भारत की 7 राष्ट्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्हों का इतिहास

भारत में राजनीतिक पार्टीयों के चुनाव चिन्हों के अस्तित्व का मुख्य कारण स्पष्ट रूप से मतदाताओं की मदद करना और पार्टी या उम्मीदवार को याद रखने में मदद कराना है. यह भारतीय गणराज्य के प्रारंभिक दिनों से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है.
लोग चुनाव चिन्हों की वजह से राजनितिक पार्टी को याद रखते हैं. 1951 में स्वतंत्र भारत में पहली जनगणना का प्रकाशन और पहले आम चुनावों की शुरुआत हुई थी. मतदान करते समय, नागरिकों के सामने न केवल उम्मीदवार और पार्टी का नाम बल्कि पार्टी का चुनाव चिन्ह भी होता है. चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को बार-बार याद दिलाया जाता है कि वे किस चुनाव चिन्ह का चयन करना चाहेंगे. जो लोग पढ़े लिखे नहीं होते है उनके लिए चुनाव चिन्ह ही ऐसा साधन है जिसे आसानी से याद रखा जा सकता है और इसी से लोगो की धारणाएं भी बनती है कि कौन-सी पार्टी कैसी होगी और वह लोगो के हित में काम करेंगी या नहीं आदि. इसलिए चुनाव के दौरान राजनितिक पार्टी का चुनाव चिन्ह बहुत अहम भूमिका निभाता है.
जब कोई राजनितिक पार्टी अपनी पार्टी के लिए चुनाव चिन्ह का चयन करती है तो अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग का होता है. नई दिल्ली में स्थित निर्वाचन आयोग के कार्यालय में कम से कम 100 नि:शुल्क चुनाव चिन्हों का रखरखाव किया जाता है जो किसी भी पार्टी को आवंटित नहीं किए गए हों. इस लेख में 7 राष्ट्रीय पार्टी और उनसे संबंधित चुनाव चिन्हों के बारे में अध्ययन करेंगे.
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राष्ट्रीय पार्टियों से उनके चुनाव चिन्ह कैसे जुड़े हैं?
चुनाव चिन्ह इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि आज कुछ पार्टियों को उनके चिन्हों द्वारा ही पहचाना जाता है. इसलिए यदि आप कमल देखते हैं, तो आप तुरन्त भारतीय जनता पार्टी को सोचते हैं. अगर कोई राजनीतिज्ञ हथेली को धारण करता है, इसका मतलब है कि वह एक कांग्रेसी हैं. यदि किसी के घर पर या कहीं भी अगर कोई पोस्टर पर एक हथौड़ा और दरांती बना हो तो इसका मतलब है कि उम्मीदवार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी का सदस्य है.
7 राष्ट्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्हों का इतिहास
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी)
स्थापना: 1885
चुनाव चिन्ह – पंजा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सबसे पुराना राजनीतिक दल है और इसमें कई संदर्भ में परिवर्तन हुए है लेकिन सबसे दिलचस्प विकास है पार्टी के चुनाव चिन्हों का जिसे कम से कम दो बार बदला गया.
- नेहरू के नेतृत्व में पार्टी का चुनाव चिन्ह 'दो बैलों की जोड़ी' था, जिसने आम लोगों मुख्य रूप से किसानों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया था.
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- साल 1969 में पार्टी विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने इस चिन्ह को ज़ब्त कर लिया था. कामराज के नेतृत्व वाली पुरानी कांग्रेस को ‘तिरंगे में चरखा’ जबकि नयी कांग्रेस को ‘गाय और बछड़े’ का चुनाव चिन्ह मिला था.
- 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद चुनाव आयोग ने गाय बछड़े के चिन्ह को भी जब्त कर लिया था. इसी दौरान संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी रायबरेली से भारी मतों के अंतर से हार गई थी जिसके कारण परेशान होकर वह शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती का आशीर्वाद लेने गई. ऐसा खा जाता है कि श्रीमती गांधी की बात सुनकर शंकराचार्य मौन हो गए थे लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया. जिससे इंदिरा गाँधी के मन में हाथ के पंजे को चुनाव चिन्ह बनाने का विचार आया और कांग्रेस आई की स्थापना की गई थी.
दूसरी तरफ जब बूटा सिंह चुनाव आयोग के कार्यालय गए तो चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव चिन्ह के रूप में हाथी, साइकिल और खुली हथेली का विकल्प दिया. इस पर इंदिरा गाँधी ने अपनी पार्टी के नेता आरके राजारत्नम के आग्रह पर और पहले के विचार की वजह से पंजा को चुनाव चिन्ह बनाने का निर्णय किया क्योंकि उनका मानना था कि हाथ का पंजा शक्ति, उर्जा और एकता का प्रतीक है और तभी से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह पंजा चला आ रहा है.
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2. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
स्थापना: 1980
चुनाव चिन्ह: कमल का फूल
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में भारतीय जनसंघ जो कि वर्तमान में भाजपा है की स्थापना हुई थी और उसका चुनाव चिन्ह दीपक हुआ करता था.
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- भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी और पार्टी का पहला सत्र मुंबई में सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी. 1977 में आपातकाल के बाद, जनसंघ को जनता पार्टी बनाने के लिए कई अन्य पार्टियों के साथ मिला दिया गया और तब इसका चुनाव चिन्ह ‘हलधर किसान’ हो गया था.
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- आखिर कमल भाजपा का चुनाव चिन्ह कैसे बना? जब 1857 में सीपॉय विद्रोह हुआ, तब चपाती और कमल के बीज का इस्तेमाल सूचना और संदेश भेजने के लिए किया जाता था. बाद में अन्य जगहों पर जब कुछ लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया, तब उनहोंने कमल के फूल का खुले तौर पर चुनाव चिन्ह के रूप में इस्तेमाल किया. इन विद्रोहियों में से अधिकांश उच्च जाति के ब्रिटिश भारतीय, खासकर ब्राह्मण थे, जो जानवरों की खाल और उनके उत्पाद से बने हथियारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहते थे. भाजपा के संस्थापकों ने कमल को चुनाव चिन्ह के तौर पर इसलिए चुना क्योंकि उन्होंने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले भी इस्तेमाल किया था जो कि राजनीतिक विचारधारा को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के रूप में वर्णित करता है.
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3. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम)
स्थापना:1964
चुनाव चिन्ह : हंसिया-हथौड़ा
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- भारतीय चुनाव आयोग द्वारा अनुमोदित मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव चिन्ह हंसिया और हथौड़ा है. यह आमतौर पर लाल रंग से चित्रित किया जाता है, जो कि कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव चिन्ह का संघर्ष रंग भी है. ये काफी हद तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव चिन्ह से मिलता जुलता है. अन्तर्विभाजक हंसिया और हथौड़ा चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण है.
- यह चुनाव चिन्ह इसलिए चुना गया क्योंकि यह दर्शाता है कि सीपीआईएम किसानों या मजदूरों की पार्टी है, जो खेतों में काम करते हैं और साधारण जीवन जीते हैं. यह मजदूर वर्ग की स्थितियों को दर्शाते है. मैदान में मक्का और अन्य सभी फसलों को काटने के लिए हंसिया और हथौड़े का उपयोग किया जाता है. अनिवार्यतः यह कृषि उपकरण और हथियार भी हैं.
- आज भी कई क्षेत्रों में किसानों को पूरे दिन खेती करने पर दिन के अंत में, वेतन के रूप में एक अल्प राशि ही मिलती है. सीपीआईएम किसानों के संघर्षों को दर्शाती है. इसीलिए उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह हंसिया और हथौड़ा है. यह समाज में उत्पीड़ित गरीबों की एक पार्टी है. यह पार्टी पूरे भारत में पूंजीवादी और वैश्वीकरण की नीतियों और योजनाओं का विरोध करती है. इसलिए यह चुनाव चिन्ह सीपीआईएम पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)
स्थापना: 1925
चुनाव चिन्ह: बाली-हंसिया
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जैसा की हम सभी जानते है कि 1960 से पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी एक थे. वर्ग संघर्ष के वैचारिक दिशा को लेकर पार्टी के भीतर दो समूहों के बीच एक संघर्ष सा था और अंतत: ये दो पार्टियों में विभाजित हो गई. सीपीआई, राष्ट्रीय मुक्ति के लिए संघर्ष और समाजवाद के लिए वर्ग संघर्ष, आतंकवादी साम्राज्यवादी और अंतर्राष्ट्रीयवाद के संलयन से पैदा हुई थी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भारत का एक साम्यवादी दल है और 1952 से ही बाली-हंसिया इसका चुनाव चिन्ह है. चुनाव आयोग द्वारा भी इसको नहीं बदला गया है. इस चिन्ह के पीछे होने का यही कारण है कि यह दल भूमि सुधार को बढ़ावा देता था और किसानों की स्थिति में परिवर्तन लाना चाहता था. कार्यकर्ता और किसान जो समाज के लिए अधिकतर उत्पादक कार्य करते हैं, उन्हें उचित मान्यता दी जानी चाहिए. इसलिए ट्रेड यूनियन आंदोलनों में भी सीपीआई की राजनीतिक विचारधारा का एक बड़ा हिस्सा शामिल है. यह पार्टी हमेशा सामाजिक आंदोलनों में सबसे आगे रही है.
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5. बहुजन समाज पार्टी (बसपा)
स्थापना: 1984
चुनाव चिन्ह: हाथी
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- बहुजन समाज पार्टी का गठन 1984 में हुआ था. चुनाव आयोग ने बाई और देखता हुआ हाथी को बसपा का चुनाव चिन्ह की स्वीकृति दी थी. देश भर में असम और सिक्किम को छोडकर, पार्टी इसी चुनाव निशान से चुनाव लड़ती है. इन दो राज्यों में पार्टी का अभी कोई चुनाव निशान निर्धारित नहीं हुआ है.
- बसपा का चुनाव निशान हाथी इसलिए रखा गया क्योंकि हाथी शारीरिक शक्ति और उर्जा का प्रतीक होता है. यह एक विशाल पशु है और आमतौर पर काफी शांत रहता है. जैसा की ‘बहुजन समाज’ का अर्थ है वह समाज जिसमें दलित वर्गों की संख्या ज्यादा है. ऊपरी जातियों और उनके द्वारा उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष को 'हाथी' के माध्यम से दर्शाया गया है क्योंकि यह कठिन, निडर, शांतिपूर्ण और ताकत से भरा है.
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6. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)
स्थापना: 1999
चुनाव चिन्ह : घड़ी
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- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1999 में हुई थी. इसका चुनाव चिन्ह नीले रंग की रेखीय घड़ी है, जिसमे निचे दो पाए और ऊपर अलार्म का बटन है. यह घड़ी 10 बजकर 10 मिनट का समय दिखाती है.
यह त्रि-रंगीय भारतीय ध्वज पर स्थित है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह घड़ी इसलिए है क्योंकि यह दर्शाता है कि कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो, एनसीपी अपने सिद्धांतों के लिए दृढ़ता के साथ संघर्ष करती है. यह पार्टी आम आदमी के विचारों और चिंताओं का प्रतिनिधित्व करती है.
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7. अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीएमसी)
स्थापना: 1 जनवरी 1998 लेकिन 2 सितंबर,2016 को चुनाव आयोग ने एआईटीसी को राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी
चुनाव चिन्ह : जोहरा घास फूल
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- सुश्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली अब यह एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है. जिसे चुनाव आयोग ने सितम्बर 2016 में राष्ट्रीय राजनितिक पार्टी का दर्जा प्रदान किया है. इसका चुनाव चिन्ह दो फूल अर्थार्त जोहरा घास फूल हैं और इसमें राष्ट्रीय ध्वज के सभी रंग शामिल है.
- अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी का नारा है ‘माँ, माटी और मनुष्य’. इसका चुनाव चिन्ह फूल और घास जो कि माटी से जुड़ा है और यह मातृत्व या हमारे राष्ट्रवादी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है.
- चुनाव चिन्ह में इस्तेमाल किए जाने वाले साधारण फूल इंगित करते है कि एआईटीएमसी समाज के उन वर्गों का समर्थन करती है जो आम तौर पर निम्न वर्ग के हैं और पीड़ित एवं शोषित हैं.
उपरोक्त लेख से यह ज्ञात होता है कि राष्ट्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्ह कैसे उनकी पहचान बने और उस पार्टी के लिए क्या भूमिका निभाते हैं.
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