यदि आपकी रुचि मेडिकल फील्ड में काम करने की है और किसी कारणवश एमबीबएस बनने का सपना पूरा नहीं कर पाए हैं, तो क्लीनिकल रिसर्च में करियर बना सकते हैं। टैलेंटेड कैंडिडेट्स तथा कम लागत को देखते हुए दुनिया की टॉप दवा कंपनियां क्लीनिकल रिसर्च के लिए भारत का रुख कर रही हैं। यही कारण है कि भारत क्लीनिकल रिसर्च आउटसोर्स का एक बडा बाजार बनता जा रहा है।
क्लीनिकल रिसर्च
यह एक तरह का रिसर्च वर्क होता है, जिसके माध्यम से यह जानने की कोशिश की जाती है कि दवा या इलाज की कोई तकनीक कितनी फायदेमंद हो सकती है, उसका प्रभाव कितना सटीक हो सकता है। दवाई के सेवन से कोई साइड इफेक्ट तो नहीं होगा। इसे क्लीनिकल ट्रॉयल भी कहा जाता है।
शॉर्ट टर्म कोर्सेज
इससे संबंधित शॉर्ट टर्म कोर्सेज देश के विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं। आप चाहें, तो क्लीनिकल रिसर्च में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या रेगुलर पीजी डिप्लोमा कोर्स या पार्ट टाइम डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म कोर्सेज अधिकतम एक वर्ष और न्यूनतम तीन महीने का होता है।
योग्यता
यदि साइंस से ग्रेजुएट हैं, तो आप यह कोर्स कर सकते हैं। शर्त यह है कि आप बारहवीं में पीसीबी यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से जरूर उत्तीर्ण हों।
पर्सनल स्किल
इस क्षेत्र में उन्हीं को सफलता मिल सकती है, जिनका कम्युनिकेशन स्किल बेहतर हो और उनमें टीम लीडर की क्वालिटी भी हो। क्योंकि इसमें वर्क किसी एक व्यक्ति से नहीं होता है। इसके लिए बहुत सारी टीम होती है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में रिसर्च करती है और रिजल्ट सभी को देखकर दिया जाता है। आपका अंग्रेजी ज्ञान भी बहुत जरूरी है। यदि अंग्रेजी अच्छी है, तो आपको इस फील्ड में काफी सफलता मिल सकती है।
किसके लिए हैं फायदेमंद
इससे संबंधित शॉर्ट टर्म कोर्सेज उनके लिए फायदेमंद हो सकते हैं, जो पहले से ही इस फील्ड से जुडे हों। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास फार्मा से संबंधित डिग्री या डिप्लोमा है और आप इससे संबंधित शॉर्ट टर्म कोर्स कर लेते हैं, तो करियर के लिहाज से फ्यूचर काफी ब्राइट हो सकता है। कुछ इंस्टीट्यूट वर्किंग कैंडिडेट को ध्यान में रखते हुए पार्ट टाइम डिप्लोमा कोर्स भी कराती है। यदि आप कहीं वर्क कर रहे हैं, तो इस तरह के कोर्स कर सकते हैं।
पद
क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में आप निम्नलिखित पदों पर काम कर सकते हैं, जैसे-क्लीनिक ल रिसर्च असोसिएट्स, क्लीनिकल डाटा मैनेजर, क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजर, क्लीनिकल इन्वेस्टिगेटर, फार्मा को-विजिलेंस ऑफिसर, क्लीनिकल रिसर्च कोऑर्डिनेटर, मेडिकल राइटिंग एक्सपर्ट आदि।
संभावनाएं
यह क्षेत्र भारत में अभी नया है। इस कारण यह पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाया है। इसमें ट्रेंड प्रोफेशनल की काफी कमी है। भारतीय दवा कंपनियों का दबदबा अब दुनिया भर में बढ रहा है। आज दुनिया के पंद्रह से ज्यादा टॉप-रैंकिंग कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च ऑर्गनाइजेशंस भारत में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। भारत पूरे साउथ-ईस्ट एशिया में क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में एक हॉट डेस्टिनेशन बनकर उभरा है। नील मैकेंजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री का बिजनेस वर्ष 2010 तक लगभग 5,000 करोड रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है। वहीं, केंद्र सरकार के एक आंकडे के अनुसार, अगले पांच साल में इस इंडस्ट्री का व्यवसाय दस हजार करोड रुपये तक पहुंच जाने की संभावना है। एक अनुमान के मुताबिक, फिलहाल देश में लगभग 350 से ज्यादा क्लीनिकल ऑर्गनाइजेशंस हैं, जिनमें काफी प्रोफेशनल्स कार्य कर रहे हैं। वर्तमान ग्रोथ को देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें करियर काफी ब्राइट है।
कहां है जॉब
यदि संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो देश-विदेश की प्रतिष्ठित दवा कंपनियों में नौकरी कर सकते हैं। इसके अलावा मेडिकल से जुडे आरऐंडडी विभाग में भी नौकरी की तलाश कर सकते हैं।
संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च ऑफ इंडिया, दिल्ली
www.icriindia.com
सीआरईएमए
www.bii.in
बायोइंफॉर्मेटिक्स इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
आईबीएबी
www.ibab.ac.in
इग्नू
www.ignou.ac.in
सीआरईएमए
www.cremaindia.org
(आईसीआरआई के प्रिंसिपल डॉ. देवेश गुप्ता से बातचीत पर आधारित)
विजय झा
vijayjha@nda.jagran.com
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