कॉलेज में किया जाने वाला रिसर्च, छात्रों को प्रकाशित पेपर्स को बेहतर ढंग से समझने, टीम भावना के साथ काम करने की कला सीखाने के साथ साथ व्यक्तिगत रूप से उनके लिये लाभदायक क्षेत्रों का निर्धारण के अतिरिक्त शोधकर्ता के रूप में करियर की शुरुआत करने की दिशा प्रदान करता है. शोध प्रक्रिया के दौरान छात्र इसके विकसित और विशाल क्षेत्र की पहचान करते हैं और आगे चलकर उसी विषय में फैकल्टी पदों के लिए आवेदन भी करते हैं.
यदि किसी की विचारधारा को पिछले अध्ययनों द्वारा सिद्ध किया गया हो या समर्थन किया गया हो और अभी भी ज्ञान के रूप में इसकी पुष्टि करना बाकी हो,तो इस तथ्य का पता लगाना जरुरी हो जाता है. इसके अलावा रिसर्च छात्रों को कक्षा में पढ़ाये जाने वाले अवधारणाओं की बेहतर समझ प्रदान करने के साथ साथ इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करता हैं.
कोई भी विश्वविद्यालय अनुसंधान शिक्षण और अध्यापन को शैक्षणिक संस्कृति का एक अभिन्न अंग बनाता है. विश्वविद्यालय में होने वाली अनुसंधान गतिविधियाँ छात्रों और फैकल्टी के लिए हायर स्टडी और रिसर्च करने हेतु रचनात्मक माहौल प्रदान करती हैं. कुछ यूनिवर्सिटीज द्वारा हमेशा राष्टीय हितों को ध्यान में रखते हुए आत्म निर्भरता और तकनिकी क्षमता के विकास पर विशेष जोर दिया जाता है.
कई छात्र और शिक्षक विज्ञान से लेकर इंजीनियरिंग और प्रबंधन जैसे विषयों में अनुसंधान करने के साथ साथ मौलिक अनुसंधान (फंडामेंटल रिसर्च) और लाइव परियोजनाओं (लाइव प्रोजेक्ट) में भाग लेते हैं.
छात्रों के भविष्यगामी विकास को देखते हुए कई यूनिवर्सिटी अंतःविषयक अनुसंधान ( इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च) को भी प्रोत्साहन देने का प्रयास करती हैं.
बहुत सारी भारतीय यूनिवर्सिटी वित्त पोषित कंपनियों के लिए विस्तृत रुपरेखा या प्रस्ताव तैयार करने की दिशा में प्रारम्भिक स्तर पर अनुसंधान और विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने के लिए फैकल्टी को कुछ अनुदान प्रदान करती है. इसके अतिरिक्त क्रॉस अनुशासनिक अनुसंधान समूहों (क्रॉस डिसिप्लिनरी रिसर्च ग्रुप) से सम्बंधित विशेष क्षेत्रों में रिसर्च हेतु फंड भी मुहैया कराती है.
यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विभिन्न विषयों जैसे इर्गोनोमिक्स कंसीडरेशन इन वेल्डिंग प्रोसेस एंड पोजीसन, इन्फोर्मेशन रिट्रीवल, कंज्यूमर प्रिफरेंस ऑफ कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स : अ कॉनज्वाइंट एनालिसिस, अ रोल ऑफ मोरल इमोशंस एंड इंडिविजुअल डिफरेंसेज इन कंज्यूमर रिसपोंसेज टू गवर्नमेंट ग्रीन एंड नॉन ग्रीन एक्शन ओवर द इयर्स आदि के क्षेत्र में प्रशंसनीय शोध किया है.
रिसर्च कोलेबोरेशन के लिए मुख्य तकनिकी क्षेत्र
- प्रायोजित अनुसंधान और विकास परियोजनाएं·कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट्स·उद्योगों में आर एंड डी की भागीदारी
- आर एंड डी संगठन
- अनुसंधान और विकास की शुरुआत हेतु सीड (बीज) ग्रांट (अनुदान)
- प्रकाशन और सूचना प्रसार
कुछ यूनिवर्सिटीज में प्रायोजित परियोजनाओं की सूची निम्नांकित है -
- धातु बनाने की प्रक्रिया के ट्राइबोलॉजी
- पतली फिल्म सामग्री (थिन फिल्म मटीरियल्स)
- धातु फोम ( मेटेलिक फोम) और कंपोजिट का विकास और उसके लक्षणों का वर्णन
- विनिर्माण के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि
शैक्षणिक अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए बाह्य अभिविन्यास -
धरती पर आने वाले भूकंपों से जुड़े सब सरफेस वीएलएफ इलेक्ट्रिक फील्ड एमिसन का अध्ययन
कार्बनिक इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का विकास और विशेषता
एक समुचित अनुसंधान प्रक्रिया को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण संसाधनों जैसे अनुभवी फैकल्टी, वैज्ञानिक,ग्रेजुएट,पोस्ट ग्रेजुएट,पीएचडी छात्र, आधुनिक सुख सुविधाओं से संपन्न लाइब्रेरी आदि सभी का ध्यान लगभग सभी भारतीय यूनिवर्सिटी में पर्याप्त रूप से रखा जाता है.
कुछ महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी, कोलकाता यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी तथा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर इंजीनियरिंग एंड एप्लीकेशन, डिपार्टमेंट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी, डिपार्टमेंट ऑफ मैथमेटिक्स, डिपार्टमेंट ऑफ केमेस्ट्री, डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स, डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश फॉर इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड साइंस एंड ह्यूमेनिटीज आदि विभाग में शोध कार्य किया जा रहा है.
इसके अतिरिक्त इन विश्वविद्यालयों के छात्रों द्वारा फार्मास्युटिकल अनुसंधान संस्थान और बिजनेस मैनेजमेंट संस्थान के लिए भी रुचिकर और ज्ञानवर्धक शोध किये जा रहे हैं.
संगठनों और उद्योगों के बीच अनुसंधान और संचार के महत्व को पहचानते हुए आजकल कुछ यूनिवर्सिटीज ने अन्य विदेशी प्रतिष्ठित शैक्षणिक संगठनों के साथ सुदृढ़ संस्थागत संबंधों की शुरुआत कर उनके साथ टाईअप किया है.
अतः छात्रों के क्रिएटिविटी को बढ़ाने तथा उनके थिंकिंग अप्रोच को वास्तविकता में बदलने के लिए अनुसंधान परक गतिविधियों पर जोर देना आज के समय की मांग है. साथ ही इस दिशा में विश्वविद्यालय तथा छात्र दोनों को सामान रूप से उत्सुक तथा कुछ नया करने की दिशा में सोचने की आवश्यकता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation