क्या एसएससी सीजीएल को बैंक पीओ से अधिक महत्वता देनी चाहिए- क्यों

Feb 8, 2017, 17:08 IST

बैंकिंग क्षेत्र और सरकारी नौकरी, दोनों ही देश के कई युवाओं को एक कैरियर विकल्प के रूप में आकर्षित करते हैं।

Why you should leave Bank PO Job for SSC CGL
Why you should leave Bank PO Job for SSC CGL

बैंकिंग क्षेत्र और सरकारी नौकरी, दोनों ही देश के कई युवाओं को एक कैरियर विकल्प के रूप में आकर्षित करते हैं। बड़ी संख्या में उम्मीदवार बैंकिंग क्षेत्र तथा विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों के लिए आयोजित होने वाली भर्ती प्रतियोगी परीक्षा के लिए खुद को तैयार करते हैं। भर्ती परीक्षा के माध्यम से इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार के विभिन्न शाखाओं में देशभर में की जाती है। पिछले एक दशक के दौरान बैंकिंग उद्योग में भारी वृद्धि देखी गई है और इससे भर्ती की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीयकृत बैंकों में नई शाखाएं खुल रही हैं जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को भर्ती किया जा रहा है। भर्ती के लिए बड़े पैमाने पर विशेषज्ञ अधिकारियों, परिवीक्षाधीन अधिकारियों और लिपिकों को नियुक्त किया जा रहा है। वो उम्मीदवार, जो किसी भी माध्यम से अपनी स्नातक की डिग्री पूरे कर चुके हैं, वो संबंधित विभाग द्वारा आवेदित इन पदों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।

दूसरी तरफ पिछले कुछ वर्षों के दौरान एसएससी द्वारा विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों में तेजी से बड़ी संख्या में भर्ती की जा रही है।  इच्छुक उम्मीदवारों में से कई ऐसे उम्मीदवार हैं जो आईबीपीएस और एसएससी, दोनों परीक्षाओं में भाग लेते हैं। इसका प्रमुख कारण सरकारी नौकरी प्राप्त कर अपना करियर सुरक्षित करना है। लेकिन कई ऐसे कारण हैं जो दोनों नौकरियों के बीच में अंतर पैदा करते हैं। बैंकिग सैंक्टर में बैंक पीओ की पोस्ट को अक्सर एक सम्माजनक जॉब के रूप में देखा जाता है जबकि कई उम्मीदवार एसएससी की जॉब को तवज्जो देते हैं। इन उम्मीदवारों को बैंक पीओ की नौकरी ज्वॉइन करने से पूर्व एसएससी जॉब्स की संभावना पर नजर डालनी चाहिए। इस आर्टिकल के माध्यम से हम इन दो नौकरियों के बीच में अंतर को समझने की कोशिश करेंगे।

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                                                      एसएससी जॉब्स और बैंकिग जॉब्स के बीच तुलनात्मक अध्यन

कारक

बैंकिग

एसएससी

तनाव और कार्य का बोझ

बैंकिग कार्यप्रणाली का समय अथवा घंटे अस्थिर होते हैं। सभी तरह के लेन-देन की नियमित देखरेख और ऑडिट होता है

एसएससी के कर्मचारी चाहे वो निम्न स्तर के हों या ऊपरी स्तर के, सभी का नियमित और संतुलित कार्य होता है

पोस्टिंग और ट्रांसफर

प्रोबिशन समय पूरा होने के बाद पेशेवर लोग कम समय का नोटिस देकर कहीं और भी नौकरी के लिए जा सकते हैं

एसएसी अधिकारियों को कुछ स्थानों पर पहले से ही तय प्रोटोकाल के हिसाब से नियुक्त किया जाता है।

सामाजिक स्तर और समाज  के प्रति दायित्व

बैंकिग पेशेवरों को वो सब सुविधाएं और भत्ते नहीं मिलते जो एक सरकारी अधिकारी को मिलते हैं

एसएससी अधिकारी को  भारत सरकार द्वारा कई तरह के भत्ते औऱ सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

संविदा पर नौकरी और जिम्मेदारी

बैंक आम तौर पर 2 साल के प्रोबेशन का एक रेगुलेटरी बॉन्ड साइन करवाते हैं।

एसएसएसी के दिशा निर्देशों के अनुसार इस तरह का कोई भी एग्रीमेंट साइन नहीं करवाया जाता है।

  • तनाव और काम का बोझ : विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बैंक परिवीक्षाधीन अधिकारियों (पीओ) के साथ सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि वे काम के बोझ से दबे हुए हैं। प्रत्येक बैंक अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहता है या अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में बैंक अपने परिवीक्षाधीन अधिकारियों पर लक्ष्य पूरा करने को लेकर पर्याप्त दबाव बनाते हैं। बैंको द्वारा दिये जाने वाले टारगेट के कारण दवाब बनता है जिससे कई लोग नौकरी भी छोड़ देते हैं। देश में बैंक नौकरी की तुलना में एसएसी की नौकरी समयबद्ध और बेहद संतुलित है। सरकारी कार्यालयों में कार्य करने वाले कर्मचारी अपने नियमति कार्य से अच्छी तरह परिचित होते हैं। विभिन्न मंत्रालयों और सरकार के विभागों के निचले रैंकों में एक नियमित कार्य होता है।
  • पोस्टिंग और ट्रांसफर: परिवीक्षाधीन अधिकारियों को बैंक के हितों की रक्षा करने के लिए एक शॉर्ट नोटिस के अंदर में देश के किसी भी हिस्से में जाने के लिए तैयार रहना पड़ता है। परिवीक्षा अवधि (प्रोबेशन) खत्म होने के बाद उम्मीदवार की पोस्टिंग संबंधित बैंक की देश में स्थिति किसी भी शाखा में किया जा सकता है। अधिकतर उम्मीदवारों को बैंक का व्यापार बढा़ने के उद्देश्य से विभिन्न राज्यों के ग्रामीण इलाकों में स्थित बैंकों में तैनाती मिलती है। बैंक पीओ की नौकरी में ट्रांसफर लगातार होते रहते हैं। एसएससी के माध्यम से नौकरी पाने वाले उम्मीदवार आमतौर पर बाहर से शुरुआत करते हैं और इसमें ट्रांसफर की संभावना बहुत कम रहती है।

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  • सामाजिक स्थिति और समाज में महत्व: सीधे केंद्र से जुड़े होने के कारण और केंद्र सरकार के मंत्रालयों तथा विभागों में काम करने तथा इस नौकरी से मिलनी वाली प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थित के कारण एसएससी के प्रति लाखों उम्मीदवार इस नौकरी के लिए आकर्षित होते हैं। अपनी नौकरी के कारण उन्हें अपने संबंधियों के बीच सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है। इसके विपरीत, बैंक पीओ को कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी वो सोशल स्टेट्स हासिल नहीं हो पाता है जो एसएससी से मिलने वाली नौकरी में मिलता है। उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जिसके वो हकदार हैं। इस कारण बैंकिग सेक्टर में कार्य कर रहे लोगों की कार्य संतुष्टि प्रभावित होती है।
  • संविदा पर नौकरी : बैंकिंग क्षेत्र के लिए कई नए पीओ को अक्सर अपनी नौकरी में 2 वर्ष का प्रोबेशन समय होने के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जिस कारण वो नौकरी नहीं छोड़ सकते क्योंकि बैंक के साथ 2 साल का बॉंन्ड होता है। इसे परिवीक्षाधीन अधिकारियों के लिए परिवीक्षा अवधि कहा जाता है, जिसमें आप बैंक नहीं छोड़ सकते हैं। वहीं एसएससी में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है वहां आप अपने करियर विकल्पों को लेकर स्वतंत्र हैं।

निष्कर्ष: बैंकिंग पीओ नौकरी में कुछ कठिनाई होने के साथ-साथ बेहतर वेतन और तेजी से करियर विकास की बेहतर संभावनाएं हैं लेकिन सभी बिंदुओं पर नजर डाली जाए तो अधिकतर एसएससी का ही पक्ष मजबूत नजर आता है। समग्र नौकरी से संतुष्टि और कैरियर स्थिरता के कारण ही उम्मीदवार एसएससी नौकरियों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।

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