भारत और दुनिया भर के अधिकतर कॉलेज स्टूडेंट्स कई किस्म के प्रेशर और स्ट्रेस से गुजरते हैं. बहुत बार कोई कॉलेज स्टूडेंट इस स्ट्रेस या डिप्रेशन से तंग आकर आत्महत्या भी कर लेता है. इसी तरह, इंडियन पेरेंट्स की लाइफ में भी कई पर्सनल और प्रोफेशनल प्रेशर्स होते हैं लेकिन फिर भी वे अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित देखना चाहते हैं. इसलिए, अनेक इंडियन पेरेंट्स अपने बच्चों के एजुकेशनल कोर्स और करियर लाइन को भी बहुत बार खुद ही चुन लेते हैं. अगर बच्चे और उसके पेरेंट्स की पसंद एक-समान है तो फिर कोई दिक्कत नहीं लेकिन, अगर पेरेंट्स की उम्मीदें और पसंद उनके कॉलेज गोइंग बच्चे की पसंद से अलग है तो अपने पेरेंट्स की मर्जीं के मुताबिक किसी कॉलेज, यूनिवर्सिटी और एजुकेशनल कोर्स में एडमिशन लेने पर उस बच्चे की लाइफ में स्ट्रेस और डिप्रेशन के अलावा और कुछ बाकी नहीं रहता. कॉलेज में स्टूडेंट्स को बहुत बार पीयर प्रेशर भी झेलना पड़ता है. ऐसे में अगर स्टूडेंट्स को अपने पेरेंट्स और फैमिली से सपोर्ट न मिले तो इसका अंजाम कभी-कभी काफी घातक भी हो जाता है.
कॉलेज स्टूडेंट्स के अपने पेरेंट्स से रिलेशन्स खराब होने के कुछ कारण
कॉलेज स्टूडेंट्स मौज-मस्ती करने के लिए पूरी आजादी चाहते हैं. लेकिन, जब पेरेंट्स उन्हें हर दूसरे-तीसरे दिन फ़ोन करते हैं और उनके पूरे दिन के हर पल की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो अधिकांश छात्रों को घुटन महसूस होने लगती है. वे अपने पेरेंट्स के फ़ोन अटेंड करना नज़रंदाज़ करने लगते हैं और तरह-तरह के बहाने बनाने लगते हैं जैसे कि वे अभी व्यस्त हैं या उनकी क्लास शुरू होने वाली है और उन्हें जाना पड़ेगा. अब, यह किसकी गलती है? बातचीत में इस कड़वाहट के लिए कौन दोषी है? वास्तव में, उन दोनों में से कोई भी नहीं. स्टूडेंट्स को अपनी आजादी चाहिए लेकिन पेरेंट्स को भी अपने किड्स की फ़िक्र करने का पूरा हक होता है. हालांकि आजकल के समय में, भले ही लोग अलग-अलग शहरों या अलग-अलग देशों में भी रहते हों तो भी स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स को एक-दूसरे के साथ निरंतर संपर्क कायम रखने का अनोखा अवसर मिला हुआ है. लेकिन हरेक को ध्यान रखना चाहिए कि इस सुविधा का अनुचित लाभ न उठाये. यहां पेरेंट्स के लिए अपने कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे/ बच्चों के साथ ज्यादा रोब डाले बिना संपर्क बनाये रखने के कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं:
इंडियन पेरेंट्स अपने और बच्चों के बीच रखें इन खास बातों का ख्याल
हरेक बच्चा अलग होता है और संपर्क कायम करने के विभिन्न तरीकों को लेकर सब बच्चे अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दे सकते हैं. खासकर जब आप अपने दूसरे बच्चे को कॉलेज में भेज रहे हों तो याद रखें कि आपके पहले बच्चे के साथ काम में आया तरीका शायद इस बार असरकारक न हो. आपको अपने बच्चे के साथ संपर्क कायम करने के तरीकों के संबंध में कुछ आधारभूत नियम लागू करने होंगे और यह तो आप अवश्य मानेंगे कि ये नियम आप दोनों को स्वीकार होने चाहियें. जैसे कुछ स्टूडेंट्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उनके पेरेंट्स उनकी फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में शामिल हों जबकि कुछ स्टूडेंट्स इससे बुरी तरह घबराते हैं. आप अपने बच्चे के कम्फर्ट जोन में काम करना चाहते हैं या आप कोई जोखिम उठा कर उन्हें मजबूर कर देते हैं और वे आपसे अपनी बातें छुपा कर रखना शुरू कर देते हैं. अगर वे आपको अपनी फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में रखना नहीं चाहते हैं तो उनसे किसी दूसरे प्लेटफार्म जैसे इन्स्टाग्राम या ऐसे ही किसी अन्य प्लेटफार्म के बारे में बात करें जहां आप अपना संपर्क बनाये रख सकते हैं.
इंडियन पेरेंट्स दें अपने कॉलेज गोइंग बच्चे को पर्सनल स्पेस
कॉलेज में जाना किसी भी बच्चे के जीवन में आगे बढ़ने की दिशा में एक बड़ा कदम होता है. इससे उन्हें ऐसा लगता है कि वे अब वयस्क या बड़े हो गए हैं और अब वे अपनी और अपनी कार्यों की जिम्मेदारी उठा सकते हैं. कॉलेज आपके बच्चे के व्यक्तित्व के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है और यह निर्धारित करने में भी कॉलेज की एक बड़ी भूमिका होती है कि आगे चल कर आपका बच्चा कैसा व्यक्ति बनेगा. अपने बच्चे को बढ़ने और विकसित होने के लिए कुछ पर्सनल स्पेस या व्यक्तिगत आजादी अवश्य दीजिये. उन्हें अपने निर्णय खुद लेने दें. उनकी निजी जिंदगी में ज्यादा दखलंदाजी न करें जैसेकि, अगर उनके किसी से विशेष संबंध हैं तो उन्हें उस लड़की/ लड़के के बारे में हरेक बात आपसे शेयर करने के लिए मजबूर न करें लेकिन आपको उस लड़की/ लड़के का नाम पता होना चाहिए और कभी-कभार अपने बच्चे से उस फ्रेंड के बारे में थोड़ी-बहुत बातचीत अवश्य करें ताकि आप उनके जीवन से जुड़े रहें और जरूरत पड़ने पर अपने बच्चे/ बच्चों को गलत रास्ते पर जाने से रोक सकें. अगर आपके बच्चे ने सोशल मीडिया में कुछ ऐसा पोस्ट कर डाला है जिससे आप सहमत नहीं हैं तो भी कमेंट्स के जरिये उन्हें मत डांटें क्योंकि कमेंट्स को तो हर कोई देख सकता है. अपने बच्चे से फ़ोन पर बात करें या पर्सनल चैट के जरिये अपनी बात उससे कहें.
इंडियन पेरेंट्स अपने कॉलेज गोइंग बच्चे से नये तरीकों से करें संपर्क
यद्यपि फेसबुक और ट्विटर सबसे ज्यादा लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं और इनके जरिये आप अपने बच्चों से सीधा संपर्क कायम किये बिना भी उनसे जुड़े रह सकते हैं तो भी कई बार यह ज्यादा अच्छा साबित हो सकता है कि आप इन तरीकों के बजाय अन्य तरीकों से अपने बच्चे के साथ संपर्क कायम करें. कभी-कभार उनसे वीडियो कालिंग के जरिये बात करने की कोशिश करें. इसके लिए कई बहुत अच्छे एप्स भी मौजूद हैं जैसे एंड्राइड फ़ोन के लिए गूगल ड्यू और आई-फ़ोन यूजर्स के लिए फेसटाइम. दिन में कई बार बात करने से अच्छा रहे कि अगर आप व्हाट्सएप पर उन्हें टेक्स्ट मैसेज भेज दें. अगर आप और वे इन्स्टाग्राम प्लेटफार्म में एक्टिव हैं तो उनके इन्स्टाग्राम अकाउंट्स समय-समय पर देखते रहें, अगर संभव हो तो अपने किड्स को कॉल करने का मौका दें या प्रत्येक सप्ताह कॉल्स करने के लिए कुछ टाइम निश्चित कर लें.
यह भी काफी महत्वपूर्ण पॉइंट है कि आजकल के तकनीकी विकास से आपके लिए अपने बच्चे के साथ 24/7 संपर्क बनाये रखना संभव हो गया है लेकिन इसका यह तो मतलब नहीं है कि आप ऐसा करें भी. इसका सिर्फ एक यही कारण नहीं है कि आपका बच्चा इसे पसंद नहीं करता है बल्कि इससे आपके बच्चे के स्वतंत्र विकास में भी बाधा उत्पन्न होती है.
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