केंद्र सरकार के द्वारा 5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान में जोड़े गये आर्टिकल 370 को हटाने की अधिसूचना जारी कर दी है. अब आर्टिकल 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को दी गयी सभी विशेष रियायतें खत्म हो जायेंगी और यह प्रदेश पूरी तरह से भारतीय संविधान में उल्लिखित कानूनों को मानने के लिए बाध्य होगा.
आइये अब एक विश्लेष्ण के माध्यम से जानते हैं कि आर्टिकल 370 के पहले जम्मू और कश्मीर में क्या प्रावधान थे और अब क्या प्रावधान हो गये हैं.
तुलना का आधार | पहले | अब |
1. राज्य की संवैधानिक स्थिति | विशेष दर्जा प्राप्त राज्य | केंद्र शासित प्रदेश |
2. विधान सभा सदस्य संख्या | 87 | 83 |
3. विधान सभा का कार्यकाल | 6 वर्ष | 5 वर्ष |
4. एससी / एसटी / अल्पसंख्यक समुदायों को आरक्षण | आरक्षण नहीं था | अब नौकरियों और यूनिवर्सिटीज एडमिशन में आरक्षण मिलेगा |
5. नागरिकता | दोहरी (जम्मू और कश्मीर और भारत दोनों की) | एकल नागरिकता (केवल भारत की) |
2, (कश्मीर और भारत) | 1, (केवल भारत का) | |
7. सूचना का अधिकार | लागू नहीं होता था | अब पूरे प्रदेश में लागू होगा |
पहले राज्यपाल लगता था | राष्ट्रपति शासन लगना शुरू | |
9. संविधान | 2, कश्मीर का अलग से संविधान था | 1, कश्मीर सहित पूरे भारत का केवल एक संविधान |
10. J&K में राष्ट्रीय प्रतीकों की बेईज्ज़ती करना | अपराध नहीं था | अब अपराध होगा |
11. J&K में देश के सभी नागरिकों को जमीन खरीदने का अधिकार | नहीं था | अब होगा |
7 | 9 | |
13. भारत में राज्यों की संख्या | 29 | 28 |
केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को खत्म करके एक ऐतिहासिक फैसला किया है. इस फैसले से देश में राज्यों की संख्या घटकर 28 रह गयी है और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 9 हो गयी है. इन परिवर्तनों से देश की राजनीति में आने वाले वर्षों में बहुत बड़े परिवर्तन दिखाई देंगे.
लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने से इस प्रदेश के विकास को नया आयाम मिलेगा और उम्मीद है कि लद्दाख क्षेत्र में पर्यटन के नए अवसर तैयार होंगे.
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के बारे में 15 रोचक तथ्य और इतिहास
भारतीय कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कौन बेहतर स्थिति में है?
Comments
All Comments (0)
Join the conversation