Asian Games 2023: वेटर और मजदूरी के काम से लेकर एशियाई पदक तक का सफर, पढ़ें रामबाबू की कहानी

Oct 6, 2023, 19:11 IST

Asian Games 2023: चीन में आयोजित 19वें एशियाई खेलों में पैदल चाल मिक्स में भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाले रामबाबू इन दिनों चर्चाओं में हैं। रामबाबू उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और कठिन परिस्थितियों से होकर गुजरे हैं। उन्होंने कभी खेतों में मजदूरी की, तो कभी वेटर बने। ऐसे में तमाम चुनौतियों को पछाड़ते हुए उन्होंने एशियाई खेलों तक का सफर पूरा किया है।

रामबाबू एथलीट की कहानी
रामबाबू एथलीट की कहानी

यदि व्यक्ति में किसी काम को करने की इच्छा है और वह अपने संकल्प के प्रति दृढ़ संकल्पित है, तो व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है। इस बीच लाख कठिनाई भी आए, तो उसे हिम्मत और मेहनत जैसे हथियारों से हराया जा सकता है।

कुछ इसी तरह की कहानी है 19वें एशियाई खेलों में भारत के लिए पैदल चाल मिक्स में कांस्य पदक जीतने वाले रामबाबू की, जिन्होंने कभी खेतों में मजदूरी की, तो कभी वेटर का काम किया। वहीं, जरूरत पड़ने पर वह डिलीवरी बॉय भी रहे।

कठिन परिस्थितियों से गुजरते हुए अपने अवरोधों को हराते हुए उन्होंने एशियाई खेलों तक का सफर पूरा किया और यहां पर भारत के लिए कांस्य तमगा जीतने में सफल रहे। इस लेख के माध्यम से हम रामबाबू की जीवन के बारे में जानेंगे।  

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35 किमी की पैदल चाल में जीता है पदक

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के रहने वाले रामबाबू ने चीन में हो रहे 19वें एशियाई खेलों में 35 किलोमीटर की पैदल चाल में अपने प्रतिद्वंदियों को हराते हुए भारत के लिए कांस्य पदक जीता है। इससे पहले उन्होंने गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में पैदल चाल प्रतियोगिता में 35 किलोमीटर की दूरी को दो घंटे, 36 मिनट और 34 सेकेंड में पूरा कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। 

 

पगडंडियों पर करते थे अभ्यास

रामबाबू शुरू से ही एथलीट बनना चाहते थे। ऐसे में वह बचपन में अपने गांव की पगडंडियों पर अभ्यास किया करते थे। इसमें उनके पिता भी उनका प्रोत्साहन बढ़ाते थे। 

 

आर्थिक हालत नहीं थी ठीक

रामबाबू के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। उनके पिता मजदूरी करते थे और मां पशुओं का दूध निकालने का काम करती थी। वहीं, कोरोना काल में संकट और बढ़ा, तो रामबाबू ने भी मजदूरी कर परिवार का पेट पाला। उन्होंने कभी मजदूरी की, तो कभी वेटर भी बने। यहां तक की उन्होंने कूरियर डिलीवरी बॉय का भी काम किया। 

 

सेना में हवलदार बनने से सुधरी हालत

रामबाबू के कदमों ने परिवार को गरीबी के जाल से निकालने में मदद की। हालांकि, अभी भी परिवार की आर्थिक हालत अधिक अच्छी नहीं है। रामबाबू ने खेलों में मेडल जीतकर सेना में हवलदार बनने तक का सफर पूरा किया, जिसके बाद से परिवार की आर्थिक हालत में कुछ सुधार हुआ।

रामबाबू की एक बहन प्रयागराज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है, तो दो बहनों की शादी हो गई है। रामबाबू का सपना ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का है। वह इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं। 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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