शोध गंगा: भारत में थीसिस और डेज़रटेशन्स का विशाल संग्रह  

Mar 31, 2020, 18:18 IST

जी हां! भारत में रिसर्च वर्क, थीसिस और डेज़रटेशन्स के लिए विशाल इलेक्ट्रॉनिक संग्रह उपलब्ध है. आप अपनी थीसिस या डेज़रटेशन्स तैयार करते समय इसका लाभ उठा सकते हैं. 

Shodh Ganga: An Electronic Reservoir of Theses and Dissertations in India
Shodh Ganga: An Electronic Reservoir of Theses and Dissertations in India

आजकल देश-दुनिया में बहुत ज्यादा रिसर्च वर्क हो रहा है जिस कारण विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी सहित जीवन की विभिन्न फ़ील्ड्स में रोज़-रोज़ कई नई उपलब्धियां हासिल हो रही हैं. ऐसे में, देश-दुनिया के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ सहित विभिन्न टेक्निकल, मैनेजमेंट और एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स अपने स्टूडेंट्स को रिसर्च वर्क के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं. हमारे देश के साथ-साथ समूचे विश्व में हायर एजुकेशनल क्वालिफिकेशन्स जैसेकि एमफिल और पीएचडी डिग्री कोर्सेज में तो स्टूडेंट्स के लिए अपने सब्जेक्ट्स की थीसिस और/ या डेज़रटेशन्स तैयार करना अनिवार्य शर्त ही है. ऐसे में जब स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट कोर्स के लिए कोई थीसिस या डेज़रटेशन तैयार करने लगते हैं तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या आती है – अपनी थीसिस के टॉपिक के मुताबिक सटीक कंटेंट मैटर चुनकर उसे प्रभावपूर्ण  तरीके से लिखना. स्टूडेंट्स की थीसिस या डेज़रटेशन रिपोर्ट अनिवार्य तौर पर मौलिक होनी चाहिए. अक्सर स्टूडेंट्स थीसिस या डेज़रटेशन तैयार करने के लिए अपने प्रोफेसर्स या गाइड से कंसल्ट करके ही अपना सब्जेक्ट टॉपिक चुनते हैं और 24x7 इंटरनेट की सुविधा भी उन्हें उपलब्ध रहती है.

शोध गंगा: क्यों है जरुरी?

यह तो हम सभी बहुत अच्छी तरह जानते और समझते हैं कि आजकल इंटरनेट पर जीवन और दुनिया के प्रत्येक विषय पर असीमित जानकारी और कंटेंट मैटर उपलब्ध है. इसके बावजूद, अधिकतर स्टूडेंट्स अपने लिए थीसिस या डेज़रटेशन रिपोर्ट तैयार करते समय कन्फ्यूज़ हो जाते हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि काश! उनके पास कोई ऐसा संग्रह उपलब्ध होता जहां से उन्हें अपनी थीसिस या डेज़रटेशन रिपोर्ट तैयार करने के लिए समुचित प्रेरणा और सटीक जानकारी हासिल हो सके. जी हां! भारत में रिसर्च वर्क, थीसिस और डेज़रटेशन्स के लिए विशाल इलेक्ट्रॉनिक संग्रह उपलब्ध है. आप अपनी थीसिस या डेज़रटेशन्स तैयार करते समय इसका लाभ उठा सकते हैं. निस्संदेह, इस आर्टिकल में हम भारत के प्रमुख संग्रह शोध गंगा के बारे में जिक्र कर रहे हैं जो थीसिस और डेज़रटेशन रिपोर्ट्स के लिए देश का विशालतम इलेक्ट्रॉनिक/ डिजिटल संग्रह है. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:      

शोध गंगा: एक परिचय

शोध गंगा हमारे देश का विशाल इलेक्ट्रॉनिक थीसिस और डेज़रटेशन्स संग्रह है जिसकी स्थापना इनफ्लिबनेट सेंटर द्वारा की गई है. ‘शोध’ दरअसल संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है – खोज या अनुसंधान. इसी तरह, गंगा भारत की सबसे विशाल और पवित्र नदी है. इतना ही नहीं, भारत में गंगा को माता और देवी का दर्जा दिया गया है और ‘गंगा मैया’ हमारे देश की युगों पुरानी संस्कृति और सभ्यता की परिचायक होने के साथ-साथ यहां के लोगों के द्वारा पूजनीय है. भारत के इतिहास पर भी गंगा नदी की अमित छाप है. इसलिए, ‘शोध गंगा’ इनफ्लिबनेट सेंटर द्वारा तैयार किया गया एक ऐसा विशालतम संग्रह है जिसमें देश की बौद्धिक संपदा अर्थात रिसर्च वर्क – थीसिस और डेज़रटेशन्स को शामिल किया गया है. शोध गंगा का संचालन भी इनफ्लिबनेट सेंटर ही करता है. भारत की विभिन्न यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अपनी पीएचडी थीसिस को इस इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म पर सबमिट करते हैं ताकि देश के सभी स्कॉलर्स और रिसर्च स्टूडेंट्स इन थीसिस और डेज़रटेशन्स से अपनी जरूरत के मुताबिक जानकारी हासिल कर सकें.   

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शोध गंगा: प्रमुख विशेषताएं

अब हम शोध गंगा संग्रह के ऐसे पॉइंट्स का जिक्र कर रहे हैं जो इसे भारत का विशालतम इलेक्ट्रॉनिक संग्रह बनाते हैं जैसेकि:

  • शोध गंगा में 2.6 लाख से अधिक फुल टेक्स्ट थीसिस शामिल हैं.
  • इस संग्रह में 7 हजार पीडीएफ/ फ़ेलोशिप्स उपलब्ध हैं.
  • देश की प्रमुख 428 यूनिवर्सिटीज़ इस संग्रह में अपना योगदान दे रही हैं.
  • भारत की 511 यूनिवर्सिटीज़ ने शोध गंगा के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं.

शोध गंगा: स्टूडेंट्स और रिसर्च स्कॉलर्स के लिए आवश्यक दायित्व

जी हां! अगर आप एक स्टूडेंट या रिसर्च स्कॉलर के तौर पर शोध गंगा से लाभ उठाना चाहते हैं तो आपके कुछ ऐसे दायित्व हैं जिनका आपको पूरा ध्यान रखकर ही आपको शोध गंगा पर अपनी थीसिस सबमिट करनी चाहिए:

  • स्टैंडर्ड एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें.
  • स्टैंडर्ड टेम्पलेट और साइटेशन स्टाइल का इस्तेमाल करें.
  • शोध गंगा की वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन जरुर करें.
  • फाइल नेम्स रखते समय सावधानी बरतें.
  • अपनी सभी फाइल्स को पीडीएफ़ में कन्वर्ट कर लें.

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शोध गंगा: इनफ्लिबनेट और यूनिवर्सिटीज़ के प्रमुख दायित्व

इसी तरह, शोध गंगा को मैनेज करने वाले इनफ्लिबनेट सेंटर और इसमें अपना योगदान देने वाली देश की विभिन्न यूनिवर्सिटीज़ के भी कुछ दायित्व हैं जिनका पालन उन्हें शोध गंगा को मैनेज करने के लिए और/ या इसका इस्तेमाल करते समय जरुर करना चाहिए. शोध गंगा की वेबसाइट पर इस संबंध में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है. कुछ प्रमुख दायित्व निम्नलिखित हैं:

  • सदस्य यूनिवर्सिटीज़ अपने स्टूडेंट्स की थीसिस और डेज़रटेशन्स का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन शोध गंगा पर जरुर सबमिट करें.
  • इनफ्लिबनेट सेंटर को इन इलेक्ट्रॉनिक थीसिस और डेज़रटेशन्स के फुल टेक्स्ट को मैनेज करने और शेयर करने की पूरी अनुमति हो.
  • इन इलेक्ट्रॉनिक थीसिस और डेज़रटेशन्स के लिए कॉपीराइट और आईपीआर की व्यस्था को पूरी तरह फ़ॉलो किया जाना चाहिए.
  • स्टूडेंट्स अप्रूवल फॉर्म हासिल करना यूनिवर्सिटीज़ का अहम दायित्व है.
  • इनफ्लिबनेट सेंटर शोध गंगा की समुचित देख-रेख के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है ताकि शोध गंगा से एकेडमिक/ रिसर्च फ़ील्ड्स में लाभ हासिल करने के साथ-साथ स्कॉलर्स/ रिसर्च स्टूडेंट्स के हितों की भी रक्षा हो सके.

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