. प्रोफेशनल स्टेटस भी छात्रों को एक दूसरेके के विचारों को समझने में सहयोगी होते हैं. इससे वे जानते हैं कि हर किसी के पास एक निश्चित मुद्दे पर अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है और उसका सम्मान तथा मूल्याङ्कन करना चाहिए. कक्षा के विपरीत, कार्यालय एक ऐसी जगह है जहां आपको अपनी बातें तथ्यों और आंकड़ों से सिद्ध करने की जरुरत पड़ती है.