यूपीपीसीएस परीक्षा 2010 में द्वितीय स्थान पर चयनित विवेक मिश्र का jagranjosh.com के साथ साक्षात्कार

Feb 26, 2013, 15:27 IST

यूपीपीसीएस परीक्षा 2010 में द्वितीय स्थान पर चयनित होकर सुलतानपुर के विवेक कुमार मिश्र ने निस्संदेह शानदार सफलता अर्जित की है. इस परीक्षा में विवेक कुमार मिश्र के सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी.

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित उत्तर प्रदेश सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) परीक्षा-2010 में द्वितीय स्थान पर चयनित होकर विवेक कुमार मिश्र ने निस्संदेह अत्यंत सम्मानजनक उपलब्धि अर्जित की, जिसके लिए वह शत-शत बार हार्दिक बधाई के पात्र हैं. jagranjosh.com के साथ उनके साक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण अंश निम्नलिखित है.

जागरण जोश: उत्तर प्रदेश सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा-2010 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई.
विवेक मिश्र: बहुत बहुत धन्यवाद.
जागरण जोश: आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगें?
विवेक मिश्र: अपने माता-पिता के आशीर्वाद, अपनी मेहनत और ईश्वर की कृपा को
जागरण जोश: आप अपनी पारिवारिक पृष्ठिभूमि, विद्यालयी शिक्षा और उच्च शिक्षा के बारे में बताएं.
विवेक मिश्र:  हाईस्कूल: पंडित मोती लाल नेहरू इंटरमीडिएट कालेज कमैचा, सुलतानपुर, यूपी  
इंटरमीडिएट: राजकीय इंटर कालेज इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
स्नातक: इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
परास्नातक: इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश.
जागरण जोश: आपने उत्तर प्रदेश सिविल सेवा का चयन कब और क्यों किया?
विवेक मिश्र: मेरी पारिवारिक पृष्ठिभूमि प्रशासनिक सेवा से जुडी रही. मेरे चाचा अपर जिला जज थे. आरंभ से ही मेरे मन में प्रशासनिक सेवा के प्रति रुझान रहा और स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने बाद इसकी तैयारी प्रारम्भ कर दी.
जागरण जोश: यह सफलता आपने कितने अवसरों में प्राप्त की? आप अपने पिछले अवसरों को किस प्रकार देखतें हैं?
विवेक मिश्र: जी यह मेरा दूसरा साक्षात्कार था. पिछले साक्षात्कार में मुझे सफलता नहीं प्राप्त हो सकी थी. क्योंकि लिखित परीक्षा में मेरे अंक (Marks) कुछ कम रह गए थे. उसको मैंने चुनौती के रूप में लिया और आगे लगातार उसे सुधारने का प्रयास किया. इसका यह परिणाम रहा कि वर्ष 2010 में मुझे अच्छी सफलता मिली.
जागरण जोश: आपने इस परीक्षा के लिए माध्यम  के रूप में किस भाषा का चयन किया?
विवेक मिश्र: हिन्दी भाषा
जागरण जोश: क्या आपने अपनी तैयारी के किसी स्तर पर कोचिंग संस्थान का सहयोग लिया था? इस परीक्षा की तैयारी में कोचिंग संस्थानों की क्या भूमिका है?  
विवेक मिश्र: जी हां, मैंने मुख्य परीक्षा के विषय के लिए दिल्ली में कोचिंग ली थी. इसके अतिरिक्त इतिहास और हिन्दी साहित्य के लिए अलग-अलग कोचिंग संस्थानों की मदद ली. इसके अलावा साक्षात्कार के लिए भी मैंने कोचिंग संस्थान की मदद ली. इसके अतिरिक्त अपने मित्रों के साथ समूह बनाकर अपने कमरे में साक्षात्कार (छदम साक्षात्कार) का आयोजन कर इसकी तैयारी करता रहा. जिसका परिणाम मेरा साक्षात्कार बहुत ही अच्छा रहा. जिसके कारण मुझे यह सफलता मिली.
जागरण जोश: इस परीक्षा के लिए आपने किस वेबसाइट का उपयोग किया था? इंटरनेट इस परीक्षा में किस तरह सहायक है?
विवेक मिश्र: निश्चित रूप से ही इस दूरसंचार के युग में वेबसाइट और इंटरनेट परीक्षा के लिए बहुत जरूरी हो गया है. विषय से संबधित बहुत सारी सामग्री और समसामयिकी से संबधित सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है. उसका उपयोग हमने भी किया था. परीक्षार्थियों को इसका उपयोग करना चाहिए. इससे तैयारी बहुत आसान हो जाती है.
जागरण जोश: उत्तर प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए अभ्यर्थी को कितना समय चाहिए? इसके लिए आपने कितना समय लिया?  
विवेक मिश्र: यह तो अपने–अपने ऊपर निर्भर करता है, कि कौन कितने समय में परीक्षा की तैयारी पूरी कर लेता है. परन्तु मुझे लगता है कि अगर शुरू से ही अच्छा मार्ग निर्देशक रहे और अभ्यर्थी अच्छे दिशा में प्रयास करे, तो 2 से 3 वर्षों में निश्चित रुप से सफलता प्राप्त की जा सकती है.    
जागरण जोश: यूपीपीसीएस प्रा. परीक्षा-2010 में आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था?
विवेक मिश्र: यूपीपीसीएस प्रा. परीक्षा-2010 में मेरा वैकल्पिक विषय इतिहास था. मेरे चाचा जिनके मार्ग निर्देशन में मैंने तैयारी की. वह भी इतिहास विषय के साथ तैयारी करते थे. साथ ही मैंने स्नातक और परास्नातक में इतिहास विषय पढ़ा था. इसीलिए मैंने इतिहास विषय को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना.
जागरण जोश: आपने प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय और सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिए कौन कौन सी पुस्तकों और अन्य पाठ्य सामग्रियों का चयन किया?
विवेक मिश्र: इतिहास विषय के लिए मैंने बहुत सारी पुस्तकों का अध्ययन किया था. सामान्य अध्ययन की तैयारी हेतु मैंने निम्नलिखित पुस्तकों का अध्ययन किया.
भारतीय राजव्यवस्था के लिए व्रज किशोर शर्मा का भारतीय संविधान, भारत एवं विश्व भूगोल के लिए महेश गढवाल का भारत एवं विश्व भूगोल, साइंस के लिए यूनिक पब्लिकेशन की पुस्तक, अर्थव्यस्था के लिए प्रतियोगिता दर्पण का अतिरिक्तांक पढ़ा.
जागरण जोश: यूपीपीसीएस प्रा.परीक्षा की प्रवृति में किए गए बदलाव के बारे में आप क्या सोचती/सोचते हैं?
विवेक मिश्र: निश्चित रूप से समय के अनुरूप ही सिविल सेवा के पाठ्यक्रम में भी परिवर्तन हो रहा है. उसे और अधिक व्यवहारिक तथा आमजनता के नजदीक बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसीलिए यह जो प्रवृति सिविल सेवा में लागू की गई है. इसके लिए अपने ज्ञान को अधिक व्यवहारिक (Applied) बनाना पड़ेगा. और अपने को समसामयिक घटनाओं के प्रति विश्लेषणात्मक और तार्किक दृष्टिकोण विकसित करना होगा. अब हम सिविल सेवा को किताबें रटकर नहीं पास कर सकते हैं. इसके लिए हमें सोच विकसित करनी होगी. और व्यक्तित्व का विकास करना होगा. तभी हम सिविल सेवा को पास कर सकते हैं.      
जागरण जोश: प्रारंभिक परीक्षा, सम्पूर्ण परीक्षा प्रणाली का कठिनतम/सरलतम हिस्सा है. कैसे? इस पर आपकी क्या राय है?
विवेक मिश्र: प्रारंभिक परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है. निश्चित रूप से यह मुख्य परीक्षा की तुलना में सरल रहती है. इसमें अभ्यर्थी भी अधिक पास होते हैं. मुख्य परीक्षा में क्वालीफाइंग अनुपात कम हो जाता है. इसलिए प्रारंभिक परीक्षा की तुलना में मुख्य परीक्षा कठिन हो जाती है. मुख्य परीक्षा के लिए तथ्यात्मक जानकारी के साथ-साथ विश्लेषणात्मक दृष्टकोण का भी विकास करना होता है. इसमें अध्ययन के साथ-साथ लेखन शैली का भी विकास करना होता है. मेरा मानना है कि प्रारंभिक परीक्षा की तुलना में मुख्य परीक्षा अधिक कठिन होती है.  
जागरण जोश: आपने मुख्य परीक्षा की तैयारी कब प्रारम्भ की? अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी शुरू करने के लिए क्या प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा करनी चाहिए?
विवेक मिश्र: नही बिल्कुल नहीं. मुख्य परीक्षा की तैयारी प्रारंभिक परीक्षा के साथ ही प्रारम्भ हो जाती है. क्योंकि जो तथ्यात्मक शिक्षण रहता है वह प्रारंभिक परीक्षा की जानकारी से ही प्राप्त कर लेते हैं. प्रारंभिक परीक्षा  देने के बाद और प्रारंभिक परीक्षा  का परिणाम आने तक तथा परिणाम आने के बाद जब तक मुख्य परीक्षा हो नही जाती, तब तक प्रारंभिक परीक्षा के ज्ञान के आधार पर एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और लेखन शैली का विकास करते हैं. इसी के आधार पर ही हम मुख्य परीक्षा पास कर पाते हैं. मेरा मानना है कि अभ्यर्थी को प्रारंभिक परीक्षा  के परिणाम की प्रतीक्षा किए बिना मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट जाना चाहिए.   
जागरण जोश: मुख्य परीक्षा में आपके वैकल्पिक विषय क्या थे?
विवेक मिश्र: मुख्य परीक्षा में मेरा वैकल्पिक विषय इतिहास और हिंदी साहित्य था.
जागरण जोश: मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिए आपने कौन सी रणनीति अपनाई?
विवेक मिश्र: उत्तरप्रदेश में मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र बहुविकल्पीय होता है इसलिए मैंने इसके लिए कोई विशेष रणनीति नहीं अपनाई. बल्कि जो प्रारंभिक परीक्षा के लिए करता था उसी आधार पर मैंने इस परीक्षा के प्रश्नों को हल किया. अंतर सिर्फ इतना किया कि सामान्य अध्ययन में जो गणित का खंड है जिसमें कि अधिक प्रश्न पूछें जाते हैं उसकी तैयारी घर पर अच्छे से की.   
जागरण जोश: निबंध के प्रश्नपत्र के लिए आपकी क्या रणनीति थी? यूपीपीसीएस की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को निबंध में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आप क्या टिप्स देना चाहेंगे?
विवेक मिश्र: निबंध के लिए मैंने अलग से कोई तैयारी नहीं की थी. जो समाचार पत्र एवं पत्रिका पढ़ता था उन्हीं के आधार पर जो दृष्टिकोण का विकास हो रहा था. उसी आधार पर मैंने निबंध लिखने का प्रयास किया. पत्रिकाओं और समाचार पत्रों के माध्यम से अपने दृष्टिकोण का विकास करके घर पर ही निबंध लिखने का अभ्यास भी करता रहा.   
जागरण जोश: मुख्य परीक्षा में उत्तर लिखने का अभ्यास (answer writing practice) कितना महत्त्वपूर्ण है?
विवेक मिश्र: मुझे तो लगता है कि मुख्य परीक्षा मुख्य रूप से लेखन शैली पर निर्भर करती है. अगर आप का दृष्टिकोण विकसित है और आपके पास लेखन कला है तो आप निश्चित रूप से मुख्य परीक्षा में सफल होंगें. परीक्षार्थियों को तथ्यों और विशेष तथ्यों की जानकारी हो जाती है और वह दृष्टिकोण का भी विकास कर लेते हैं. परन्तु लेखन कला के अभाव में मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाते. इसलिए मेरा यह मानना है कि मुख्य परीक्षा में परीक्षार्थियों को लेखन कला पर विशेष ध्यान देना चाहिए. उसके लिए विशेष तैयारी करनी चाहिए.    
जागरण जोश: आपने अपने साक्षात्कार की तैयारी कब शुरू की? इसके लिए आपने कौन सी रणनीति बनाई?
विवेक मिश्र: साक्षात्कार में मैंने इलाहाबाद के संस्कृत गंगा संस्थान के निदेशक सर्वज्ञ भूषण मिश्र का मार्गनिर्देशन लिया. इसके अलावा अपने मित्रों सुरेश चन्द्र शुक्ला, ताडकेश्वर और शशिभूषण पाण्डेय के साथ एक समूह (Group) बनाकर अपने कमरे में ही (जिस तरह से साक्षात्कार बोर्ड में साक्षात्कार लिया जाता है) उसी तरह से तैयारी कर साक्षात्कार देने का अभ्यास किया. इसे साक्षात्कार के प्रति जो संकोच होता है वह दूर हो गया. मैं काफी निडरता और साहस के साथ साक्षात्कार दिया.   
जागरण जोश: कृपया आप अपने साक्षात्कार के बारे में विस्तार से बताइए. साक्षात्कार का समय, साक्षात्कार पैनल की संख्या और पूंछे गए प्रश्नों एवं उनके प्रकार के बारे में भी बताएं.
विवेक मिश्र: मेरा साक्षात्कार शर्मानंद जी के बोर्ड में पड़ा था. मेरा साक्षात्कार 14 सितंबर 2012 को हुआ. बोर्ड में अध्यक्ष सहित 5 सदस्य थे. मेरा साक्षात्कार लगभग 30 मिनट तक चला. साक्षात्कार की शुरुआत बोर्ड के अध्यक्ष ने की. उन्होंने मुझसे इतिहास विषय से संबंधित प्रश्न पूछें. जैसे विशेषकर पुरंदर की संधि, प्लासी का युद्ध एवं बक्सर के युद्ध से संबंधित प्रश्न. उसके बाद एक विशेषज्ञ ने मुझसे साइंस से संबंधित प्रश्न-नासा से संबंधित एवं भारी जल के बारे में पूंछा. दूसरे विशेषज्ञ ने इतिहास से जुड़े प्रश्न पूंछे. उन्होंने महात्मागांधी और भीमराव अम्बेडकर के चित्रों की ओर इशारा करते हुए उन्हें पहचानने के लिए कहा और उनपर दो-दो वाक्य बोलने के लिए कहा. उसके बाद मुग़ल वंश के पतन के बारे में प्रश्न पूंछें. एक अन्य सदस्य ने कहा कि आपने साइंस से संबंधित प्रश्नों के उत्तर बहुत अच्छे से दिए हैं. मैं भी आपसे साइंस से प्रश्न पूछूंगा. उन्होंने परमाणु रिएक्टर डेवलपमेंट, कुडनकुलम परियोजना के बारे में प्रश्न पूंछा. एक सदस्य ने मेरी सर्विस के बारे में प्रश्न पूंछा था. उन्होंने कहा कि जिसमें प्रवक्ता के अच्छे गुण झलकते हों उसे एसडीएम क्यों बनाया जाए. वहां भी अच्छी सेवा में हैं फिर उसे छोड़कर यहां क्यों आना चाहते हैं. यह सब मेरे सर्विस से जुड़े प्रश्न थे. फिर उसके बाद एक अन्य सदस्य ने हिन्दी साहित्य से प्रश्न पूंछा. उन्होंने जायसी की विशेषता के बारे में प्रश्न पूछा. फिर अध्यक्ष महोदय ने मुझसे अल्पसंख्यक राष्ट्रपतियों के नाम एवं ऐसे प्रधान मंत्रियों जिन्हें भारत रत्न मिल चुका हो से दो प्रश्न पूंछे. इस तरह मेरा साक्षात्कार तीस मिनट तक चला. और बोर्ड मुझसे काफी खुश दिख रहा था.
जागरण जोश: साक्षात्कार का सामना करते समय अभ्यर्थी को किन-किन आवश्यक चीजों को ध्यान में रखनी चाहिए?
विवेक मिश्र: मुझे तो लगता है कि अभ्यर्थी को सिर्फ अपने आत्म विश्वास को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए. बाक़ी 15 दिन में अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन नही कर सकते. सिर्फ यदि आप अपने कांफिडेंस को बनाए रखेंगें तो कम से कम जो आप हैं उसे बोर्ड के सामने आप प्रस्तुत कर पाएंगें. अगर परीक्षार्थी विश्वास के साथ बोर्ड का सामना करेगा. तो मुझे लगता है कि निश्चित रूप से उसे साक्षात्कार में अच्छे अंक मिलेंगे क्योकि प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा में उसने अपने तथ्यात्मक ज्ञान और विश्लेष्णात्मक दृष्टिकोण का परिचय दे चुका है तभी मुख्य परीक्षा पास कर पाया है. अगर साक्षात्कार में व्यक्ति जो है अपने संतुलित नजरिए और आत्म-विश्वास को बनाए रख सका और अपने को सही तरीके से बोर्ड के सामने प्रस्तुत कर सका तो निश्चित रूप से साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगें.
जागरण जोश: करेंट अफेयर्स प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार दोनों चरणों में क्या यह एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है? और क्या भविष्य में इसकी भूमिका बढ़ने वाली है?
विवेक मिश्र: जी हां निश्चित रूप से, प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार दोनों चरणों का यदि कोई केंद्र बिंदु है तो वह है करेंट अफेयर्स. करेंट अफेयर्स सिर्फ आपको केवल निबंध के पेपर में ही मदद नही करता, बल्कि आपके अपने स्वयम के विषय को भी समसामयिक बनाने में मदद करता है और जैसा कि सीसैट को मुख्य परीक्षा में लाने की तैयारी है. अगर सीसैट पद्धति को लागू कर दी गई, तो करेंट अफेयर्स की भूमिका और बढ़ जाएगी. क्योंकि सीसैट का दृष्टिकोण काफी व्यवहारिक है. इसलिए करेंट अफेयर्स से जुड़े विषयों का महत्त्व बढ़ जाएगा.                     
जागरण जोश: आपके जीवन का क्या लक्ष्य है? और अब आप इस दिशा में काम कैसे करोगे? जब आप सिविल सेवा में आएंगें तो वहां पर आपकी क्या योजना है?
विवेक मिश्र: मेरे जीवन का लक्ष्य यह है कि मुझे जो भी कार्य दिए गए हैं उनको मैं आम आदमी के हित में बेहतर ढंग से क्रियान्वित करूंगा और सिविल सेवा में आने के बाद मैंने यह सुनिश्चित किया है कि ईमानदारी के साथ काम करूंगा. जो भी जिम्मेदारी मुझे दी जाएगी. जो भी सरकारी नीतियां हैं उनको मैं बेहतर ढंग से क्रियान्वित करूगा.

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Education Desk

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