Positive India: कभी 25 km दूर स्कूल जाने के लिए खाने पड़ते थे बस और ट्रेन में धक्के, फिर कड़ी मेहनत से क्लियर किया UPSC - जानें विवेक के. वी. की कहानी

Jun 18, 2020, 14:25 IST

बिना किसी मूल-भूत सुविधा के AIEEE, CAT और UPSC जैसे कठिन एग्ज़ाम्स क्लियर करने वाले विवेक के. वी. ने अपने परिश्रम से यह साबित किया की सफलता पाने का सिर्फ एक ही रास्ता है - कड़ी मेहनत। जानें विवेक के. वी. के संघर्ष की कहानी:

Positive India: कभी 25 km दूर स्कूल जाने के लिए खाने पड़ते थे बस और ट्रेन में धक्के, फिर कड़ी मेहनत से क्लियर किया UPSC - जानें विवेक के. वी. की कहानी
Positive India: कभी 25 km दूर स्कूल जाने के लिए खाने पड़ते थे बस और ट्रेन में धक्के, फिर कड़ी मेहनत से क्लियर किया UPSC - जानें विवेक के. वी. की कहानी

कुट्टिकोल वन्ननपुरक्कल विवेक अनुसूचित वनन जाति से पहले युवा हैं जिसने यूपीएससी परीक्षा को पास किया है। केरल के वनन समुदाय के लड़के और पुरुष केवल थेयम महीनों के दौरान ही कार्य करते हैं। परंपरागत रूप से, इस समुदाय की महिलाएं घर-घर जाती हैं और परिवार का समर्थन करने के लिए पैसे के लिए कपड़े धोती हैं। वह पूरे वर्ष पैसे कमाती हैं, जबकि पुरुष नृत्य के रिवाज को जीवित रखते हैं। परन्तु विवेक की माँ का मानना था की केवल शिक्षा ही उन्हें इस पीड़ा के जीवन से निकाल सकती है। विवेक ने अपनी स्कूली शिक्षा से ले कर UPSC क्लियर करने तक हर कदम पर कड़ी मेहनत और संघर्ष किया। आइये जानें उनके इस सफर के बारे में: 

UPSC (IAS) Prelims 2020: परीक्षा की तैयारी के लिए Subject-wise Study Material & Resources

केरला के छोटे से गाँव के रहने वाले हैं विवेक 

विवेक के पिता मालाबार के एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखते थे जबकि उनकी माँ अपेक्षाकृत बड़े शहर से आती थीं। विवेक की माँ पोस्ट ऑफिस में क्लर्क के नौकरी करती थी और उन्हीं के साधारण वेतन से घर का खर्चा चलता था।  जब विवेक के माँ ने देखा कि उनके पति शराब के नशे में पड़ गए हैं तो उन्होंने विवेक और उनकी बहन के साथ अपने मायके में रहने का फैसला किया। विवेक बताते हैं की उनकी माँ का मानना था की गरीबी और उत्पीड़न के जीवन से निकलने का एक मात्र रास्ता केवल शिक्षित होना ही है। 

25 km दूर दो बस और एक ट्रेन बदल कर जाते थे स्कूल 

विवेक की माँ ने उनका दाखिला शहर के अच्छे स्कूल में तो करा दिया परन्तु वह स्कूल उनके घर से 25 km दूर था। स्कूल तक पहुंचने में विवेक को डेढ़ घंटे का समय लगता था जिसके लिए उन्हें दो बस और एक ट्रेन बदल कर स्कूल तक का सफर तय करना पड़ता था। विवेक बताते हैं कि जिस घर में वह रहते थे वहां पानी की सुविधा नहीं थी इसलिए उन्हें कुए से पानी लाना पड़ता था। उनकी माँ दफ्तर से 6 बजे घर लौटती थीं और विवेक  तब तक घर का सारा काम पूरा कर लेते थे। हालाँकि इस सब में उन्हें पढ़ने का समय नहीं मिलता था। 

ट्रेन और बस में पढ़ कर सीखा टाइम मैनेजमेंट का महत्त्व 

पढ़ने का समय नहीं मिलने पर विवेक ने अपने टाइम को व्यवस्थित रूप से उपयोग करने का सोचा। उन्होंने स्कूल का होमवर्क अपनी बस और ट्रेन की यात्रा में ही पूरा करने का निर्णय लिया। विवेक बताते हैं की ऐसा करने से ना सिर्फ उन्होंने समय बचाने का सबक सीखा बल्कि उन्होंने कितने भी शोर में एकाग्रता से पढ़ना भी सीख लिया। ट्रेन में ही पढ़ कर विवेक ने AIEEE की प्रवेश परीक्षा पास की। 

अंग्रेजी अखबार और फिल्मों से सीखी अंग्रेजी 

AIEEE क्लियर करने के बाद विवेक का दाखिला NIT त्रिचुरापल्ली में हुआ। लेकिन यहाँ आने के बाद विवेक ने जाना की उनके साथ पढ़ने वाले सभी छात्र उनसे काफी ज़्यादा सक्षम हैं। सभी लोग वहां अंग्रेजी में बात करते थे वही विवेक की अंग्रेजी काफी कमज़ोर थी जिसकी वजह से उनका आत्मविश्वास भी कम हो गया था। ऐसे में उनके दोस्त ने उनसे एक दिन "द हिन्दू" अखबार पढ़ने की सलाह दी। पहली बार जब उन्होंने अखबार पढ़ा तो उन्हें एक भी वाक्य का मतलब नहीं समझ आया परन्तु उन्होंने हर मुश्किल शब्द को एक डायरी में लिखा और बाद में डिक्शनरी से उन सभी शब्दों के मतलब उनके सामने लिखे। विवेक बताते हैं की वह हर हफ्ते इस डायरी के शब्दों को दोहराते थे। 3 साल तक इस प्रक्रिया को कायम रखने के बाद न सिर्फ उनका शब्दकोष बढ़ा बल्कि उनकी अंग्रेजी भाषा पर पकड़ भी मज़बूत हुई।

नौकरी के साथ साथ की CAT की तैयारी 

NIT से इंजीनियरिंग करने के बाद विवेक की प्लेसमेंट चेन्नई की एक कंपनी में हो गई। घर के हालात ख़राब होने के कारण विवेक को कुछ पैसे घर भी भेजने पड़ते थे और उनका वेतन काफी सामान्य था। विवेक बताते हैं की वह अपनी नौकरी से खुश नहीं थे और इसीलिए उन्होंने CAT की तैयारी करने का फैसला किया। परन्तु नौकरी छोड़ने का विकल्प उनके पास नहीं था। इसलिए उन्होंने नौकरी के साथ साथ ही पढ़ने का फैसला किया। उन्होंने अपने दोस्त से पैसे उधार ले कर कोचिंग में दाखिला लिया। विवेक सुबह 5 बजे उठ कर कोचिंग जाते थे और 8:30 बजे क्लास ख़त्म कर ऑफिस जाते थे। शाम को 7 बजे घर लौटने के बाद वह 8-12 बजे तक फिर पढ़ाई करते थे। 7-8 महीने तक यह दिनचर्या फॉलो करने के बाद उन्होंने CAT की परीक्षा दी और उसे पास कर उनका दाखिला IIM कलकत्ता में हो गया। 

LBSNAA - जहां पहुंचने का ख्वाब हर UPSC Aspirant देखता है: जानें इस अकेडमी से जुड़े 7 रोमांचक तथ्य

UPSC की तैयारी के लिए छोड़ी अच्छे वेतन वाली नौकरी

अपनी IIM की डिग्री प्राप्त करने के बाद, विवेक को अभी भी अपनी आर्थिक स्थिति सशक्त करने के लिए काम करना था। उन्हें गुरुग्राम की एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गयी और वह स्थिर आय अर्जित करने लगे। कई जिम्मेदारियों को संभालने के आदतन उन्होंने UPSC कोचिंग क्लासेस के लिए दाखिला लिया। विवेक हफ्ते के 5 दिन हम करने के बाद शनिवार और रविवार को UPSC की कोचिंग के लिए गुरुग्राम से दिल्ली जाते थे। उन्होंने 2 साल तक यह कोचिंग ली और UPSC की प्रीलिम्स परीक्षा दी। हालाँकि दो साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली और वह ये जान गए की नौकरी के साथ साथ इस परीक्षा को पास करना आसान नहीं होगा। इसीलिए उन्होंने UPSC की तैयारी को पूरा समय देने के लिए अपनी नोकरी छोड़ने का फैसला लिया। 

UPSC प्रीलिम्स परीक्षा से 15 दिन पहले हुआ था पिता का देहांत 

2017 में विवेक अपनी प्रीलिम्स परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे और परीक्षा के 15 दिन पहले उनके पिता की मृत्यु हो गयी। विवेक कहते हैं की वह समय उनके लिए काफी कठिन था। वह ना तो पढ़ पा रहे थे और ना ही कुछ भी समझने की स्थिति में थे। लेकिन विवेक को जल्द ही यह  गया कि वह रुकने के लिए बहुत दूर आ गए है। यदि वह अपने पिता को शराब की लत्त से नहीं बचा पाए  तो वह कम से कम उनके जैसे दूसरों के लिए भी काम कर सकते हैं। यहाँ तक कि उनकी तरह कई और बच्चे भी शराबी, उदास और अकेले वयस्कों की छाया में बड़े हो रहे थे। वह IAS बन कर उन सभी के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं। इन सभी चुनौतियों के बावजूद विवेक ने UPSC परीक्षा दी और 667वी रैंक के साथ परीक्षा पास की। 

विवेक के जीवन का हर पर संघर्षपूर्ण रहा और उनके हर एक संघर्ष से आज के युवा प्रेरणा ले सकते हैं। अपनी किस्मत को बदलना केवल खुद के हाथ में है और ऐसा केवल शिक्षा और मेहनत से ही किया जा सकता है। किसी भी मूल-भूत सुविधा के बिना भी विवेक ने केवल अपनी लगन और जीवन में आगे बढ़ने की चाह से ही ये मुकाम हासिल किया है। 

Sakshi Saroha is an academic content writer 3+ years of experience in the writing and editing industry. She is skilled in affiliate writing, copywriting, writing for blogs, website content, technical content and PR writing. She posesses trong media and communication professional graduated from University of Delhi.
... Read More

आप जागरण जोश पर सरकारी नौकरी, रिजल्ट, स्कूल, सीबीएसई और अन्य राज्य परीक्षा बोर्ड के सभी लेटेस्ट जानकारियों के लिए ऐप डाउनलोड करें।

Trending

Latest Education News