बैंकिंग सेक्टर : ऑप्शंस अनलिमिटेड

Jul 8, 2014, 12:51 IST

पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स के बैंकों का विस्तार होने और कारोबार बढ़ने से नौकरियों की बरसात हो रही है.

पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स के बैंकों का विस्तार होने और कारोबार बढ़ने से नौकरियों की बरसात हो रही है। नए बैंक भी सामने आ रहे हैं, यानी बैंकिंग में चमकदार करियर का सपना देखने वाले युवाओं के लिए अच्छे दिन फिर आ गए हैं..

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में वहां के बैंकों की भूमिका अहम होती है। भारतीय बैंकिंग व्यवस्था ने भी देश को मजबूत आर्थिक आधार दिया है। सरकार और आरबीआइ के निर्देशानुसार सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से अपना प्रसार कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, आज इंडिया की बैंकिंग इंडस्ट्री करीब 1.34 ट्रिलियन डॉलर ( 81 ट्रिलियन रुपये) के आसपास है, जबकि साल 2020 तक इसके दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बन जाने की उम्मीद है। इस समय देश में बैंकों के एक लाख से भी ज्यादा ब्रांचेज हैं। इसके अलावा, विदेशों में भी भारतीय बैंकों के करीब 170 से अधिक ब्रांच हैं जबकि भारत में विदेशी बैंकों के करीब 316 ब्रांच हैं।

इसके अलावा, कई बैंक नए ब्रांच खोलने की योजना बना रहे हैं। यही वजह है कि बैंकिंग सेक्टर (पब्लिक, प्राइवेट और फॉरेन) में युवाओं के लिए कई तरह की अपॉच्र्युनिटीज लगातार सामने आ रही हैं। अब गवर्नमेंट सेक्टर के बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफिसर या क्लर्क बनने के अलावा दूसरे विकल्प भी खुल गए हैं। अगर कॉमर्स, इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं या फाइनेंस-मार्केटिंग में एमबीए जैसी डिग्री है, तो प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में भी शानदार करियर बना सकते हैं।

अपॉच्र्युनिटीज की भरमार

इस समय पब्लिक सेक्टर के बैंकों में करीब सात लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें से बड़ी संख्या में लोग आने वाले पांच से छह सालों में रिटायर हो जाएंगे। इस गैप को भरने के लिए अलग-अलग बैंकों की रिक्तियां निकल रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पब्लिक सेक्टर के बैंकों में 40 हजार से भी ज्यादा वैकेंसीज आएंगी। इनमें जूनियर, मिडिल से लेकर सीनियर लेवल के पोजीशंस पर हायरिंग होने की संभावना है।

ऐसे में अगर आपने ग्रेजुएशन किया है और पब्लिक सेक्टर के बैंकों में जाना चाहते हैं, तो आइबीपीएस एग्जाम क्लियर करना होगा। वहीं, जो लोग बैंकिंग के स्पेशलाइच्ड एरिया (रिटेल, इनवेस्टमेंट, वेल्थ, सिक्योरिटी) में करियर बनाना चाहते हैं, वे कैंपस रिक्रूटमेंट, लेटरल हायरिंग और कंसल्टेंसी (नौकरी डॉट कॉम, मॉन्सटर डॉट कॉम..आदि) के माध्यम से प्राइवेट सेक्टर के बैंकों से भी करियर तलाश सकते हैं। इंडियन इकोनॉमी, कॉमर्स, अकाउंट्स या फाइनेंस की समझ के साथ कम्युनिकेशन स्किल है, तो बैंकिंग सेक्टर में नए-नए क्रिएट हो रहे ऑप्शंस का फायदा क्यों न उठाएं?

बैंकिंग में चमकता करियर

धमर्ेंद्र कुमार दुबे ने पटना यूनिवर्सिटी से पर्सनल मैनेजमेंट ऐंड इंडस्ट्रियल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था, लेकिन कॉलेज से प्लेसमेंट न होने की वजह से उन्हें नौकरी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। आखिरकार आइसीआइसीआइ बैंक में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर की नौकरी मिल गई। फिर उन्होंने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग ऐंड फाइनेंस में डिस्टेंस लर्निंग के जरिए एमबीए किया। आज वे बिहार के मोतिहारी स्थित एक्सिस बैंक में ब्रांच सेल्स मैनेजर (रिटेल बैंकिंग) के पद पर काम कर रहे हैं।

स्ट्रगल से बढ़ा आगे

धमर्ेंद्र बताते हैं, मैंने सोचा नहीं था कि किसी प्राइवेट बैंक में काम करने का मौका मिलेगा। लेकिन आइसीआइसीआइ बैंक में आउटसोर्स एजेंसी के जरिए फ्रेशर्स के रिक्रूटमेंट का पता चला। मैंने इंटरव्यू दिया और सलेक्ट कर लिया गया। इसके बाद गवर्नमेंट बैंकिंग सेक्शन (वर्टिकल) में जूनियर टास्क ऑफिसर के रूप में काम किया। गवर्नमेंट बैंकिंग में सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के ई-गवर्नेस इनिशिएटिव्स के अलावा सरकारी योजनाओं के फंड्स की मॉनिटरिंग और उनके डिस्ट्रिब्यूशन का काम होता है। वहां 10 महीने काम करने के बाद कोटक महिंद्रा बैंक से जॉब का ऑफर आया और मैंने उसे च्वाइन कर लिया। वहां पहले गवर्नमेंट बैंकिंग में ही काम किया। लेकिन जब उसे रिटेल के साथ मर्ज कर दिया गया, तो मुझे रिटेल बैंकिंग में आना पड़ा। यह एक बड़ा चैलेंज था। इसमें कुछ बैंक की ट्रेनिंग और कुछ अपने अनुभव से सेक्टर को समझा। मेहनत सफल हुई और इंटरनल एग्जाम के जरिए मेरा ऑफिसर रैंक में प्रमोशन भी हो गया। इससे कॉन्फिडेंस बढ़ा और मैं पूरे जोश के साथ आगे बढ़ता गया। करीब तीन साल पहले मैंने एक्सिस बैंक च्वाइन किया। आज मैं पूरी तरह से रिटेल बैंकिंग में रम चुका हूं।

रिटेल बैंकिंग में एंट्री

मौजूदा समय में पब्लिक, प्राइवेट और फॉरेन, सभी बैंक्स रिटेल बैंकिंग के क्षेत्र में खासा ध्यान दे रहे हैं। यह एक ऐसी इनोवेटिव फाइनेंशियल सर्विस है, जो हर बैंक अपने कस्टमर को देना चाहता है। फिर चाहे वह इंश्योरेंस हो, ऑनलाइन बैंकिंग, सेविंग अकाउंट, पर्सनल लोन, ऑटो लोन, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या मॉर्टगेज की सुविधा। इस तरह जैसे-जैसे प्रोडक्ट्स की संख्या बढ़ रही है, उन्हें संभालने के लिए प्रोफेशनल्स की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसे में जिनके पास भी सेल्स, मार्केटिंग या फाइनेंस से एमबीए की डिग्री है या वे ग्रेजुएट हैं, तो कस्टमर सर्विस ऑफिसर/मैनेजर, रिलेशनशिप ऑफिसर/ मैनेजर, सेल्स ऑफिसर के रूप में इसमें एंट्री ले सकते हैं। बैंक्स खुद अपने एम्प्लॉइज को इंटर्नल और ऑनलाइन ट्रेनिंग के जरिए वर्क फंक्शंस और इंडस्ट्री के मुताबिक ट्रेन करते हैं। प्राइवेट बैंक्स का अपना रेज्यूमे बैंक भी होता है जहां युवा अपना रेज्यूमे सबमिट कर सकते हैं। बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से कॉल करता है। इसके अलावा कंसल्टेंसी की मदद से भी लोगों को हायर किया जाता है।

वेल्थ मैनेजमेंट में फ्यूचर

सुजाता कपिल ने 2008 में बेंगलुरु के आर.एन.एस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंफॉर्मेशन साइंस में बीटेक किया था। कॉलेज के बाद टेक महिंद्रा कंपनी च्वाइन की। उस समय आइटी सेक्टर में रिसेशन का दौर चल रहा था। लेकिन बैंकिंग में नई अपॉच्र्युनिटीज सामने आ रही थीं। आइसीआइसीआइ बैंक में ऑनलाइन एग्जाम के जरिए प्रोबेशनरी ऑफिसर की नियुक्ति हो रही थी। उन्होंने एग्जाम और इंटरव्यू दिया, जिसके बाद वह सलेक्ट कर ली गईं। आज सुजाता कोलकाता के आइसीआइसीआइ बैंक में डिप्टी ब्रांच मैनेजर (वेल्थ मैनेजमेंट) के तौर पर काम कर रही हैं।

प्रैक्टिकल लर्निंग

सुजाता कहती हैं, इंजीनियरिंग से बैंकिंग में शिफ्ट करना एक चैलेंज था। मेरा बैकग्राउंड इकोनॉमिक्स या कॉमर्स का नहीं था, इसलिए शुरू में थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। कस्टमर्स से इंटरैक्ट करने में भी झिझक होती थी, लेकिन प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस से जल्द ही काफी कुछ सीख लिया। उससे कॉन्फिडेंस आया और एक कंफर्ट लेवल डेवलप हो गया। आज मैं वेल्थ मैनेजमेंट से रिलेटेड ऑपरेशंस देख रही हूं। बैंक से जुड़े करीब 1500 से 1600 वेल्थ मैनेजमेंट कस्टमर्स को हैंडल करने से लेकर ऑडिट, क्लाइंट मैपिंग जैसी दूसरी रिस्पॉन्सिबिलिटी मुझे दी गई है।

ट्रेनिंग में समझी इंडस्ट्री

बैंक में सलेक्शन के बाद मेरी बेंगलुरु में आइसीआइसीआइ मणिपाल एकेडमी फॉर बैंकिंग ऐंड इंश्योरेंस ( आइएमए) में नौ महीने की क्लासरूम ट्रेनिंग हुई। यह ट्रेनिंग सलेक्टेड प्रोफेशनल्स को इंडस्ट्री की जरूरतों के मुताबिक तैयार करने के लिए दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान जनरल मैनेजमेंट और बैंकिंग से रिलेटेड स्पेशलाइच्ड सब्जेक्ट्स के बारे में बताया जाता है। प्रोग्राम का मकसद होता है पर्सनैलिटी डेवलपमेंट से लेकर बैंकिंग की फंक्शनल नॉलेज से प्रोफेशनल्स को अवेयर करना। इसमें कैंडिडेट्स को तीन सेमेस्टर्स क्लियर करने होते हैं। साथ ही, अलग-अलग ब्रांचेज में तीन महीने की इंटर्नशिप होती है। यह कंप्लीट करने के बाद ही कहीं पोस्टिंग मिलती है। शुरू में एक साल का प्रोबेशन होता है। इस तरह ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मैंने 2010 में कोलकाता स्थित ब्रांच में कस्टमर सर्विस मैनेजर के रूप में च्वाइन किया था।

बैंकिंग में एंट्री

किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट, बैंकिंग सेक्टर में करियर बना सकते है। चाहे तो स्पेशलाइच्ड सर्टिफिकेट्स के साथ प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में एंट्री ले सकते हैं। जो लोग वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में आना चाहते हैं, वे चार्टर्ड वेल्थ मैनेजर का सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं।

पीएसबी में करियर


स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर देश भर के सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों में भर्ती आइबीपीएस यानी इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन करता है। मोटे तौर पर पांच तरह की भर्ती होती है : स्पेशलिस्ट ऑफिसर, पीओ, क्लर्क, ऑफिस असिस्टेंट और मैनेजमेंट ट्रेनी या एग्जीक्यूटिव।

पॉपुलर पोस्ट्स

स्पेशलिस्ट ऑफिसर रिक्रूटमेंट के तहत आइटी ऑफिसर स्केल-1 और स्केल-2, एग्रीकल्चरल फील्ड ऑफिसर, राजभाषा अधिकारी, लॉ ऑफिसर, स्केल-1 और 2, टेक्निकल ऑफिसर, एचआर/पर्सनेल ऑफिसर, मार्केटिंग ऑफिसर जैसे पदों पर रिक्रूटमेंट होती है। पीओ/एमटी रिक्रूटमेंट के तहत प्रोबेशनरी ऑफिसर और मैनेजमेंट ट्रेनी की भर्ती होती है। क्लेरिकल भर्ती के तहत बैंक क्लर्क की भर्ती होती है। आरआरबी के तहत ऑफिस असिस्टेंट, ऑफिसर स्केल-1, ऑफिसर स्केल-2 जनरल बैंकिंग ऑफिसर, ऑफिसर स्केल-2 स्पेशलिस्ट ऑफिसर्स और ऑफिसर स्केल-3 पदों पर भर्तियां होती हैं। स्पेशलिस्ट ऑफिसर्स में चार्टर्ड अकाउंटेंट, मार्केटिंग ऑफिसर, ट्रेजरी मैनेजर जैसे पोस्ट्स होते हैं।

एलिजिबिलिटी

करीब-करीब सभी पोस्ट्स के लिए ग्रेजुएशन और कंप्यूटर नॉलेज जरूरी है। पीओ के लिए ग्रेजुएशन में 55 परसेंट मा‌र्क्स और इंटरमीडिएट में मैथ्स होना जरूरी है। वहीं स्पेशलिस्ट ऑफिसर के लिए संबंधित स्ट्रीम में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन की रिक्वॉयरमेंट होती है, साथ में एक्सपीरियंस भी देखा जाता है। बैंक पीओ के लिए आमतौर पर 21 से 30 साल और क्लर्क के लिए 20 से 28 साल की उम्र होनी जरूरी है।

चैलेंज भी कम नहीं

रणजीत सिंह का 2013 में आइबीपीएस के माध्यम से पंजाब ऐंड सिंध बैंक के लिए सलेक्शन हुआ। उनकी पहली पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हुई और आज वे वहां असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम कर रहे हैं।

रीजनिंग पर फोकस

मैंने बैंकिंग के लिए अलग से तैयारी नहीं की। बीएचयू से ग्रेजुएशन साइंस स्ट्रीम में पास किया था, उसका ही फायदा मिला। क्रॉनिकल, कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू और किरण प्रकाशन सहित बाजार में उपलब्ध कुछ अन्य मैगजींस का अध्ययन किया। चूंकि मुझे रीजनिंग टफ लगता था, इसलिए इसकी तैयारी करते समय टाइम फ्रेम में रीजनिंग के क्वैश्चंस सॉल्व करने का हर दिन प्रयास करता रहा, जिसका मुझे जबरदस्त फायदा मिला। जीएस के लिए मैंने कुछ लड़कों के साथ ग्रुप डिस्कशन किया।

प्रॉब्लम हैंडलिंग

शुरू-शुरू में बैंक के वर्क प्रेशर और कस्टमर्स को लेकर परेशानी हुई, लेकिन कस्टमर्स से मिलने, उनकी समस्याएं सुनने, अपने सीनियर अधिकारियों से मिलने और उनसे ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद प्रॉपर नॉलेज होती गई। धीरे-धीरे इन प्रॉब्लम्स को मैंने सॉर्ट आउट करना सीख लिया।

कस्टमर्स की उम्मीदें

चूंकि बैंकिंग कस्टमर सर्विस ओरिएंटेड फील्ड है, इसलिए कस्टमर्स की उम्मीदें भी ज्यादा होती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बहुत बार कस्टमर्स को सटिस्फाई करना मुश्किल हो जाता है। बैंकों के सीबीएस हो जाने से आज टेक्नोलॉजी पर निर्भरता बढ़ गई है। टेक्नोलॉजी में खराबी आ जाए, तो ऐसे में कस्टमर्स को इंस्टैंट सर्विस देना भी टफ हो जाता है। दूसरी तरफ, लिमिटेड वर्किग ऑवर में काम करना और ब्रांच को अलॉटेड टारगेट को अचीव करना होता है। फ्रॉड, बैंक डकैती, मारपीट, नेता या छुटभैये लोगों द्वारा लोन के लिए प्रेशर जैसी छोटी-मोटी परेशानियां शुरू-शुरू में आती हैं, लेकिन समय के साथ जब आप इन परेशानियों को मैनेज करना सीख जाएंगे, तो इस जॉब का कोई जवाब नहीं है।

ग्रो विद इनवेस्टमेंट बैंक

संदीप सुमन का सपना इनवेस्टमेंट बैंकर बनने का था। इसके लिए उन्होंने आइसीएफएआइ बिजनेस स्कूल, हैदराबाद से बीबीए करने के बाद 2012 में ब्रिटेन की कोवेन्ट्री यूनिवर्सिटी से फाइनेंस में एमबीए किया। वहां पढ़ाई के दौरान जॉब के कई ऑफर्स आए, लेकिन उन्होंने इंडिया में काम करने का फैसला कर रखा था। इसलिए वापस लौटे। बैंकों में इंटरव्यू दिए। आखिरकार बारक्लेज इंडिया में सलेक्शन हो गया। फिलहाल वह चेन्नई ब्रांच में एनालिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं।

वर्क फ्लो को समझा

संदीप कहते हैं, एक फ्रेशर के तौर पर मेरे लिए बारक्लेज जैसी कंपनी में जॉब मिलना बड़ी बात थी। इसमें कुछ हद तक ब्रिटेन से हासिल की गई डिग्री की भी भूमिका रही। लेकिन टेलीफोनिक इंटरव्यू में पूछे गए ग्लोबल इकोनॉमी, बारक्लेज और सब्जेक्ट से रिलेटेड सवालों के जवाब से भी अच्छा इंप्रेशन बना और मुझे फौरन जॉब ऑफर कर दी गई। शुरू में वर्क को लेकर थोड़ा स्ट्रेस होता था, लेकिन ग्लैसगो से आए एक्सप‌र्ट्स के अंडर में दो महीने की ट्रेनिंग से वर्क फ्लो को समझने में काफी आसानी हुई। इसके अलावा, बीच-बीच में होने वाले ट्रेनिंग सेशंस से भी बहुत कुछ जानने-सीखने को मिला। आज मैं अपने काम को एंजॉय कर रहा हूं।

इकोनॉमी की नॉलेज

इनवेस्टमेंट बैंक्स हायरिंग के समय कैंडिडेट्स में कुछ खास क्वालिटीज और स्किल्स देखते हैं, जैसे-इंडिया और इंटरनेशनल लेवल की इकोनॉमी और स्टॉक मार्केट की जानकारी। इनवेस्टमेंट बैंकिंग, कॉरपोरेट फाइनेंस की बेसिक नॉलेज, गुड कम्युनिकेशन स्किल और स्मार्टनेस। अगर कोई यूथ इनवेस्टमेंट बैंकिंग में करियर बनाना चाहता है, तो उसके पास इकोनॉमिक्स या फाइनेंस में एमबीए की डिग्री होनी चाहिए।

रन टिल सक्सेस


गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और अवध यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने बैंकिंग सेक्टर के जॉब्स के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। न्यूजपेपर्स और मैगजीन्स के जरिए पढ़ाई करके दो बार एग्जाम दिया, सलेक्शन नहीं हुआ। फिर मैं काफी निराश हो गया। एक दोस्त ने कोचिंग करने की सलाह दी। कोचिंग में जाकर काफी कुछ नया पता चला, जिसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के लिए पिछले साल मुझे सलेक्ट कर लिया गया।

इंटरव्यू का रोल इम्पॉर्र्टेट

जितनी बार भी मेरा सलेक्शन नहीं हुआ, उसकी बड़ी वजह रही इंटरव्यू में अच्छा स्कोर न कर पाना। रिटेन एग्जाम में तो अक्सर मैं 250 में से 170-180 स्कोर कर लेता था, लेकिन ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू में ज्यादा स्कोर न होने की वजह से ऑल इंडिया मेरिट में पिछड़ जाता था। इस बार रिटेन में 250 में से 172 मा‌र्क्स मिले और इंटरव्यू में 100 में से 80, फिर ऑल इंडिया 469 रैंक हासिल कर ली।

प्रैक्टिस से सक्सेस


दरअसल बैंक एग्जाम्स में रिटेन में अच्छा स्कोर करने के लिए सबसे जरूरी है प्रैक्टिस पेपर सॉल्व करना, क्योंकि ज्यादातर कैंडिडेट्स के साथ यही होता है कि वे एग्जाम में घबरा जाते हैं। एग्जाम का टाइम कम होने के कारण प्रेशर में कई सारे क्वैश्चंस या तो छूट जाते हैं या फिर गलत हो जाते हैं।

डेवलप योर विजन


प्रैक्टिस करते रहने से आप एग्जाम के लिए पूरी तरह तैयार होते हैं। वहीं ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू के लिए बहुत जरूरी है कि आपकी कम्युनिकेशन स्किल अच्छी हो। यह एक रूम में बैठकर तैयारी करने से नहीं होगा। आपको हर टाइम अलर्ट रहना होगा। एक विजन डेवलप करना होगा ताकि हर न्यूज अपने एग्जाम के क्वैश्चंस के नजरिए से देखें।

रिकमंडेड बुक्स: रीजनिंग और मैथ्स के लिए आर एस अग्रवाल और अशोक सिंह की बुक्स, रिकमंडेड न्यूजपेपर: द हिंदू, रकमंडेड मैगजीन: प्रतियोगिता दर्पण और मास्टर्स इन करेंट अफेयर्स

स्मार्ट तैयारी जरूरी

शिवांगी गुप्ता यूपी के बहराइच जिले की रहने वाली हैं। हाईस्कूल के बाद इंटरमीडिएट बॉयोलॉजी ग्रुप से किया है। उसके बाद बॉटनी, जूलॉजी और केमिस्ट्री से बीएससी किया। मैथ्स हाईस्कूल में ही छूट गया था, लेकिन जिस तरह से बैंिकग की अच्छी वैकेंसीज आ रही थीं और इसमें कोई धांधली की भी खबरें नहींआती थीं, पूरे प्रॉसेस में एकदम फेयर कॉम्पिटिशन नजर आया, तो उन्होंने बैंकिंग में ही करियर बनाने का फैसला कर लिया। आज वे लखनऊ स्थित बैंक ऑफ इंडिया में चीफ टेलर ऑफिसर के पद पर काम कर रही हैं।

मैथ्स हौव्वा नहीं

बैंकिंग एग्जाम्स में कंप्यूटर नॉलेज कंपल्सरी रूप से होनी चाहिए। इसलिए मैंने ग्रेजुएशन के बाद कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। उसके बाद कोचिंग में एडमिशन लेकर बैंक एग्जाम्स की तैयारी करने लगी। ग्रेजुएशन तक मैंने काफी सीरियसली पढ़ाई की थी। इसलिए आगे कोई दिक्कत नहीं हुई। बैंकिंग के क्वैश्चन पेपर में मैथ्स हाईस्कूल लेवल का ही होता है, इसलिए कोई कंफ्यूजन भी हुआ, तो वह कोचिंग क्लासेज के दौरान दूर हो गया।

स्पीड टेस्ट से बनाएं स्पीड

कोचिंग में स्पीड टेस्ट लिया जाता था। इसका मुझे बहुत फायदा हुआ। स्पीड टेस्ट में बिल्कुल एग्जाम जैसे माहौल में आपको ढाई घंटे के लिए बैठा दिया जाता है। टेस्ट की स्कोरिंग ऑल इंडिया बेस पर होती है, जिससे आपको पता चलता रहता है कि आप कितने पानी में हैं। आपके सलेक्शन के चांसेज कितने हैं। मेरे ऑल इंडिया रैंक अक्सर 50 के आस-पास होते थे। इससे मेरा मनोबल काफी बढ़ा और मैं बेहतर परफॉर्म करती गई। पहले मेरा सलेक्शन यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में हुआ। वहां ज्वाइन करने के कुछ ही दिनों बाद बैंक ऑफ इंडिया में भी सलेक्शन हो गया। अपने एक्सपीरियंस से मैं आप सभी से यही कहूंगी, कि सीरियस होकर स्मार्टली तैयारी करें, स्पीड टेस्ट दें, जरूर सफल होंगे।

सरकारी बैकों में करियर

सलेक्शन प्रॉसेस

सलेक्शन रिटेन एग्जाम और इंटरव्यू के जरिए होता है। बैंक पीओ और स्पेशलिस्ट ऑफिसर के लिए ग्रुप डिस्कशन का भी राउंड होता है। दो घंटे के रिटेन एग्जाम में ऑब्जेक्टिव टाइप के क्वैश्चंस पूछे जाते हैं। इसमें पांच सेक्शंस होते हैं, इंग्लिश लैंग्वेज, रीजनिंग, डाटा एनालिसिस ऐंड एंटरप्रेटेशन, जनरल अवेयरनेस और कंप्यूटर नॉलेज। बैंक पीओ और स्पेशलिस्ट ऑफिसर के एग्जाम में 1 घंटे का डिस्क्रिप्टिव पेपर भी होता है, जिसमें 5 कंपल्सरी क्वैश्चंस के आंसर्स 250-300 शब्दों में लिखने होते हैं। क्वालिफाइड कैंडिडेट्स को ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। बैंकिंग सेक्टर के सभी एग्जाम्स में 0.25 मा‌र्क्स की निगेटिव मार्किंग है, यानी चार क्वैश्चंस के गलत उत्तर पर आपका एक अंक कट जाता है।

स्पीड ऐंड एक्यूरेसी


सबसे जरूरी है स्पीड और एक्यूरेसी। अगर आप रेगुलर स्टडी के साथ-साथ ऑनलाइन प्रैक्टिस टेस्ट सॉल्व करते रहें, तो यह बड़ी समस्या नहीं है। इसके अलावा, अगर हर रोज न्यूजपेपर और हर हफ्ते करेंट अफेयर्स की मैगजीन्स पढ़ते हैं, तो आपको जनरल अवेयरनेस के पेपर में भी कोई मुश्किल नहीं आएगी। चूंकि आजकल वैकेंसीज ज्यादा आ रही हैं, इसलिए कट ऑफ भी बहुत ज्यादा नहीं जा रहे हैं। इसलिए कान्फिडेंस और स्ट्रेटेजी के साथ तैयारी करें।

बैंकिंग में करियर

स्मार्ट सर्विस, स्मार्ट प्रोफेशनल्स

प्राइवेट बैंकों में रिक्रूटमेंट की नोटिफिकेशंस बैंक की वेबसाइट्स, जॉब पोर्टल्स पर दी जाती हैं। इसके अलावा कंसल्टेंसी के जरिए भी इंटरव्यू ऑर्गेनाइज किए जाते हैं। प्राइवेट बैंकों में इकोनॉमी और एकाउंट्स के नॉलेज के साथ-साथ स्मार्ट पर्सनैलिटी वाले लोगों को भी प्रॉयरिटी दी जाती है।

पॉपुलर पोस्ट्स


पब्लिक सेक्टर के बैंकों की तरह प्राइवेट बैंकों में भी प्रोबेशनरी ऑफिसर्स होते हैं, जो बैंक के बेसिक वर्क प्रॉसेस के मेन रोल में होते हैं। इन्हें कई सेक्शंस में काम पर लगाया जाता है, मसलन- ट्रेड फाइनेंस, प्रिविलेज बैंकिंग, इनवेस्टमेंट बैंकिंग, रूरल इंक्लूसिव बैंकिंग, रिटेल बैंकिंग आदि। इसके अलावा सेल्स मैनेजर, फोन बैकिंग ऑफिसर, रिलेशनशिप मैनेजर के लिए भी रिक्रूटमेंट होती है। फ्रेशर्स को ज्यादातर बैंकों में मैनेजमेंट ट्रेनी या एग्जीक्यूटिव के रूप में भर्ती किया जाता है।

एलिजिबिलिटी

आमतौर पर हायर पोस्ट्स के लिए एमबीए (फाइनेंस या मार्केटिंग) और जूनियर पोस्ट के लिए कॉमर्स ग्रेजुएट या ग्रेजुएट के साथ-साथ कंप्यूटर नॉलेज जरूरी होता है। कहीं-कहीं सेल्स ऑफिसर/एग्जीक्यूटिव या फोन बैंकिंग ऑफिसर के लिए अंडर ग्रेजुएट या 10+2 होना भी सफिशिएंट होता है। एज लिमिट अमूमन 18 से 28 साल होती है। कुछ बैंकों में अधिकतम उम्र सीमा 25 साल ही है। प्रोबेशनरी ऑफिसर्स के लिए कई बैंकों में लंबी पेड ट्रेनिंग के बाद अप्वाइंटमेंट होता है।

सलेक्शन प्रॉसेस

सलेक्शन के लिए अमूमन चार राउंड होते हैं :

एप्टीट्यूड टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन, साइकोमेट्रिक प्रोफाइलिंग और पर्सनल इंटरव्यू। कभी-कभी पोस्ट्स के हिसाब से भी कुछ नए राउंड डाल दिए जाते हैं।

एप्टीट्यूड टेस्ट

यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के रिटेन एग्जाम की तरह होता है। इसमें न्यूमेरिकल, वर्बल कॉम्प्रिहेंशन, लॉजिकल रीजनिंग ऐंड बेसिक चेकिंग एबिलिटीज के सेक्शंस होते हैं।

ग्रुप डिस्कशन

इसके तहत किसी केस स्टडी या टॉपिक पर ग्रुप डिस्कशन कराया जाता है। इसमें कैंडिडेट की एनालिटिकल और प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी की परख की जाती है।

साइकोमेट्रिक प्रोफाइलिंग

इस राउंड में कैंडिडेट्स को एक साइकोलॉजिकल क्वैश्चनेयर फॉर्म दिया जाता है, जिसके आंसर उन्हें लिखने होते हैं। इसमें सही या गलत का आकलन नहीं किया जाता है, बल्कि पर्सनैलिटी की क्वालिटीज इवैल्यूएट की जाती है।

पर्सनल इंटरव्यू

फाइनल राउंड यानी पर्सनल इंटरव्यू में आमतौर पर बैंकिंग की समझ और बैकग्राउंड के बारे में क्वैश्चंस किए जाते हैं। किसी भी प्राइवेट बैंक की वेबसाइट पर करियर सेक्शन में जाकर वैकेंसीज और रिक्रूटमेंट के बारे में जानकारी ली जा सकती है।

स्मार्ट सोच से मुश्किलें आसान


बैंकिंग का मूल फंडा है कि कम समय में ज्यादा प्रेशर आप कैसे झेल सकते हैं। यही टेस्ट करने के लिए बैंकिंग परीक्षाओं में क्वैश्चंस ज्यादा होते हैं और समय कम। जो स्टूडेंट बैंकिंग के इस मापदंड पर खरा उतरते हैं, उन्हें बैंकिंग सर्विसेज को टैकल करने में मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता।

बेस्ट सेक्टर है बैंकिंग

नए लड़के टेक सेवी हैं, जबकि पुराने स्टाफ उतने टेक-फ्रेंडली नहीं हो पाते। इसके अलावा, आइटी एप्लिकेशंस और सेल के फ्रॉड केसेज सामने आते रहते हैं। इन चुनौतियों से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यंग जेनरेशन के लिए बेस्ट है बैंकिंग सेक्टर।

कम्युनिकेशन के साथ स्किल इंपॉर्र्टेट


इंटरव्यू के दौरान कैंडिडेट की कम्युनिकेशन स्किल्स परखी जाती है। उसकी पूरी पर्सनैलिटी जज की जाती है। कैंडिडेट कितना अपीलिंग है? काम को लेकर कितना सिंसियर है? प्रॉब्लम सॉल्विंग क्वालिटीज कितनी है? इंटर पर्सनल रिलेशन डेवलप करने में कितना फास्ट है? ये सारी क्वालिटीज देखी जाती हैं।

प्रैक्टिस से पाएं सफलता

अगर 5 से 6 महीने डिसिप्लिन के साथ रेगुलर तैयारी कर लें, तो पीएसबी पीओ एग्जाम क्लियर कर सकते हैं। इंग्लिश, मैथ्स, रीजनिंग और जीएस के जितने प्रैक्टिस पेपर सॉल्व करेंगे, मॉक इंटरव्यूज देंगे, उससे कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। बैंकिंग और फाइनेंस ट‌र्म्स से भी अवेयर रहें.

Jagran Josh
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Education Desk

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