जैविक खेती कार्बन प्रच्छादन में कैसे मदद कर सकता है?

May 16, 2018, 14:22 IST

जैविक खेती (Organic farming) वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। इस लेख में हमने कैसे जैविक खेती कार्बन प्रच्छादन में मदद करती है पर चर्चा की है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

How Organic Farming helps in Carbon Sequestration?
How Organic Farming helps in Carbon Sequestration?

जैविक खेती (Organic farming) वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। यह पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं का अद्वितीय संयोजन को संदर्भित करता है। जैविक खेती कार्बन प्रच्छादन में कैसे मदद कर सकता है, इस पर चर्चा करने से पहले हमे ये जानना आवश्यक की कार्बन प्रच्छादन होता क्या है।

जैविक खेती ही है हल, आज नहीं तै कल !

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जैविक खेती ग्लोबल वार्मिंग घटाए!!

जैविक खेती जी डी पी बढ़ाए !!!

आज नहीं तै कल, जैविक खेती ही है हल !!!

                           डॉ. शिव दर्शन मलिक

कार्बन प्रच्छादन (Carbon Sequestration) क्या है?

Carbon Sequestration

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) को पृथ्वी के वायुमंडल से निकालकर ठोस या द्रव रूप में संगृहित कर ज़मीन के अंदर रखा जाता है। यह जंगल और मिट्टी संरक्षण प्रथाओं के माध्यम से किया जा सकता है जो कार्बन भंडारण को बढ़ाते हैं (जैसे नए जंगलों, आर्द्रभूमि और घास के मैदानों को  स्थापित करना) या CO2 के उत्सर्जन को कम करना है या फिर खनन-अयोग्य कोयले की खदानें, पूर्ण रूप से दोहित खदानें, लवण-निर्माण के स्थान इत्यादि जैसे जगहों पर संगृहित कर रखा जा सकता है।

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जैविक खेती कार्बन प्रच्छादन (Carbon Sequestration) में कैसे मदद करता है?

जैविक खेती और कार्बन प्रच्छादन (Carbon Sequestration) एक दुसरे का मानार्थ हैं क्योंकि यह कृत्रिम या सिंथेटिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के बिना स्थिरता पर केंद्रित है। इस तरह की खेती रसायनों से होने वाले दुष्प्रभावों से पर्यावरण का बचाव करती है और इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि इसके माध्यम से जैव पर्यावरण का संरक्षण होता है तथा जैविक मल्च कार्बन अनुक्रमण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कार्बनिक मल्चिंग मिट्टी की सतह पर खाद या खाद का बाड़ लगाने के बाद किसी भी कार्बनिक पदार्थ के साथ मिट्टी को ढकने को जैविक मल्चिंग कहते हैं।

जैविक मल्चिंग के कारण मिट्टी में सूक्ष्म जीवों (बैक्टीरिया, फुफंद, शैवाल, कवक, प्रोटोजोआ, आदि) की संख्याँ में तीव्रता से वृद्धि होती है। इन सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता तथा जैव रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप प्रकृति में विभिन्न स्रोतों से आवश्यक पोषक तत्व घुलनशील अवस्था में पौधे को उपलब्ध होते रहते हैं। जिसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरता के साथ-साथ किसानो की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो जाती है।

इसलिए, हम कह सकते हैं कि जैविक खेती मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है जो वायुमंडलीय CO2  का प्रच्छादन (Sequestration) में सह-लाभ भी देती है।

पर्यावरण और पारिस्थितिकीय: समग्र अध्ययन सामग्री

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Education Desk

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