भारत के रेशम उद्योग का भौगोलिक वितरण

Jan 30, 2019, 12:59 IST

भारत चीन के बाद प्राकृतिक रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्राकृतिक रेशम की सभी चार किस्मों का उत्पादन करने वाला एकमात्र देश है: शहतूत, तसर, ओक तसर, एरी और मुगा। इस लेख में हमने भारत के रेशम उद्योग का भौगोलिक वितरण के बारे में बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

Geographical Distribution of Silk Industry in India HN
Geographical Distribution of Silk Industry in India HN

भारत चीन के बाद प्राकृतिक रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्राकृतिक रेशम की सभी चार किस्मों का उत्पादन करने वाला एकमात्र देश है: शहतूत, तसर, ओक तसर, एरी और मुगा। मध्ययुगीन काल में इस उद्योग को बहुत संरक्षण मिला। यहाँ की रेशम उद्योग एक प्रमुख कुटीर उद्योगों में से एक हैं। इसके अन्तर्गत रेशम के कीड़े पालने के लिए शहतूत, गूलर, पलाश आदि के वृक्ष लगाना, कीड़े पालना, रेशम को साफ़ करना, सूत बनाना, कपड़ा बुनाना, आदि का कार्य शामिल है।

भारत के रेशम उद्योग का भौगोलिक वितरण

1. कर्नाटक

यह भारत में रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है यह हर साल औसतन लगभग 8,200 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन करता है, जो भारत में कुल रेशम उत्पादन का एक तिहाई है।

प्रमुख केंद्र: तुमकुर, डोडबॉलपुर, बैंगलोर और मैसूर

2. तमिलनाडु

यह राज्य अपनी पारंपरिक रेशम साड़ियों और हथकरघों पर बुने हुए धोती के लिए जाना जाता है। यह बाइवोल्टाइन सिल्क (सफेद रेशम) के उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है जिसके लिए विदेशी बाजारों में बहुत अधिक मांग है।

प्रमुख केंद्र: धर्मपुरम, सलेम, कोयंबटूर, तिरुनेलवेली

भारत के सूती वस्त्र उद्योग का भौगोलिक वितरण

3. आंध्र प्रदेश

यह भारत में शहतूत रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है और इसकी ताकत धर्मवरम, हिंदूपुर और पोचमपल्ली जैसे बड़े रेशम पारंपरिक बुनाई समूहों में निहित है। हिंदूपुर को आंध्र प्रदेश का रेशम का शहर बोला जाता है।

राज्य सरकार किसानों को शेड निर्माण, उपकरणों की खरीद, और रीलिंग इकाइयों की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करती है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर किसान रेशम के कीड़ों की बाइवोल्टाइन और बहु-वोल्टाईन नस्लें पैदा करते हैं।

प्रमुख केंद्र: करीमनगर, वारंगल, महबूबनगर, कुरनूल, ओंगोल, आदिलाबाद, धर्मवारम, हिंदूपुर और पोचमपल्ली

4. बिहार

बिहार के रेशम हथकरघा बुनकरों को उच्च इनपुट लागत, कम उत्पादकता और सस्ते आयातित रेशमी कपड़े की उपलब्धता आदि के कारण पावर लूम और मिल सेक्टर से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। सुस्त निर्यात बाजार और चीन जैसे अन्य प्रमुख रेशम उत्पादक देशों द्वारा निर्यात बाजार पर कब्जा यहाँ की रेशम उद्द्योग पर बुरा असर पड़ा है।

प्रमुख केंद्र: कटिहार और भागलपुर

5. पश्चिम बंगाल

रेशम उद्योग इस राज्य का एक महत्वपूर्ण कृषि उद्यम है। यह देश में रेशम के कुल उत्पादन का 9% उत्पादन करता है और रेशम, शहतूत, तुसार, एरी और मुगा की सभी 4 व्यावसायिक रूप से उत्पादित किस्मों की खेती यहाँ की जाती है।

प्रमुख केंद्र: मालदा, मुर्शिदाबाद, बांकुरा

भारत के कुटीर उद्योग पर एक संक्षिप्त विवरण

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