भारत में लोक सभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में विपक्षी दल सरकार के ऊपर दबाव बना रहे हैं कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों जैसे नीरव मोदी, ललित मोदी और विजय माल्या जैसे कई आरोपियों को भारत वापिस लाया जाये ताकि उनके ऊपर भारतीय कानून के तहत कार्यवाही की जा सके.
पिछले साल भारत ने ब्रिटेन को 57 भगोड़ों की लिस्ट सौंपी थी और ब्रिटेन ने भी भारत को 17 भगोड़ों की लिस्ट दी है. आंकड़े बताते हैं कि 2013 से अब तक 5500 भारतीयों ने ब्रिटेन में शरण ले रखी है हालांकि इनमें सभी क्रिमिनल नहीं हैं.
भारत और ब्रिटेन ने 1992 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे और ब्रिटेन ने अब तक केवल एक भारतीय समीरभाई विनुभाई पटेल को 2016 में प्रत्यर्पित किया था इसके बाद ब्रिटेन ने किसी भी भगोड़े को भारत को नहीं सौंपा है. वहीं भारत अब तक दो लोगों को ब्रिटेन को सौंप चुका है.
अब सवाल यह है की आखिर ब्रिटेन में ऐसा क्या है जिसकी वजह से भारत के लोग अपराध करने के बाद ब्रिटेन में जाकर छिप जाते हैं.
किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों?
आइये इस लेख में इस ट्रेंड के पीछे छिपे कारणों के बारे में जानते हैं;
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि ब्रिटेन ने भारत पर लगभग 200 वर्षों तक राज किया था. अंग्रेजों के जाने के बाद भी भारत में ब्रिटेन की दी हुई कई चीजें और कानून आज भी लागू हैं.
1. भारत के अपराधी ब्रिटेन में इसलिए छिपते हैं क्योंकि भारत और ब्रिटेन में क़ानूनी प्रणाली लगभग एक जैसी है. भारत और ब्रिटेन के क़ानूनी जानकार दोनों देशों के क़ानूनों को बहुत अच्छे से जानते हैं जिससे भागकर गए शख़्स को बहुत लाभ होता है. अर्थात एक वकील के पास दोनों देशों के क़ानूनों की जानकारी होना भगोड़े अपराधी के लिए वरदान साबित होती है.
2. ब्रिटिश मानवाधिकार आयोग दुनिया के और देशों के मानवाधिकार आयोग से ज्यादा सख्त और मानवीय पहलू को समझने वाला माना जाता है.
यदि ब्रिटेन की अदालत को लगता है कि प्रत्यर्पण के बाद शख्स को भारत में मौत की सजा होगी, प्रताड़ित किया जाएगा, या फिर राजनीतिक कारणों से प्रत्यर्पण कराया जा रहा है तो वे प्रत्यर्पण के आग्रह को खारिज कर देते हैं.
नीरव मोदी के वकील ने लन्दन की कोर्ट में कहा कि नीरव का प्रत्यर्पण रजनीतिक है क्योंकि भारत में राजनेता रैलियों में नीरव का मुद्दा उछालते हैं जिससे लोग आक्रोशित हैं, इसलिए उन्हें भारत प्रत्यर्पित न किया जाए क्योंकि वहां उनकी जान को ख़तरा है.
ऐसा ही एक मामला गुलशन कुमार हत्याकांड के आरोपी संगीत जोड़ी नदीम-श्रवण के नदीम अख़्तर सैफ़ी से जुड़ा हुआ है. भारत सरकार ने उनके प्रत्यर्पण के लिए लंदन की कोर्ट में केस लड़ा लेकिन हत्याकांड मामले में उनके ख़िलाफ़ प्रथम दृष्टया मामला न होने के कारण उनके प्रत्यर्पण के मामले को रद्द कर दिया गया था.
3. लंदन में बहुत से भारतवासी रहते हैं जिसके कारण यहाँ आने पर भगोड़ों को अपने देश का माहौल मिलता है. यहां पर दक्षिण एशियाई खाना आसानी से मिल जाता है. लंदन के बहुत सारे इलाक़े 'मिनी भारत' जैसे बन गए हैं. बॉलीवुड के कई बड़े उद्योगपतियों और स्टार्स के घर यहां हैं. पहले से घर होने के कारण भी लंदन में भागकर आने में आसानी होती है. जैसा कि सभी को पता है कि विजय माल्या का यहाँ पर पहले से घर था.
image source:sisnambalava
ऐसा नहीं हैं कि सिर्फ भारत के भगोड़े यहाँ छिपते हैं बल्कि पाकिस्तान के भगोड़े भी ब्रिटेन में शरण लेते हैं. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और उसका परिवार, बेनज़ीर भुट्टो के परिवार के लोग बिलावल भुट्टो और उसकी बहनें इत्यादि यहीं पर रहते हैं.
उम्मीद हैं कि इस लेख को पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि भारत के भगोड़े अपराधी ब्रिटेन में जाकर क्यों छिपते हैं. अब समय की जरूरत यह है कि भारत सरकार नए सिरे से ब्रिटेन के साथ एक क्लियर कट प्रत्यर्पण संधि करे जिससे कि अपराधियों का प्रत्यर्पण बिना किसी देरी के किया जा सके.
अमेरिका की जीएसपी स्कीम क्या है और इससे हटाने पर भारत को क्या नुकसान होगा?
Comments
All Comments (0)
Join the conversation