National Milk Day 2021: हर साल 26 नवंबर को हमारे देश में ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ (National Milk Day) मनाया जाता है. हम सब जानते है दूध हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. आपको बता दें कि इस दिवस को श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन (Dr. Verghese Kurien) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
दूध का सेवन हर घर में किया जाता है. ऐसे में प्रत्येक साल भारत में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इन्हें भारत के मिल्कमैन के रूप में भी जाना जाता है. दूध हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरुरी है.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें
1. भारत में दुग्ध दिवस पहली बार 26 नवंबर 2014 को मनाया गया था.
2. ये दिन डॉ. वर्गीज कुरियन के सम्मान में मनाया जाता है जिनको भारत में श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है.
3. डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर को हुआ था जिसकी वजह से इस दिन को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है.
4. इस दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2001 में की गयी थी.
5. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), भारतीय डेयरी संघ (आईडीए) सहित देश के सभी डेयरी प्रमुखों ने 22 राज्य स्तरीय दूध संघों के साथ दिन तय किया था.
6. विश्व दुग्ध दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 1 जून को मनाया जाता है.
7. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस दूध और दूध उद्योग से संबंधित गतिविधियों के प्रचार एवं लोगों में आजीवन दूध एवं दूध उत्पादों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है.
8. यह दिन भारत की श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. यह उनकी जयंती का प्रतीक है.
9. भारतीय डेयरी संघ के साथ भारत के सभी डेयरी प्रमुखों ने 2014 में डॉ वर्गीज कुरियन को श्रद्धांजलि देने के लिए 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का संकल्प लिया.
10. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मानव जीवन में दूध की आवश्यकता और महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.
डॉ. वर्गीज कुरियन कौन थे?
डॉ वर्गीज कुरियन को भारत में ‘श्वेत क्रांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है. वे एक सामाजिक उद्यमी थे. उन्होंने ‘ऑपरेशन फ्लड’ (Operation Flood) का नेतृत्व किया, जो दुनिया भर में सबसे बड़ा कृषि डेयरी विकास कार्यक्रम है. उन्होंने अमूल ब्रांड की स्थापना एवं सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अमूल ने गुजरात में डेयरी सहकारी क्षेत्र के फलने-फूलने का मार्ग प्रशस्त किया.
इस ऑपरेशन ने भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना दिया. इस आंदोलन ने लगभग 30 सालों में प्रति व्यक्ति उपलब्ध दूध को दोगुना कर दिया और साथ ही दूध उत्पादन को चार गुना बढ़ा दिया. भारत सरकार द्वारा उन्हें साल 1965 में पद्मश्री, साल 1966 में पद्म भूषण एवं साल 1999 में पद्म विभूषण प्रदान किया गया था.
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