संविधान के भाग VI में अनुच्छेद 153 से 167 तक राज्य कार्यपालिका से संबंधित है। राज्य कार्यकारिणी में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद और राज्य के महाधिवक्ता शामिल होते हैं । राज्यपाल राज्य का मुख्य कार्यकारी (लेकिन नाममात्र) प्रमुख होता है और राज्य में राष्ट्रपति के एजेंट के रूप में कार्य करता है। राज्य स्तर पर राज्यपाल का पद केन्द्र में राष्ट्रपति के समान होता है।
पढ़ेंः दुनिया में किस देश को कहा जाता है नदियों का देश, जानें
राज्यपाल कार्यालय की शर्तें:-
संविधान राज्यपाल के पद के लिए निम्नलिखित शर्तें निर्धारित करता है:-
-वह संसद के किसी भी सदन या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए।
-वह किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
-वह अपने आधिकारिक आवास का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए किराया नहीं लेना चाहिए।
-यदि किसी व्यक्ति को अन्य राज्यों के कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो वह दोनों राज्यों के राज्यपाल का वेतन (भारत के राष्ट्रपति द्वारा तय) पाने का हकदार है।
-उनके कार्यकाल के दौरान उनकी परिलब्धियां और भत्ते कम नहीं किये जा सकते।
राज्यपाल पद पर नियुक्ति हेतु योग्यता (अनुच्छेद 157) –
संविधान ने राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निर्धारित की हैं:
राज्यपाल की शक्तियां:-
राज्य के राज्यपाल के पास कार्यकारी, विधायी, वित्तीय और न्यायिक शक्तियां होंगी। लेकिन, उनके पास राजनयिक, सैन्य या आपातकालीन शक्तियां नहीं हैं, जो भारत के राष्ट्रपति के पास हैं।
राज्यपाल की शक्तियों और कार्यों को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है:
-कार्यकारी शक्तियां
-विधायी शक्तियां
-वित्तीय शक्तियां
-न्यायिक शक्तियां
राज्यपाल से संबंधित आलेख एक नजर में
-अनुच्छेद संख्या 153- राज्यों के राज्यपाल
-अनुच्छेद संख्या 154- राज्य की कार्यकारी शक्ति
-राज्यपाल की नियुक्ति हेतु अनुच्छेद क्रमांक 155
-राज्यपाल के कार्यकाल के लिए अनुच्छेद संख्या 156
-राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के लिए योग्यताओं के लिए अनुच्छेद संख्या 157
-राज्यपाल के कार्यालय की शर्तों के लिए अनुच्छेद संख्या 158
-अनुच्छेद संख्या 159 राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान के लिए
-कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कार्यों के निर्वहन के लिए अनुच्छेद संख्या 160
-अनुच्छेद संख्या 161 राज्यपाल की क्षमा देने की शक्ति के लिए
-राज्य की कार्यकारी शक्ति की सीमा के लिए अनुच्छेद संख्या 162
-अनुच्छेद संख्या 163 राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के लिए
-मंत्रियों की नियुक्ति, कार्यकाल, वेतन और अन्य जैसे अन्य प्रावधानों के लिए अनुच्छेद संख्या 164
-राज्य के महाधिवक्ता के लिए अनुच्छेद संख्या 165
-किसी राज्य की सरकार के कामकाज के संचालन के लिए अनुच्छेद संख्या 166
-राज्यपाल को सूचना प्रस्तुत करने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्यों के लिए अनुच्छेद संख्या 167
-राज्य विधानमंडल के सत्र, सत्रावसान और विघटन के लिए अनुच्छेद संख्या 174
-अनुच्छेद संख्या 175 राज्यपाल को सदन या राज्य विधानमंडल के सदनों को संबोधित करने और संदेश भेजने का अधिकार
-राज्यपाल के विशेष अभिभाषण हेतु अनुच्छेद क्रमांक 176
-अनुच्छेद संख्या 200 (अर्थात् राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति)
-राष्ट्रपति के विचारार्थ राज्यपाल द्वारा आरक्षित विधेयकों के लिए अनुच्छेद संख्या 201
-अध्यादेश प्रख्यापित करने की राज्यपाल की शक्ति के लिए अनुच्छेद संख्या 213
-उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल से परामर्श किये जाने हेतु अनुच्छेद संख्या 217
-राज्यपाल द्वारा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अनुच्छेद संख्या 233
-राज्यपाल द्वारा राज्य की न्यायिक सेवा में व्यक्तियों (जिला न्यायाधीशों के अलावा) की नियुक्ति के लिए अनुच्छेद संख्या 234
पढ़ेंः भारतीय नागरिक के मौलिक कर्तव्य कौन-से हैं, जानें
पढ़ेंः भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियां कौन-सी हैं, पढ़ें
Comments
All Comments (0)
Join the conversation