भारत में किसे कहा जाता है मखाने का शहर, जानें

हिंदू धर्म में व्रत के दौरान फलाहार की बात हो या फिर ड्राइफ्रूट्स के लड्डू हो, मखाने के स्वाद को कौन भूल सकता है। वहीं, कुछ नमकीन में भी हमें मखाना देखने को मिल जाएगा। आपने भी मखाना जरूर खाया होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में किस शहर को मखाने का शहर कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

Apr 22, 2024, 12:41 IST
मखाने का शहर
मखाने का शहर

हिंदू धर्म में व्रत के दौरान फलाहार की बात हो या फिर ड्राइफ्रूट्स के लड्डू हो, मखाने के स्वाद को कौन भूल सकता है। वहीं, कुछ नमकीन में भी हमें मखाना देखने को मिल जाएगा। हालांकि, हमारे घर तक मखाने के पहुंचने का सफर बहुत कठिन होता है। क्योंकि, इसकी खेती बहुत ही कठिन परिस्थितियों में होती है। यही वजह है कि मखाना हमें महंगा मिलता है।

हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में किस शहर को मखाने का शहर कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

कैसे होती है मखाने की खेती

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि मखाने की खेती कैसे होती है ? आपको बता दें कि मखाने के खेती के लिए जलमग्न भूमि की आवश्यकता होती है। सर्दी यानि कि नवंबर में इसकी नर्सरी डाली जाती है और तीन से चार माह बीत जाने के बाद इसकी रोपाई की जाती है।

पानी में बीज डालने पर कुछ महीने के बाद इसके बीज फूटते हैं और पौधे का रूप लेते हैं। आपको बता दें कि मखाने की खेती के लिए चार से पांच फीट तक पानी भरा रहना चाहिए, इसलिए इसकी खेती अक्सर तालाब में की जाती है।

 

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किस शहर को कहा जाता है मखाने का शहर 

अब हम यह जान लेते हैं कि आखिर किस शहर को हम मखाने के शहर के रूप में भी जानते हैं। आपको बता दें कि बिहार के उत्तरी क्षेत्र को हम मखाने के क्षेत्र के रूप में भी जानते हैं। यहां दरभंगा और मधुबनी समेत आस-पास के जिलों में मखाने की खेती की जाती है। इस वजह से इन्हें भारत में मखाने का शहर भी कहा जाता है।

भारत में कितना होता है मखाने का उत्पादन

भारत में मखाने के कुल उत्पादन की बात करें, तो विश्व का करीब 90 फीसदी मखाने का उत्पादन भारत में ही होता है। इसमें भी करीब 80 फीसदी मखाना उत्पादन उत्तरी बिहार में होता है। 

दुनिया का एकमात्र रिसर्च सेंटर

आपको बता दें कि बिहार में ही दुनिया का एकमात्र मखाना रिसर्च सेंटर मौजूद है। यहां मखानों की प्रजाति पर शोध कर मखानों की गुणवत्ता को बेहतर करने पर जोर दिया जाता है। साथ ही मखाने की खेती बढ़ाने पर भी काम किया जाता है, जिससे किसानों की अधिक से अधिक आय संभव हो सके। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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