स्थानांतरण कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। जब तक मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके पश्चात् इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधें उग आते हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 250 मिलियन से अधिक आबादी अपनी जीवन निर्वाह के लिए स्थानांतरित कृषि पर निर्भर है। यह विविध रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में बहुत प्रचलित प्रथा है क्युकी जहां जंगली वनस्पतियां तेजी से उगती हैं।
विश्व भर में स्थानांतरण कृषि के स्थानीय नामों की सूची
स्थानांतरण कृषि के स्थानीय नाम | क्षेत्र |
रे | वियतनाम |
तावी | मेडागास्कर |
मसोले | कांगो (ज़ैर नदी घाटी) |
फंग | भूमध्यरेखीय अफ्रीकी देश |
लोगन | पश्चिमी अफ्रीका |
कोमील | मेक्सिको |
मिल्पा | युकाटन और ग्वाटेमाला |
एकालिन | ग्वाडेलोप |
मिल्या | मेक्सिको और मध्य अमेरिका |
कोनुको | वेनेजुएला |
रोका | ब्राज़िल |
चेतेमिनी | युगांडा, ज़ाम्बिया और जिम्बाब्वे |
कईगिन | फिलीपींस |
तौन्ग्य | म्यांमार |
चेना | श्रीलंका |
लादांग | जावा और इंडोनेशिया |
तमराइ | थाईलैंड |
हुमाह | जावा और इंडोनेशिया |
भारत | |
झूम | उत्तर-पूर्वी भारत |
वेवर और दहियार | बुंदेलखंड क्षेत्र (मध्य प्रदेश) |
दीपा | बस्तर जिला (मध्य प्रदेश) |
जरा और एरका | दक्षिणी राज्य |
बत्रा | दक्षिण-पूर्वी राजस्थान |
पोडू | आंध्र प्रदेश |
कुमारी | केरल के पश्चिमी घाट के पहाड़ी क्षेत्र |
कमन, वींगा और धावी | ओडिशा |
वैसे तो इस प्रकार की कृषि ज्यादा उत्पादक नहीं होती है लेकिन उन लोगो को जीवन प्रदान करती है जो उर्वरक या कृषि के मशीन खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं। कोंक्लिन के अनुसार, स्थानांतरण कृषि खानाबदोश जीवन यापन करने वाले लोगो का अनियोजित और उद्देश्यहीन प्रथा है। कृषि मानव जाति का एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना। इसलिए बदलते दुनिया के अनुसार कृषि पद्धतियों में अमूल-चुक परिवर्तन होना बहुत जरुरी है नहीं तो मिट्टी अपनी उर्वरता खो देगी हैं और मनुष्य खाने के अभाव में दुसरे मनुष्य को कही अपना भोजन ना बना ले।
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