भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक अलग-अलग नदियों का प्रवाह होता है। नदियां एक तरफ जहां जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करती हैं, तो दूसरी तरफ यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी जिम्मेदार हैं। आपने भारत की अलग-अलग नदियों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, जिसमें से कुछ प्रमुख नदियों का संगम पंच प्रयाग में होता है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत में पंच प्रयाग कौन-से हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
विष्णुप्रयाग
पंच प्रयाग में विष्णुप्रयाग प्रमुख प्रयागों में शामिल है। यह वह जगह है, जहां धौलीगंगा और अलकनंदा नदी मिलती है। अलकनंदा नदी बद्रीनाथ से निकलती है और धौलीगंगा नदी नीति घाटी से निकलती है।
नंदप्रयाग
पंच प्रयाग में नंदप्रयाग भी शामिल है, जिसमें अलकनंदा नदी और नंदाकिनी नदी का संगम होता है। अलकनंदा नदी बद्रीनाथ से निकलने के बाद घाटियों से होते हुए नंदप्रयाग में नंदाकिनी नदी से आकर मिल जाती है। यहां नंदाकिनी नदी नंदा देवी अभयारण्य से निकलती है।
कर्णप्रयाग
कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी और पिंडर नदी का संगम होता है। यहां अलकनंदा नदी बद्रीनाथ से होते हुए यहां तक पहुंचती है और पिंडर नदी से मिलती है। वहीं, पिंडर नदी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित बागेश्वर जिले में पिंडर ग्लेशियर से निकलती है।
रूद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग भी प्रमुख प्रयागों में शामिल है। यहां अलकनंदा नदी और मंदाकिनी नदी का संगम होता है। यह संगम पर्यटन के लिए प्रमुख केंद्रों में से एक है। साथ ही यह आस्था का भी प्रमुख केंद्र है।
देवप्रयाग
देवप्रयाग पंचप्रयाग के प्रमुख प्रयागों में शामिल है। यह वह जगह है, जहां अलकनंदा और भागीरथी नदी का संगम होता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यही वह जगह है, जहां गंगा नदी का नाम दिया जाता है, जो आगे का सफर तय करती है। यहां पहुंचने पर नदियों का अलग-अलग रंग देखने को मिलता है। इस दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। इसके साथ ही यह स्थल कई श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
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