नत्थी वीजा किसे कहते हैं और यह क्यों जारी किया जाता है?

Oct 16, 2019, 11:18 IST

जब किसी देश का नागरिक किसी अन्य देश में घुसना चाहता है तो उस देश से अनुमति लेनी पड़ती है जिसे "वीजा" कहते हैं. अर्थात वीजा, किसी देश में घुसने की अनुमति होती है.इसी प्रकार का एक और वीजा होता है "नत्थी वीजा".नत्थी वीजा में आव्रजन अधिकारी आपके पासपोर्ट पर स्टाम्प नहीं लगाता है बल्कि अलग से एक कागज आपके पासपोर्ट के साथ नत्थी या जोड़ देता है.

Stapled visa by China
Stapled visa by China

सामान्यतः जब आप विदेश जाते हैं, तो आव्रजन अधिकारी (immigration official) आपके पासपोर्ट पर एक स्टाम्प लगा देते हैं जिससे यह पता चल सके कि आप उनके देश में किस उद्येश्य के लिए पधारे हैं.

नत्थी वीजा में आव्रजन अधिकारी आपके पासपोर्ट पर स्टाम्प नही लगाता है बल्कि एक कागज अलग से आपके पासपोर्ट के साथ नत्थी या जोड़ देता है. इस कागज में आपके द्वारा उस देश की यात्रा करने का उद्येश्य लिखा होता है, और अधिकारी इसी कागज पर स्टाम्प लगाते हैं. इसे ही नत्थी वीजा कहते हैं.

immigration check
image source:cnto.org
नत्थी वीजा किन देशों में जारी किया जाता है?
नत्थी वीजा कई देशों द्वारा जारी किया जाता है. ये देश हैं; क्यूबा, ईरान, सीरिया और उत्तर कोरिया हैं. ये देश चीन और वियतनाम के लोगों को भी नत्थी वीजा जारी करते थे लेकिन इन देशों में हुए आपसी समझौते के बाद इन देशों को इससे छूट मिल गयी है.

चीन भारत के दो राज्यों अरुणाचल प्रदेश और जम्मू & कश्मीर के लोगों को नत्थी वीजा जारी करता है लेकिन चीन यही नीति भारत के अन्य राज्यों के निवासियों के साथ लागू नही करता है. चूंकि चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का भाग मानता है और तिब्बत पर चीन का अधिकार है इस कारण चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने देश का हिस्सा मानता है.

चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा तो मानता है लेकिन अरुणाचल में रहने वाले लोगों को "चीनी" नही मानता है इसलिए वह यहाँ के निवासियों को नत्थी वीजा जारी करता है.
चीन के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को अपने देश अर्थात चीन की यात्रा के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं है, लेकिन फिलहाल यह क्षेत्र भारत के कब्जे में आता है इसलिये स्टेपल वीजा या नत्थी वीजा जारी किया जाता है.

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इसे नत्थी वीजा क्यों कहते हैं?
“नत्थी वीजा”” कहने का मुख्य कारण सिर्फ इतना है कि पासपोर्ट के साथ जिस कागज को अलग से लगाया या नत्थी किया जाता है उसको “स्टेपलर” की सहायता से स्टेपल किया जाता है और स्टेपल का हिंदी में अर्थ होता है नत्थी करना.
नत्थी वीजा जारी करने से क्या फर्क पड़ता है?

1. नत्थी वीजा का यह नियम है कि जब कोई नत्थी वीजा धारक यात्री (जैसे अरुणाचल निवासी) चीन में अपना काम ख़त्म करके स्वदेश को लौटना चाहता है तो उसको मिलने वाले नत्थी वीजा, प्रवेश और बाहर निकलने वाले टिकटों को फाड़ दिया जाता है इस प्रकार यात्रा करने वाले व्यक्ति के पासपोर्ट पर इस यात्रा का कोई विवरण दर्ज नही होता है जो कि भारत जैसे देश के प्रशासन के लिए सुरक्षा चुनौती पैदा करता है.

2. जिस देश के निवासी के लिए नत्थी वीजा जारी किया जाता है उस देश के लिए यह अस्मिता का सवाल बन जाता है क्योंकि एक शत्रु देश एक “स्वतंत्र देश” के भूभाग को अपना हिस्सा मानता है.

3. एक देश, किसी शत्रु देश द्वारा जारी किये जाने वाले नत्थी वीजा का इसलिए विरोध करता है क्योंकि हो सकता है कि नत्थी वीजा पर बार-बार विदेश यात्रा करने वाला नागरिक देश के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जबकि उसके पासपोर्ट पर इस यात्रा का कोई रिकॉर्ड नही मिलता है. जम्मू & कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की चीन यात्रा इसका पुख्ता सबूत है. ज्ञातव्य है कि 2009 से चीन ने जम्मू और कश्मीर के निवासियों को भी नत्थी वीजा देना शुरू कर दिया है.

(जम्मू & कश्मीर के अलगाववादी नेता)

separatists in kashmir
image source:India TV
अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए चीनी विदेश मंत्रालय का संदेश इस प्रकार है:
“चूंकि भारत सरकार आपकी विदेशी यात्राओं पर नजर रखती है और भारत सरकार आपके पासपोर्ट को देखकर यह जान जाएगी कि आपने चीन की यात्रा कब-कब की और आपको यात्रा का कारण बताने के लिए बाध्य कर सकती है, इसलिए चीन सरकार ने आपके पासपोर्ट पर स्टाम्प न लगाकर आपको नत्थी वीजा जारी करने का फैसला किया है.”

सारांश के रूप में यह कहा जा सकता है कि चीन द्वारा भारत के जम्मू & कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए नत्थी वीजा को जो प्रक्रिया शुरू की है वो भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले लोगों को चीन में आमंत्रित करके भारत को तोड़ने की साजिश को अंजाम देने का प्रयास है. यही कारण है कि जब भी चीन सरकार इन दोनों प्रदेशों के नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करती है तो भारत सरकार इसका विरोध करती है.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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