भारतीय सेंसर बोर्ड किस आधार पर किसी फिल्म को U या A सर्टिफिकेट जारी करता है?

Jan 22, 2020, 15:52 IST

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड (1952) भारत में फिल्मों, को उनके विषय के आधार पर A, U/A या S केटेगरी में सर्टिफिकेट जारी करता है.आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि किस फिल्म को कौन सा सर्टिफिकेट मिलता है?

CBFC Certificate
CBFC Certificate

भारत की फ़िल्मी दुनिया में हर साल लगभग 1250 से अधिक फीचर फिल्में और लघु फिल्में बनतीं हैं. एक मोटे अनुमान के अनुसार, भारत में हर दिन लगभग 15 मिलियन लोग (13,000 से अधिक सिनेमा घरों में या वीडियो कैसेट रिकॉर्डर पर या केबल सिस्टम पर) फिल्में देखते हैं.

वर्तमान में, भारतीय फिल्म उद्योग का कुल राजस्व 13,800 करोड़ रुपये (2.1 अरब डॉलर) है जो कि 2020 तक लगभग 12% की दर से बढ़ता हुआ 23,800 करोड़ रुपये का हो जायेगा. अगर म्यूजिक, टीवी, फिल्म और अन्य सम्बंधित उद्योगों को एक साथ मिला दिया जाए तो इसका कुल आकार वर्ष 2017 में 22 अरब डॉलर था जो कि 2020 तक बढ़कर 31.1 अरब डॉलर हो जायेगा.

ऐसा माना जाता है कि फ़िल्में समाज का आइना होतीं हैं अर्थात इन फिल्मों में वही दिखाया जाता है जो कि समाज में घटित होता है. यह बात 100% सच मालूम नहीं पड़ती है क्योंकि बहुत सी फ़िल्में सिर्फ कल्पना पर आधारित होतीं हैं और उनमें इतनी नग्नता दिखाई जाती है कि भारत में सेंसर बोर्ड को इनके रिलीज होने से मना करना पड़ता है. क्या आप जानते हैं कि सेंसर बोर्ड किस तरह से फिल्मों के रिलीज होने पर प्रतिबन्ध लगाता है और उनको किस आधार पर कौन U,A, U/A का सर्टिफिकेट देता है. आइये इस लेख में जानते हैं;

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केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के बारे में;

सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्‍म सर्टिफिकेशन को आम लोग सेंसर बोर्ड के नाम से जानते हैं. यह एक सेंसरशिप बॉडी है जो कि सूचना और प्रसारण मंत्रलाय के अंतर्गत कार्य करता है.

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड भारत में फिल्मों, टीवी धारावाहिकों, टीवी विज्ञापनों और विभिन्न दृश्य सामग्री की समीक्षा का अधिकार रखने वाला निकाय है. अर्थात यह उन सभी कार्यक्रमों को सर्टिफिकेट देता है जो जनता के बीच में दिखाये जाते हैं. सेंसर बोर्ड के द्वारा सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद ही फिल्‍म को रिलीज किया जा सकता है.

CBFC या सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (1 जून, 1983 से सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सेंसर के रूप में जाना जाता है) की स्थापना मुंबई में 15 जनवरी 1952 में की गई थी. वर्तमान में मुंबई, चेन्नई, कलकत्ता, बैंगलोर, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम, दिल्ली, कटक और गुवाहाटी में नौ क्षेत्रीय कार्यालय हैं.

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Image source:WeForNews

सर्टिफिकेट कब तक और किस आधार पर

किसी भी फिल्म को सर्टिफिकेट मिलने में लगभग 68 दिन का समय मिल जाता है. यह प्रावधान सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के रूल 41 में लिखा गया है. किस फिल्म को कौन सा सर्टिफिकेट दिया जायेगा इसका निर्णय सेंसर बोर्ड के लोगों द्वारा फिल्म को देखने के बाद लिया जाता है.

सेंसर बोर्ड का यह प्रयास रहता है कि वह फिल्‍मों में अश्लील कॉमेडी, अश्लील सॉन्‍ग, अश्लील सीन्‍स, डबल मीनिंग डायलाग, गाली इत्यादि को ना जाने दे. बोर्ड, यह भी ध्‍यान देता हैं कि फिल्‍म के जरिये किसी विशेष धर्म, समुदाय, वर्ग, आस्‍था आदि पर चोट न की जाए. ताकि समाज की शांति भंग न हो और देश में अराजकता का माहौल पैदा ना हो.

सेंसर बोर्ड की संरचना, कार्य और फिल्मों के लिए सर्टिफिकेट जारी करने की शक्ति, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 (अधिनियम 37) के आधार पर मिलती है.

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) वर्तमान में 4 तरह के सर्टिफिकेट जारी करता है. शुरुआत में यह सिर्फ 2 तरह के सर्टिफिकेट जारी करता था लेकिन जून, 1983 से इसने यह संख्या बढ़ाकर 4 कर दी है.

बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की गणना कैसे की जाती है?

यह सर्टिफिकेट फिल्‍म शुरु होने से पहले दस सेकेंड के लिए दिखाया जाता है। जिनमें U, U/A, A, S कई तरह के फिल्‍म सर्टिफिकेट होते हैं.

1. अ (अनिर्बंधित) या U:- इन फिल्मों को सभी आयु वर्ग के व्यक्ति देख सकते हैं. जिन फिल्मों को U सर्टिफिकेट मिलता है उनमें किसी तरह की अश्लील सामग्री, हिंसा और गालियाँ इत्यादि नहीं होती है. अर्थात इस सर्टिफिकेट की फिल्मों को पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता है. जैसे; ‘हम आपके हैं कौन’ भाग मिल्खा भाग और बागबान इत्यादि.

u certificate milkha bhag

2. अ/व या U/A:- इस श्रेणी की फिल्मों के कुछ दृश्यों मे हिंसा, अश्लील भाषा या यौन संबंधित सामग्री हो सकती है.  इस श्रेणी की फिल्में केवल 12 साल से बड़े व्यक्ति किसी अभिभावक की उपस्थिति मे ही देख सकते हैं. जैसे;बाहुबली, ये जवानी है दीवानी इत्यादि. यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि इसी सर्टिफिकेट को सबसे ज्यादा इशू किया जाता है.

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3. व (वयस्क) या A:– A  सर्टिफिकेट; उस फिल्म को दिया जाता है जो कि अश्लील होती है और ऐसी फिल्म सिर्फ वयस्क यानि 18 साल या उससे अधिक उम्र वाले व्यक्ति ही देख सकते हैं. जैसे डर्टी पिक्चर, जिस्म 2 इत्यादि.

dirty picture

4. वि (विशेष) या S:- यह विशेष श्रेणी है और बिरले ही प्रदान की जाती है, यह उन फिल्मों को दी जाती है जो विशिष्ट दर्शकों जैसे कि इंजीनियर या डॉक्टर आदि के लिए बनाई जाती हैं.

विदेशी और डब फिल्मों के लिए कौन सर्टिफिकेट 

ऐसा नहीं हैं कि सिर्फ भारत में बनी फिल्मों के लिए ही सर्टिफिकेट जारी किये जाते हैं बल्कि आयातित विदेशी फिल्मों, डब फिल्मों और वीडियो फिल्मों को भी ये सर्टिफिकेट जारी किये जाते हैं. सामान्य मामलों में डब फिल्मों के लिए सीबीएफसी अलग से कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं करता है.

ज्ञातव्य है कि केवल दूरदर्शन के लिए बनायीं फिल्मों के लिए CBFC के सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं पड़ती है क्योंकि दूरदर्शन को इस प्रकार के सर्टिफिकेट से छूट प्रदान की गयी है. इसके अलावा दूरदर्शन के पास ऐसी फिल्मों की जांच करने की अपनी प्रणाली है.

समय-समय पर 1952 के अधिनियम में संशोधन किया गया है ताकि इसे बदलते हुए समय के अनुकूल बनाया जा सके. अब भारत का सिनेमा और दर्शक दोनों ही बहुत बदल चुके हैं इसलिए सरकार इस पुराने अधिनियम के स्थान पर नया अधिनियम लाने की बात सोच रही है.

उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के द्वारा कितने प्रकार के सर्टिफिकेट किस आधार पर जारी किये जाते हैं.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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