Indian Railways: भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जिसमें बड़ी मात्रा में यात्री सफर कर एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक पहुंचते हैं। रेलवे ने सुविधा व अन्य कारणों से अलग-अलग ट्रेनों को उनका रंग दिया है। आपने कुछ ट्रेनों को नीला और कुछ ट्रेनों को लाल रंग में देखा होगा, जो कि एडवांस तकनीक के अंतर की वजह से अलग-अलग हैं। वहीं, आपने रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में शामिल गरीब रथ एक्सप्रेस को देखा होगा, जिसे हरा और पीला रंग दिया गया है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि आखिर क्यों गरीब रथ एक्सप्रेस का रंग हरा दिया गया है।
साल 2005 में हुई थी लांच
भारतीय रेलवे की ओर से साल 2005 में गरीब रथ एक्स्प्रेस को लांच किया गया था, जिसके बाद 5 अक्टूबर 2006 को पहली गरीब रथ ने सहरसा जंक्शन से अमृतसर जंक्शन के बीच अपना सफर तय किया था।
ट्रेन का उद्देश्य
इस ट्रेन को लांच करने का उद्देश्य उन लोगों तक कम पैसों में सुविधा पहुंचना था, जो महंगे किराये की वजह से प्रीमियम ट्रेनों में सफर नहीं कर सकते हैं। ऐसे में इन ट्रेनों में सीटों के बीच कम अंतर रखा गया था, जिससे एक कोच में अधिक सीटें हो सके। इस ट्रेन में एसी की सुविधा के साथ सीटों की कुल संख्या 78 थी।
खान-पान की नहीं मिलती सुविधा
गरीब रथ एक्सप्रेस प्रीमियम ट्रेनों में शामिल है, लेकिन इसमें राजधानी और शताब्दी की तरह टिकट के रुपयों में खाना-पीना नहीं मिलता है। हालांकि, बाकी सुपरफास्ट ट्रेनों की तुलना में यह तेजी से चलने वाली ट्रेन है, जो कि 130 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार से दौड़ती है। साथ ही चेन्नई गरीब रथ, रांची गरीब रथ और हजरत निजामुद्दीन-बांद्रा गरीब रथ को राजधानी एक्स्प्रेस की तरह अपने रूट पर तवज्जो दी जाती है।
इसलिए रखा गया हरा रंग
जब गरीब रथ एक्सप्रेस को लांच किया गया था, तब इसके रंगों के बारे में विचार किया गया था, जिसके बाद रेलवे की ओर से हरे रंग पर सहमति बनी थी। दरअसल, इस पर किया गया हरा रंग अर्थ टोन कलर बोला जाता है। यह रंग शांति व आरामदायक व सुखद माहौल के लिए जाना जाता है। वहीं, रेलवे में हरा रंग गति और सुरक्षा को दर्शाता है, ऐसे में रेलवे की ओर यह रंग चुना गया था।
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