उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके साथ ही यह सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। राज्य में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। यहां कुल 351 तहसील, 826 सामुदायिक विकास खंड, 200 नगर पालिका परिषद्, 17 नगर निगम और 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण हैं।
इन दिनों नवरात्र चल रहे हैं, ऐसे में इस पर्व की छटां यहां अलग ही बनती है। आपने प्रदेश के अलग-अलग प्रमुख मंदिरों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप प्रदेश के प्रमुख देवी मां के मंदिरों के बारे में जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
देवी पाटन मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह स्थापित मां दुर्गा की मूर्ति को मां मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के दिनों में यहां अधिक भीड़ देखने को मिलती है।
ललिता देवी मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। यह मंदिर भी 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां मां सती का हृद्य गिरा था। हर साल यहां नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।
मां विंध्यावासिनी मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है। यहां देवी दुर्गा को महामाया के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन बताया जाता है। साथ ही, मंदिर को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं में आस्था है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है इस मंदिर का अस्तित्व सृष्टि के बाद भी रहेगा।
मां शाकुंभरी देवी मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के सबसे उत्तरी जिले यानि कि सहारनपुर में स्थित है। इस मंदिर को ब्रह्मपुराण में सिद्धपीठ कहा गया है। साथ ही, इस क्षेत्र को पंचकोसी सिद्धपीठ भी कहा जाता है। उत्तर भारत में नौ देवियों के दर्शन में मां शाकंभरी देवी के दर्शन भी होते हैं।
मां तरकुलहा मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है, जो कि यूपी के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को लेकर एक कहानी प्रचलित है कि यहां एक बधु सिंह नाम का व्यक्ति रहता था। स्वतंत्रता संग्राम के समय वह यहां से गुजरने वाले अंग्रेज का सिर काटकर माता को समर्पति करता था।
ऐसे में उसे ब्रिटिश सरकार ने फांसी की सजा सुनाई, लेकिन उसका फंदा टूट जाता था। जल्लाद ने उससे अपनी जान का हवाला देते हुए विनती की और बधू सिंह ने मां से विनती की, जिसके बाद उसे फांसी हुई।
मां विशालाक्षी मंदिर
यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन शहर वाराणसी में स्थित है, जो कि मणिकर्णिका घाट पर है। यहां माता सती को विशालाक्षी मणिकर्णी के रूप में पूजा जाता है। यह प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है।
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