भारत के उत्तर में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें उत्तर प्रदेश का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यह राज्य अपने आंचल में भारत की विविध संस्कृति, अनूठी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का मिश्रण समेटे हुए है। यही वजह है कि यहां के हर शहर की अपनी एक कहानी है और इन कहानियों में जुड़ा है यहां का गौरवशाली इतिहास, जो इसे अन्य राज्यों से विशेष बनाता है।
भारत का यह राज्य देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां के प्रत्येक शहर की अपनी विशेषता है, जिस वजह से इन शहरों को उपनाम भी मिले हुए हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि यूपी का कौन-सा जिला पंडों का शहर भी कहा जाता है। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश राज्य का गठन 24 जनवरी, 1950 को किया गया था। पहले यहां पांचाल और कोसल साम्राज्य हुआ करता था। बाद में यहां शर्कियों ने जौनपुर बसाया। वहीं, मुगलों द्वारा यहां अवध सूबा बसाया गया, जिसके बाद ब्रिटिशों ने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया। इस प्रांत को 1937 में अवध सूबे के साथ मिला दिया गया, जिसे संयुक्त प्रांत नाम दिया गया। देश आजाद हुआ, तो इस प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
सबसे अधिक जिले वाला राज्य
उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यह राज्य पूरे भारत के करीब 7.33 फीसदी हिस्से पर है। इतने हिस्से पर कुल 75 जिले मौजूद हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं। इन संभागों में पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश है। कुछ किताबों में रोहिलखंड और बघेलखंड का भी जिक्र मिलता है। इसके अतिरिक्त यहां 17 नगर निगम, 75 नगर पंचायत, 28 विकास प्राधिकरण, 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण और 1 लाख से अधिक गांव मौजूद हैं।
किस जिले को कहा जाता है पंडों का नगर
अब सवाल है कि यूपी के किस जिले को पंडों का नगर कहा जाता है, तो आपको बता दें कि प्रदेश के मुथरा के जिले को पंडों का नगर कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है पंडों का नगर
प्रदेश का मथुरा जिला ब्रज भूमि का प्रमुख शहर है। इस जिले में शुरू से ही पंडा समाज के लोग रह रहे हैं, जिनका काम पंडागिरी करना है। यहां भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कई प्रमुख और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां पंडा समाज सेवा में रहता है। यही वजह है कि इस जिले को हम पंडों के शहर के रूप में भी जानते हैं।
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