आईएएस मुख्य (लिखित) परीक्षा 2014: सामान्य अध्ययन IV पाठ्यक्रम की समझ

आईएएस मुख्य (लिखित) परीक्षा-2014 का आयोजन 14 दिसंबर 2014 से प्रारम्भ किया जाएगा. उम्मीदवारों को यूपीएससी द्वारा आईएएस (मुख्य) सामान्य अध्ययन पेपर IV के लिए दिए गए पाठ्यक्रम पर गौर करना जरूरी है.

Oct 15, 2014, 16:54 IST

आईएएस मुख्य (लिखित) परीक्षा-2014 का आयोजन 14 दिसंबर 2014 से प्रारम्भ किया जाएगा. आईएएस मुख्य (लिखित) परीक्षा सामान्य अध्ययन पेपर IV सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से जुड़े मुद्दों के प्रति उम्मीदवार का रवैया और दृष्टिकोण एवं उनके द्वारा सामना किए गए समाज के विभिन्न मुद्दों और संघर्षों से निपटने के उनके तरीकों के बारे में है. इन पहलुओं की परीक्षा के लिए प्रश्न केस स्टडी का प्रयोग कर पूछे जा सकते हैं. इन प्रश्नों से उम्मीदवारों की बुनियादी समझ और विश्लेषणात्मक शक्ति को जांचा जाता है. इसिलए, उम्मीदवारों को यूपीएससी द्वारा आईएएस (मुख्य) सामान्य अध्ययन पेपर IV के लिए दिए गए पाठ्यक्रम पर गौर करना जरूरी है.

आईएएस (मुख्य) सामान्य अध्ययन पेपर IV के लिए पाठ्यक्रम का विवरण इस प्रकार है:
नैतिकता, ईमानदारी और योग्यताः नैतिकता और ह्यूमन इंटरफेसः मानवीय कार्यों के सार, निर्धारक और नैतिकता के परिणाम, नैतिकता के आयाम, निजी और सार्वजनिक रिश्तों में नैतिकता. मानवीय मूल्य– महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन और शिक्षा के पाठ, मूल्य पैदा करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका.

इसमें नैतिकता की विभिन्न परिभाषाएं, नैतिकता के तहत आने वाले व्यापक क्षेत्र, नैतिकता के विभिन्न आयाम, मानवीय कार्यों की नैतिकता, नैतिक मानक और मानवीय कार्यों के परिणाम शामिल हैं. श्री अरोविन्दो, गुरू रविदास, गुरु नानक, रबिन्द्रनाथ टैगोर, नारायन गुरु आदि जैसे महान नेताओँ के जीवन और शिक्षा के मानव मूल्य पाठ.
 
एटीट्यूड (रवैया) : सामग्री, संरचना, कार्य, सोच और व्यवहार पर इसका प्रभाव और संबंध, नैतिक और राजनीतिक एटीट्यूड, सामाजिक दृष्टिकोण और अनुनय.

सिविल सेवा के लिए योग्यता और मूलभूत मूल्य, ईमानदारी, निष्पक्षता और गैर– पक्षपात, वस्तुनिष्ठता, लोक सेवा के लिए समर्पण, सहानुभूति, सहिष्णुता और कमजोर वर्गों के प्रति समर्पण. भावनात्मक खुफिया– अवधारणा और उनकी उपयोगिताएं एवं प्रशासन औऱ सरकार में उनका प्रयोग.
 
इस खंड में एटीट्यूड के कई पहलू, एटीट्यूड बदलाव के सीखने के सिद्दांत, एटीट्यूड, व्यवहार और कार्य के बीच संबंध शामिल हैं. संज्ञानात्मक तर्क सिद्धांत और मानवीय रवैया, इरादा और व्यवहार. नौतिक गुण जैसे दया, क्षमा, धैर्य, कायरता, सहानुभूति, परोपकारिता, विवेक, विनम्रता आदि. सिविल सेवकों के लिए व्यक्तिगत नैतिक गुण. भावनात्मक इंटेलिजेंस, इंटेलिजेंस कोशेंट, इंटेलिजेंस के प्रकार, भावनात्मक इंटेलिजेंस के सिद्धांत, लोगों को प्रभावित करना, नेतृत्व गुण.
 
भारत और विश्व के नैतिक विचारकों और दार्शनिकों के योगदान

इसमें निम्नलिखित शामिल हैं.
• भारतीय विचारक और दार्शनिक (विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, राजा राम मोहन राय, दयानंद सरस्वती, कौटिल्य, गुरु नानक, श्री अरोबिन्दो आदि),
• पाश्चात्य विचारक औऱ दार्शनिक, यूनानी दार्शनिक (हेरासिलिटियन आचार नीति, प्रोटागोरियन आचार नीति, सुकरात का नीति शास्त्र, प्लेटो का नीति शास्त्र, अरस्तू का नीति शास्त्र, एपिकुरे का नीति शास्त्र) आदि.

लोक प्रशासन में लोक/ सिविल सेवा के मूल और नैतिकताः स्थिति और समस्याएं, नैतिकता से संबंधित चिंताएं और सरकारी एवं निजी संस्थानों में दुविधाएं, नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में कानून, नियम, विनियम और विवेक, जवाबदेही और नैतिक शासन, नैतिकता और नैतिक मूल्यों को मजबूत बनाना, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नैतिक मुद्दे और निधिकरण, कॉर्पोरेट प्रशासन.

इसमें शामिल हैं– निर्णय लेने की प्रक्रिया, नैतिक दुविधा के सिद्धांत, नैतिक दुविधा का विश्लेषण. कानून, कानून के विभिन्न रूप, प्राकृतिक कानून, विवेक के पहलू, नैतिक परिवर्तन. संप्रभुता की अवधारणा, अंतरराष्ट्रीय नैतिकता, आदर्शवाद, अंतरराष्ट्रीय नैतिकता पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर. भारत में कॉरपोरेट प्रशासन का उद्भव, कंपनी एक्ट के प्रावधान, कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी आदि.

शासन में ईमानदारीः
लोक सेवा की अवधारणा, प्रशासन और ईमारनदारी का दार्शनिक आधार,
सूचना साझा करना और सरकार में पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नैतिकता के कोड, आचार संहिता, नागरिकता चार्टर, कार्य संस्कृति, दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता, सार्वजनिक धन का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां.

यह हिस्सा निम्नलिखित पर फोकस करता है– भ्रष्टाचार, भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए अधिनियम, जांच एजेंसियां, अनुशासनात्मक कार्रवाई, लोक सेवकों की देनदारियां, मुखबिरों की सुरक्षा, आरटीआई प्रक्रिया और कार्यपद्धति, आरटीआई एक्ट का काम करना आदि.

उपरोक्त मामलों पर केस स्टडी.

 

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