Helicopter Money क्या होती है और इसे कब और क्यों प्रयोग में लाते हैं?

Apr 27, 2020, 09:31 IST

Helicopter Money शब्द को मिल्टन फ्रीडमैन ने दिया था. इसका मतलब होता है रुपये को प्रिंट करना और सीधे जनता को बाँट देना ताकि वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती कर सकें. यह प्रतीकात्मक रूप से हेलीकाप्टर से पैसा बरसाने जैसा ही है क्योंकि जनता को इस अप्रत्याशित धन की उम्मीद नहीं थी. Helicopter Money का उपयोग किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को एक गहरी मंदी से बाहर निकालने के इरादे से किया जाता है.

Helicopter Money:Meaning and importance
Helicopter Money:Meaning and importance

आज जब कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में वैश्विक मंदी की आहट शुरू हो चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण नौकरियों में बड़ी संख्या में कटौती होना है. इसके कारण लोगों की क्रयशक्ति कम हुई है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर में मांग गिर रही है और परिणामतः अर्थव्यवस्थायें मंदी में फंसती दिख रहीं हैं.

इसी मंदी की अवस्था से अर्थव्यवस्था को निकालने के लिए बहुत से वित्तीय उपाय सरकार द्वारा किये जाते हैं जिन्हें राजकोषीय और मौद्रिक उपाय कहा जाता है. इन्हीं मौद्रिक उपायों में एक उपाय है Helicopter Money जिसके द्वारा अर्थव्यवस्था को मंदी में फंसने से रोका जाता है.

आइये इस लेख में जानते हैं कि आखिर यह Helicopter Money क्या होती है और इसका अर्थव्यवस्था को सुधारने में क्या योगदान होता है?

हेलीकॉप्टर मनी क्या होती है? (What is Helicopter Money)

Helicopter Money शब्द को अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने दिया था. इसका मतलब होता है रिज़र्व बैंक रुपये को प्रिंट करना और सीधे सरकार को दे देना ताकि वह जनता में बाँट दे जिससे लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती कर सकें

यह प्रतीकात्मक रूप से हेलीकाप्टर से पैसा बरसाने जैसा ही है क्योंकि जनता को इस अप्रत्याशित धन की उम्मीद नहीं थी और उनके खाते में सीधे आ गया है जैसे आसमान से गिरा हो. Helicopter Money का उपयोग किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को एक गहरी मंदी से बाहर निकालने के इरादे से किया जाता है या फिर मंदी को टालने के लिए भी किया जा सकता है.

इसी दिशा में कदम उठाते हुए कुछ राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने लोगों के खातों में पैसे भेजे हैं.

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव ने कहा कि हेलीकॉप्टर मनी राज्यों को कठिन आर्थिक मोर्चे से बाहर आने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा कि रिज़र्व बैंक Quantitative Easing (QE) के रास्ते देश की GDP का कम से कम 5% हिस्सा खर्च करे ताकि लोगों के हाथ में क्रय शक्ति बनी रहे.

ध्यान रहे कि भारत की जीडीपी करीब 3 लाख करोड़ डॉलर है इसका पांच फीसदी 15 हजार करोड़ डॉलर (करीब 11 लाख करोड़ रुपये) होता है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 अप्रैल को 4,81,755 दिहाड़ी मजदूरों के बैंक खातों में प्रत्येक को 1,000 रुपये हस्तांतरित किए, जिनमें स्ट्रीट वेंडर और रिक्शा वाले शामिल हैं. इसी प्रकार की 5000 हजार रुपये की वित्तीय मदद दिल्ली सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा चालकों को दिए हैं.

उज्ज्वला योजना के लगभग 8 करोड़ लाभार्थियों को तीन महीने के लिए रसोई गैस सिलेंडर खरीदने के लिए उनके बैंक खातों में 5,000 करोड़ रुपये भेजा जायेगा. ये उदाहरण बताते हैं कि सरकार ने लोगों के ऊपर धन वर्ष ही की है.

क्या हेलीकॉप्टर मनी मात्रात्मक सहजता के समान है? (Is Helicopter money the same as Quantitative Easing)

हेलिकॉप्टर मनी के तहत देश का सेंट्रल बैंक पहले बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है और सरकार आगे इसे लोगों के ऊपर खर्च कर देती है. हेलिकॉप्टर मनी के तहत दिया गया पैसा सरकार को सेंट्रल बैंक को रिफंड नहीं करना पड़ता है. जबकि 

क्वांटिटेटिव ईजिंग के तहत भी सेंट्रल बैंक नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है लेकिन सेंट्रल बैंक, सरकारी बॉन्ड खरीदता है तभी सरकार को पैसे देता है. बाद में सेंट्रल गवर्नमेंट को ये बांड्स वापस खरीदकर रिज़र्व बैंक को पैसा लौटाना पड़ता है.

क्या हेलिकॉप्टर मनी देश हित में है? (Is Helicopter Money Good for Economy)

हेलिकॉप्टर मनी के कारण देश की इकॉनमी में रुपये के सप्लाई बढ़ती है जिसके कारण मुद्रा स्फीति बढती है अर्थात देश की मुद्रा की वैल्यू कम होती है. यदि सरकार कोविड 19 से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था में करीब 11 लाख करोड़ रुपये छोड़ देती है तो एक बहुत बड़ी मात्रा में बाजार में मुद्रा की सप्लाई हो जाएगी जो कि आगे उन्ही गरीबों के लिए संकट पैदा करेगी जिनके लिए आज यह पैसा बाजार में उतारा जा रहा है.

इसलिए Helicopter Money एक प्रकार से दुधारी तलवार है और सरकार को इसका इस्तेमाल ध्यान से करने की जरूरत है. अगर आप ऐसे ही और रोचक लेख पढना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें;

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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