कोरोनावायरस महामारी ने पहले लोगों से रोज़गार छीना और फिर बढ़ती महंगाई ने उनके भोजन से स्वाद। तालाबंदी की वजह से सभी काम ठप पड़े हैं जिससे लोगों के लिए घर का खर्च निकालना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे वक़्त में पेट्रोल-डीजल की कीमतों के साथ-साथ अब खाद्य तेल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं।
बता दें कि भारत में इस महीने खाद्य तेल की कीमतें रिकॉर्ड 200 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई हैं। इसमें मूंगफली, सरसों, वनस्पति, सोया, सूरजमुखी, पाम ऑयल आदि तेल शामिल हैं।
भारत में खाद्य तेल की बढ़ती महंगाई के पीछे क्या कारण हैं?
खाद्य तेल की कीमतों में पिछले एक साल में लगभग 50 फीसदी का इज़ाफा हुआ है। खाद्य तेल कारोबारियों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिसके चलते भारत में भी कीमत बढ़ी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत अपनी कुल खाद्य तेल की ज़रूरत का एक बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात करता है। इसके साथ ही आम तौर पर घरेूल बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें अंतरराट्रीय बाजार जितनी ही होती हैं।
अगर आंकड़ो पर नज़र डाली जाए तो भारत में हर साल लगभग 2.5 करोड़ लीटर खाद्य तेल की खपत होती है। भारत अपने घरेलू उत्पादन के ज़रिए लगभग 90 लाख लीटर की ज़रूरत पूरी कर पाता है और बाकी दूसरे देशों से आयात करता है।
वर्ष 1994-1995 में भारत अपनी खाद्य तेल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए केवल 10 फीसद ही आयात करता था। वहीं, अगर साल 2021 की बात की जाए तो भारत अपनी कुल ज़रूरत का 70 फीसद हिस्सा अर्जेंटीना, कनाडा, मलयेशिया, ब्राजील और अन्य दक्षिणी अमेरिकी देशों से आयात करता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत आसमान क्यों छू रही है?
दरअसल, चीन में खानपान को लेकर एक बड़ा बदलाव हुआ है। विशाल आबादी वाला देश अभी तक उबले हुए भोजन का सेवन करता था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय खानपान का चलन बढ़ने से चीन में अब चले हुए भोजन की खपत बढ़ रही है। इस खपत को पूरा करने के लिए चीन अंतरराष्ट्रीय बाजार से तेल खरीद रहा है, जिसके कारण कीमतों में लगातार इज़ाफा हो रहा है।
इसके अलावा खाद्य तेल से जैव ईंधन बनाने पर ज़ोर, मलेशिया में श्रमिक मुद्दे, पाम और सोया उत्पादक क्षेत्रों पर ला नीना का प्रभाव और इंडोनेशिया और मलेशिया में कच्चे पाम तेल पर निर्यात शुल्क शामिल हैं।
बढ़ते खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों के चलते सरकार की योजना
सरकार भारत को खाद्य तेल के मामले में वर्ष 2025-30 तक आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। मौजूदा वक़्त में भारत अपनी कुल खपत का लगभग 30 फीसद उत्पादन करता है जिसे भारत सरकार 2030 तक तीन गुना करने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार खाद्य तेलों की खेती के लिए ज़मीन के साथ-साथ जीएम सीड्स का इस्तेमाल बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
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