मार्कोस या समुद्री कमांडो (पहले समुद्री कमांडो फोर्स या एमसीएफ के रूप में जाना जाता था) भारतीय नौसेना की एक विशेष बल इकाई है जिसे 1987 में स्थापित किया गया था. मार्कोस का प्रशिक्षण इतना व्यापक होता है कि इनको आतंकवाद से लेकर, नेवी ऑपरेशन, और एंटी पायरेसी ऑपरेशन में भी इस्तेमाल किया जाता है. कुछ मामलों में तो इनको अमेरिकी नेवी सील से भी बेहतर माना जाता है. इनका मोटो है:"The Few The Fearless." सेना के 1000 सैनिकों में से कोई एक ही मार्कोस कमांडो बन पाता है. इसका मतलब इसमें सिलेक्शन होना बहुत ही मुश्किल होता है. ये कमांडो भारत के सबसे खतरनाक कमांडो में गिने जाते हैं. इनसे किसी भी तरह के ऑपरेशन करवाये जा सकते हैं जबकि मरीन अर्थात पानी से जुड़े ऑपरेशन में इनको महारत हांसिल होती है.
मार्कोस कमांडो का चयन कैसे होता है?
इस संगठन में शामिल होने के लिए भारतीय नौसेना के किसी भी कर्मचारी को पहले तीन दिवसीय, शारीरिक फिटनेस टेस्ट और योग्यता परीक्षा से गुजरना होता है.
किस तरह की ट्रेनिग लेते हैं मार्कोस कमांडो
एक मार्को कमांडो के रूप में प्रशिक्षित होने के लिए सिलेक्शन हासिल करना ही बहुत मुश्किल होता है. मार्कोस कमांडो बनने के लिए 20 साल के युवाओं का चयन किया जाता है. पूर्व-प्रशिक्षण चयन प्रक्रिया में तीन दिवसीय शारीरिक फिटनेस और योग्यता परीक्षा शामिल होती है जिसमे लगभग 80% आवेदकों को स्क्रीनिंग करके बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. इसके बाद 5 सप्ताह की एक कठिन परीक्षा का दौर शुरू होता है जो कि इतना कष्टकारी होता है कि लोग इसकी तुलना नर्क से भी करते हैं. इस प्रक्रिया में ट्रेनी को सोने नही दिया जाता है, भूखा रखा जाता है और कठिन परिश्रम करवाया जाता है. इस चरण में जो लोग ट्रेनिंग छोड़कर भागते नही हैं उनको वास्तविक ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है.
मार्कोस की वास्तविक ट्रेनिंग लगभग 3 साल तक चलती है. इस ट्रेनिंग में इनको जांघों तक कीचड में घुस कर 800 मीटर दौड़ लगानी पड़ती है और इस दौरान इनके कन्धों पर 25 किलो का वजन भी रखा जाता है.
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इसके बाद इन जवानों को "हालो" और "हाहो" नाम की दो ट्रेनिंग को पूरा करना पड़ता है. "हालो" जम्प में जवान को लगभग 11 किमी. की ऊँचाई से जमीन पर कूदना होता है जबकि "हाहो" जम्प में जवान को 8 किमी. की ऊँचाई से कूदना होता है और 8 सेकेंड के अन्दर अपने पैराशूट को भी खोलना होता है.
मार्कोस प्रशिक्षुओं को पैरा जंपिंग के लिए पैराट्रूपर ट्रेनिंग स्कूल आगरा और गोताखोरी के प्रशिक्षण के लिए कोच्चि में नौसेना के डाइविंग स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है.
मार्कोस कमांडो को हर प्रकार के हथियार और उपकरणों इनमें चाकू और धनुष चलाना, स्नाइपर राइफल्स चलाना, हथगोले चलाना और नंगे हाथों से लड़ने में प्रशिक्षित किया जाता है. यहाँ पर एक चौकाने वाली बात यह है कि इन कमांडो के घरवालों को भी यह पता नही होता है कि वे कमांडो हैं. इनको अपनी पहचान को छिपाकर रखना होता है. मार्कोस कमांडों की ज्यादातर ट्रेनिंग आईएनएस अभिमन्यु (मुंबई) में होती है. इनके प्रशिक्षण के लिए अन्य प्रमुख केंद्र गोवा, कोच्चि, विशाखापटनम और पोर्ट ब्लेयर में स्थित हैं.
मार्कोस कमांडो किस तरह के अभियानों में भाग लेते हैं?
मार्कोस कमांडो मुख्य तौर से समुद्र से जुड़े ऑपरेशन करते हैं लेकिन जरुरत पड़ने पर ये आतंकबाद विरोधी ऑपरेशन,एंटी पायरेसी ऑपरेशन, समुद्री डकैती, समुद्री घुसपैध को रोकना, बंधक लोगों का बचाव, हवाई जहाज अपहरण, रासायनिक हमलों इत्यादि से निपटने के लिए भी तैयार किये जाते हैं.
मार्कोस कमांडो ने किन-किन ऑपरेशन में भाग लिया है?
1. श्रीलंका में ऑपरेशन पवन (1987): इस ऑपरेशन में भारत के मार्कोस कमांडो ने शांति सेना के तौर पर भाग लिया था. मार्कोस कमांडो ने श्रीलंका में LTTE के कब्जे वाले जाफना और त्रिंकोमाली बंदरगाह को आजाद कराया था. इस ऑपरेशन में मार्कोस कमांडो 12 किमी. समुद्र में पीठ पर बिस्फोटक लादकर तैरकर गए और जाफना बंदरगाह को उड़ा दिया और एक भी कमांडो LTTE की जवाबी कार्यवाही में घायल नही हुआ था.
2. मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस (1988): मार्कोस ने ऑपरेशन कैक्टस के अंतर्गत मालदीव में सत्ता पलटने की आतंकियों की कोशिश को नाकाम किया था. इस ऑपरेशन में मार्कोस ने 46 आतंकियों और नाव पर बंधकों को छुड़ाया था.
3. कारगिल युद्ध (1999): इस लड़ाई में मार्कोस कमांडो ने भारतीय सेना को पाकिस्तान को उसके इलाके में वापस भेजने में मदद की थी और लड़ाई में बिना सामने आये पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.
4. ऑपरेशन ब्लैक टोर्नेडो (2008): 26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकी हमले के दौरान मार्कोस कमांडो; ट्राइडेंट और ताज होटल घुस में गए और मार्कोस की कार्यवाही में कसाब को छोड़कर सभी आतंकवादी मारे गए थे.
इसके अलावा मार्कोस कमांडो कश्मीर में भी सक्रीय हैं. ये कमांडो कश्मीर के लोगों के साथ ही आम लोगों की तरह रहते हैं और आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही में महत्वपूर्व भूमिका निभाते हैं. हम सभी भारतियों को अपने इन जाबांज कमांडो पर बहुत फक्र है.
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