सेंसेक्स क्या होता है और इसकी गणना कैसे की जाती है?

Dec 10, 2017, 22:36 IST

सेंसेक्स में 30 कम्पनियों के शेयर मूल्यों में उतार चढ़ाव का मूल्यांकन किया जाता है.यदि सेंसेक्स बढ़ रहा होता है, तो यह दर्शाता है कि "बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज" (BSE) की ज्यादातर कंपनियों का स्टॉक मूल्य बढ़ गया है और यदि सेंसेक्स में कमी आई तो यह दर्शाता है कि BSE की ज्यादातर कंपनियों का शेयर मूल्य नीचे गिरा है. सेंसेक्स में उतार चढ़ाव का मुख्य कारण इन 30 कंपनियों के मूल्यों में उतार चढ़ाव होता है.

 

सेंसेक्स या संवेदी सूचकांक का शुभारंभ "बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज" (BSE) द्वारा 1 जनवरी 1986 को किया गया था.यह भारत के प्रमुख शेयर बाजार इंडेक्स में से एक है. इस सेंसेक्स की स्थापना बाजार में कम्पनियों के शेयर मूल्यों में उतार-चढ़ाव को जानने के लिए की गयी थी. इसमें 30 कम्पनियों के शेयर मूल्यों में उतार चढ़ाव का मूल्यांकन किया जाता है. ये 30 कम्पनियाँ मार्किट वैल्यू के हिसाब से बड़ी, नामी -गिरामी और आर्थिक रूप से मजबूत होती हैं. यदि सेंसेक्स बढ़ रहा होता है, तो यह दर्शाता है कि BSE की ज्यादातर कंपनियों का स्टॉक मूल्य बढ़ गया है और यदि सेंसेक्स में कमी आई तो यह दर्शाता है कि BSE की ज्यादातर कंपनियों का शेयर मूल्य नीचे गिरा है. सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है और इस समय के लिए बेस इंडेक्स वैल्यू 100 पर सेट है.
सेंसेक्स में उतार चढ़ाव की गणना कैसे की जाती है ?
बीएसई में 30 सूचीबद्ध कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के खाते में दैनिक आधार पर सेंसेक्स के मूल्य की गणना की गई है.

list of 30 bse companies india
आइये इसे एक उदाहरण की सहायता से समझें:
मान लीजिए कि सेंसेक्स वर्तमान में 20000 के स्तर पर है. सुविधा के लिए हम मान लेते हैं कि BSE में केवल 2 रजिस्टर्ड कम्पनियाँ हैं जिनमे एक का नाम है "डेल्टा" और दूसरी का नाम है "गामा". माना कि डेल्टा के एक शेयर का मूल्य 200 रुपया है और इसके पास कुल बकाया शेयर हैं 10000 जबकि गामा के एक शेयर का मूल्य है 500 रुपया और इसके पास कुल बकाया शेयर है 7500. इन दोनों कंपनियों के कारण BSE का कुल बाजार पूंजीकरण होगा (रु. 200 x 10000) +(रु. 500 x 7500) =57.50 लाख रुपये.
अब मान लीजिए कि अगले दिन डेल्टा कंपनी के शेयर की कीमत 25% बढ़कर 250 तक चढ़ती है, और गामा कंपनी के शेयर की कीमत 10% कम होकर 450 हो जाती है. अब इन नए शेयर मूल्यों पर BSE का कुल मार्किट पूंजीकरण होगा:- (रु. 250 x 10000) +(रु. 450 x 7500) = 58.75 लाख रुपये.
दोनों कंपनियों के शेयरों के मूल्यों में उतार चढ़ाव के कारण BSE का बाजार पूंजीकरण 2.17% की वृद्धि के साथ 58.75 लाख हो जाता है. इस कारण सेंसेक्स 20434 पर पहुंच जाएगा जो 20000 से 2.17% ज्यादा है.

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इसी प्रकार यदि दोनों कम्पनियों के शेयर मूल्यों में कमी आ जाती है तो BSE का कुल बाजार पूंजीकरण भी कम हो जायेगा.
BSE में यह उतार चढ़ाव हर मिनट पर होता रहता है. यदि कंपनियों के शेयरों की खरीदारी ज्यादा होती है तो सेंसेक्स ऊपर जाता है और यदि बिकवाली ज्यादा होती है तो सेंसेक्स नीचे आता है.

ups downs in-bse
image source:The Economic Times
उपर्युक्त गणना की तरह की BSE में रजिस्टर्ड 30 कंपनियों के शेयर मूल्यों में भी उतार चढ़ाव होता है जिसका असर पूरे सेंसेक्स के ऊपर पड़ता है.
सेंसेक्स शुरुआत में कितने अंक का था?
सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है और इस समय के लिए बेस इंडेक्स वैल्यू 100 पर सेट है. इसका मतलब है कि 1978 में सेंसेक्स 100 अंकों के स्तर पर माना गया था जो कि 1979 में 113.28 प्वा इंट पर था और आज BSE के बाजार मूल्य में वृद्धि होने के कारण 33000 अंकों के ऊपर चला गया है.

live sensex nov 2017
कंपनी के शेयर मूल्यों में उतार चढ़ाव क्यों होता है?
किसी कंपनी में शेयर मूल्यों में उतार चढ़ाव के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नही है बल्कि कई कारण जिम्मेदार होते हैं जैसे अगर रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों के दाम बढ़ते हैं तो इसके निम्न कारण हो सकते हैं:
1. रिलायंस द्वारा किसी ऐसी नीति की घोषणा करना जिसके कारण लोगों के द्वारा इसके शेयरों की अधिक खरीदारी करना.
2. भारत सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा रिलायंस के पक्ष में कोई अच्छा निर्णय लेना जिससे कि भविष्य में रिलायंस के शेयरों के दामों में वृद्धि होने की संभावना हो. इस सकारात्मक संभावना के कारण भी लोग रिलायंस के शेयर अधिक खरीदेंगे और इसके शेयरों के दाम बढ़ जायेंगे जिसके कारण सेंसेक्स का कुल मूल्य बढेगा और फिर समाचारों में आप सुनेंगे कि सेंसेक्स “इतने अंक” ऊपर चढ़ गया है.
सारांश रूप में यह कहा जा सकता है कि सेंसेक्स में उतार चढ़ाव 30 कंपनियों के शेयरों के मूल्यों में उतार चढ़ाव (जो कि कंपनी के शेयरों की मांग और पूर्ती के कारण होता है) पर निर्भर करता है. जो सेंसेक्स 1978 में 100 अंकों पर था आज वह 33000 के स्तर को पार कर गया है.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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