कैसे बनते हैं NSG कमांडो, यहां पढ़ें नियुक्ति प्रक्रिया

हाल ही में देश की अतिविशिष्ट सुरक्षा एजेंसी कहे जाने वाली NSG को अपना नया निदेशक मिला है। IPS अधिकारी नलिन प्रभात को NSG के चीफ की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में आतंकरोधी यह दस्ता एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। कई युवाओं का सपना होता है कि वे NSG में शामिल होकर देश की सेवा करें। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम NSG में नियुक्ति की प्रक्रिया को समझेंगे।

Apr 22, 2024, 11:52 IST
एनएसजी कमांडों
एनएसजी कमांडों

हाल ही में देश की अतिविशिष्ट सुरक्षा एजेंसी कहे जाने वाली NSG को अपना नया निदेशक मिला है। IPS अधिकारी नलिन प्रभात को NSG के चीफ की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में आतंकरोधी यह दस्ता एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। NSG कमांडों वे होते हैं, जिनकी इजाजत के बिना राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भी मूवमेंट नहीं करते हैं।

ऐसे में NSG का भारत में विशेष स्थान है। इस बीच भारत में कई युवाओं का सपना होता है कि वे इस साहसिक फोर्स को ज्वाइन करें। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे कि आखिर NSG में कमांडो की नियुक्ति कैसे होती है ? 

NSG का गठन

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि NSG का गठन कब हुआ था ? आपको बता दें कि National Security Guards(NSG) का गठन 22 सितंबर, 1986 को किया गया था। इसके गठन का मुख्य उद्देश्य देश में होने वाली आंतकरोधी गतिविधियों को रोकना था। कमांडो इसे अपनी भाषा में Never Say Give up(NSG) भी कहते हैं।

किसी भी खतरे से निपटने के लिए रहते हैं तैयार

NSG कमांडो की ट्रेनिंग इतनी कठिन होती है कि ये किसी भी प्रकार के खतरे को झेलने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। इन्हें आंतरोधी घटनाओं से निपटने के लिए विशेषज्ञ भी कहा जाता है, जो अपनी फूर्ती और त्वरित निर्णय क्षमता के लिए जाने जाते हैं। इन कमांडों को इस तरह से तैयार किया जाता है, जिससे शरीर और दिमाग, दोनों की ताकत का सही समय और सही मात्रा में इस्तेमाल हो सके। 

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नहीं होती सीधे भर्ती

NSG कमांडो की सीधे भर्ती नहीं होती है, बल्कि इन्हें भारतीय थल सेना और अन्य सशस्त्र बल जैसे CRPF, ITBP, BSF और CISF समेत अन्य बलों से चुना जाता है। कमांडों के लिए 50 फीसदी से अधिक भारतीय सेना से होते हैं, जबकि शेष अन्य सशस्त्र बल से होते हैं।

NSG कमांडो बनने के लिए जरूरी योग्यताएं

NSG कमांडो बनने के लिए भारतीय सेना या फिर किसी अन्य बले में कम से कम 10 साल की सेवा जरूरी है। वहीं, सैनिक की आयु 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके बाद 90 दिनों का कड़ा प्रशिक्षण शुरू होता है। जब सैनिक कमांडों के लिए आता है, तो वह सिर्फ 20 से 30 फीसदी ही फिट होता है।

हालांकि, कमांडो बनने के बाद उसे पूरी तरह से फिट कर दिया जाता है। इन कमांडों को आंखें बंद कर निशाना लगाने से लेकर गुप्त अंधेरे में भी गोली चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं, एनएसजी ड्राइवर बनने के लिए अलग से प्रक्रिया चलती है, जिसमें मुश्किल रास्तों से लेकर हमलावरों से घिरे होने वाली स्थिति में ड्राइवर को कार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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