जानें नासा-इसरो उपग्रह NISAR के बारे में

नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (Synthetic Aperture Radar), या NISAR, उपग्रह को प्लेनेट की कुछ सबसे जटिल प्रक्रियाओं का निरीक्षण करने और मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है. आइये इस लेख के माध्यम से  NISAR के बारे में अध्ययन करते हैं.

Nov 2, 2020, 14:58 IST
NASA-ISRO satellite NISAR
NASA-ISRO satellite NISAR

ऐसी उम्मीद है कि 2022 तक नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) को लॉन्च किया जाएगा. यह उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके पृथ्वी का एक अभूतपूर्व, विस्तृत दृश्य प्रदान करेगा.

नासा-इसरो SAR मिशन (NISAR): ISRO के साथ साझेदारी में एक समर्पित अमेरिकी और भारतीय INSAR मिशन, प्राकृतिक संकट और वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन के अध्ययन के लिए अनुकूलित है. ऐसा भारत और अमेरिका ने एक सुरक्षित और स्थायी अंतरिक्ष वातावरण की परिस्थितियों को बनाने के प्रयासों को उत्प्रेरित करने के लिए स्पेस सिचुएशन अवेयरनेस इंफॉर्मेशन को शेयर करने का फैसला किया है.

NISAR आखिर चर्चा में क्यों है?

भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में रणनीतिक वार्ता हुई है जिसमें जारी संयुक्त ब्यान के अनुसार, NASA और ISRO द्वारा विकसित NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) उपग्रह वर्ष 2022 तक लॉन्च किया जाएगा.

2014 में NASA-अमेरिका और ISRO-भारत, दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों में Dual-Frequency Synthetic Aperture Radar उपग्रह को विकसित करने और लॉन्च करने के लिए संयुक्त NISAR मिशन के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

दोनों देशों के बीच में यानी भारत और अमेरिका के बीच में अंतरिक्ष वार्ता जारी रखने के साथ-साथ अंतरिक्ष रक्षा सहयोग के क्षेत्रों पर भी चर्चा की गई.

नासा-इसरो उपग्रह NISAR के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य 

नासा-इसरो SAR (NISAR) मिशन पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिकी तंत्र, गतिशील सतहों, और बायोमास के बारे में ज्ञात करने के लिए बर्फ के द्रव्यमान का अध्ययन करेगा.

यह प्राकृतिक संकट जैसे बर्फ की चादर का टूटना, भुकंम, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन का भी अध्ययन करेगा. 

यह समुद्र के स्तर में वृद्धि और भूजल के बारे में जानकारी देगा, और साथ ही अन्य अनुप्रयोगों के एक मेजबान का समर्थन करेगा.

NISAR पृथ्वी के धरातल और बर्फ से ढकी सतहों का अवलोकन करेगा.

इस उपग्रह में उन्नत रडार इमेजिंग तकनीकी का उपयोग किया जाएगा.

इस उपग्रह से लिए गए डाटा के जरिये पृथ्वी की भू-पर्पटी के विकास और स्थिति के बारे में भी जानकारी मिलेगी.

इससे वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर होने वाली प्रक्रियाओं और बदलती जलवायु को समझने में मदद मिलेगी.

साथ ही जो जानकारियां NISAR से प्राप्त होंगी उनका उपयोग करके भविष्य में उपयोगी संसाधनों का पता लगाने और आपदा प्रबंधन में भी किया जा सकेगा.

NISAR के वैज्ञानिक उपकरण 

- L-band (24-centimeter wavelength) Polarimetric Synthetic Aperture Radar

- S-band (12-centimeter wavelength) Polarimetric Synthetic Aperture Radar

मिशन की विशेषताएं 

Orbit Altitude 747 km
Orbit Inclination 98.4°
Repeat Cycle 12 days
Time of Nodal Crossing 6 AM/ 6 PM
Orbit Control < 500 m
Pointing Control < 273 arcsec
Pointing Left (south)
L/S Duty Cycle > 50%/10%
Baseline Mission Duration 3 years
Consumables 5 years
Data and Product Access Free & open
Wavelength L-band
S-band
SAR Resolution 3–10 m mode-dependent

Source: jpl.nasa.gov

Mars Opposition 2020: जानिए इस महीने मंगल ग्रह अधिक क्यों चमक रहा है?

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News